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मनमोहिनी-2

4 दिसम्बर 2021

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कुछ देर बाद मोहिनी वापस आ गई ।नदी के तट पर बैठ वह अपने खून से सने हुए हाथ धोने लगी। वह लड़की अभी भी उसी तरह पड़ी हुई थी ,चोट लगने की वजह से उसके पास खड़े होने तक की ताकत नही बची थी या शायद वो अपनी हिम्मत हार चुकी थी।हाथ धोकर मोहनी उसके पास आ गई ।इस बार उस लड़की  की मोहिनी की तरफ देखने की हिम्मत नहीं हुई।मोहिनी  ने अपने आंचल से हाथों को पूछा और उसे सहारा देकर उठाया।  बारिश  शुरू हो गई थी ।मोहिनी ने उसका हाथ पकड़ा और धीरे-धीरे उसे जंगल के अंदर ले जाने लगी ।उस लड़की को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें ।भागने का नतीजा वह कुछ देर पहले ही अपनी आंखों से देख चुकी थी। वह चुपचाप मोहनी के साथ चलती रही ।जो मोहिनी अभी कुछ देर पहले रौद्र रूप धारण किए थी ,वह अब ठहरे पानी की तरह बिल्कुल शांत थी। चलते -चलते वो दोनों एक घर के सामने आ गई।उस घर को देख कर कोई यकीन नहीं कर सकता था कि वह जंगल के बीचो-बीच है।मोहिनी उसे घर के अंदर ले आई और उसे आंगन बैठाकर अंदर चली गई ।आंगन में मोहिनी ने तरह-तरह के पौधे लगा रखे थे ।कुछ फूलों के ,कुछ सब्जियों के तो कुछ जड़ी -बूटियां भी वहां थी।अजीब सा आकर्षण था उस जगह। उस लड़की को लग रहा था कि वह किसी और ही दुनिया में आ गई है ।वह अब तक अपना सारा दर्द भूल चुकी थी। कुछ देर बाद मोहनी पानी लेकर आ गई।

" नाम क्या है तुम्हारा ?"
"जी रिया"
" यह लो पानी पी लो ,अच्छा लगेगा तुम्हें।"यह बोलकर मोहिनी ने पानी का ग्लास रिया की ओर बढ़ा दिया।

रिया ने मोहिनी की आंखों में देखा जहां उसे असीम प्रेम नजर आया, उसने चुपचाप  ग्लास लेकर पानी पी लिया। पानी पीते ही रिया बहुत अच्छा महसूस करने लगी। उसे ऐसा लगने लगा जैसे बहुत बड़ा बोझ उसके दिल से उतर गया हो ,एक अजीब सी खुशी होने लगी उसे।वह अब मोहनी के संरक्षण में खुद को सुरक्षित महसूस करने लगी थी ।
"तुम यहां की तो नहीं लगती " ,मोहनी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
" मैं शहर से आई हूं।"
"मैं समझ गई थी ,तुम्हारे कपड़े फट गए हैं उनको बदल लो।"
" पर मेरे पास दूसरे कपड़े नहीं है।"
" चलो मेरे साथ।"
मोहिनी उसे अंदर एक कमरे में ले गयी।
"यहाँ मेरे कपड़े रखे हुए हैं,तुम्हे जो ठीक लगे पहन लो।पास में ही बाथरूम है ,चाहो तो वहां जाकर नहा सकती हो।मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है,मैं तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊंगी।",इतना बोलकर मोहिनी वहां से चली गयी।
रिया ने कमरे में एक नजर डाली।वहाँ हर तरफ दियों का प्रकाश फैला हुआ था।सामने एक आईना था जिसके पास कुछ श्रृंगार का सामान रखा हुआ था।पास में ही एक लकड़ी की अलमारी थी जिसमें मोहिनी के कपड़े रखे हुए थे।पूरा कमरा बेला और चमेली की भीनी -भीनी खुशबू से महक रहा था।सामने दीवाल पर एक तस्वीर लगी हुई थी,जिसमे मोहिनी नृत्य की मुद्रा में खड़ी थी।तस्वीर ऐसी जैसे कि अभी बोल उठेगी।रिया बहुत ध्यान से उस तस्वीर को देख रही थी कि तभी उसके पैरों के पास से कुछ बहुत तेजी से निकला,जिसकी वजह से रिया बहुत जोर से डर गई ,उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि तभी उसकी नजर एक खरगोश के बच्चे पर पड़ी ,जो उसी को देख रहा था।खरगोश को देखकर रिया ने गहरी सांस ली और अलमारी से कपड़े निकालने लगी।

     नहा कर रिया जब बाहर आई तो देखा कि वही खरगोश का छोटा सा बच्चा मोहिनी के साथ खेल रहा है।उन दोनों को इस तरह देख रिया के होठों पर मुस्कान आ गयी।मोहिनी ने रिया की तरफ देखा ,रिया ने मोहिनी की एक गुलाबी साड़ी पहनी थी।इतनी सारी साड़ियां होने के बावजूद रिया के हाथ इसी गुलाबी साड़ी पर रुक गए।

मोहिनी रिया के पास आ गयी और उसको ध्यान से देखने लगी।
"साड़ी अच्छी लग रही है तुम पर;इसे मेरे पिताजी लाये थे मेरे लिए,अब ये तुम्हारी हुई।"
"वो........."
"कुछ कहने की जरूरत नहीं है।खाना ठंडा हो रहा है चलो।"
मोहिनी ने इतने अधिकार से कहा कि रिया खाने के लिए मना नहीं कर पायी।खाना देखने में जितना सादा था,खाने में उतना ही स्वादिष्ट।खाना खाने के बाद मोहिनी एक कटोरी में कोई लेप ले आयी और उसे रिया के घावों में लगाने लगी।
"सुबह तक तुम्हारे सारे घाव भर जाएंगे।"मोहिनी ने लेप लगाते हुए अपनेपन से कहा।
अपने प्रति इतना प्यार देखकर रिया की आँखों में आँसु आ गए।आखिर कैसे किसी पराये के लिए किसी के हृदय में इतना प्रेम हो सकता है।
"एक बात पूछूँ?"हाथ धोते हुए मोहिनी बोली।
"जी"
"वो चौधरी के आदमी तुम्हारे पीछे क्यों पड़े थे?"
"आप जानती हो उन्हें?"
"बहुत अच्छी तरह से,चौधरी के आदमी कोई भी काम उसकी मर्जी के बगैर नहीं करते।वो तुम्हारे साथ जो भी कर रहे थे ,वो चौधरी ही करवा रहा था,पर क्यों?,चाहो तो मुझे बता सकती हो।"
"मैं यहाँ रिसर्च करने आई थी,यहाँ आकर गरीबों के साथ अन्याय होता देखा।वो रामकिशन चौधरी गरीबों का शोषण करता है।उनकी फसल खुद गिरे दामों में खरीदता है और उनको शहरों में महँगे दामों पर बेचता है।आधे से ज्यादा गाँव उसके कर्जे के नीचे दबा हुआ है।पूरे गाँव मे उसका गुंडा राज चलता है।ये सब मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था।मुझसे ये सब देखा नहीं गया और मैंने गलत के खिलाफ आवाज उठाई।मेरी कैलकुलेशन के हिसाब से काफी लोगों ने अपना कर्जा बहुत पहले ही उतर दिया था।उन्ही की तरफ से मैं चौधरी से मिलने गयी।क्योंकि वो ज्यादा पढ़ा -लिखा नहीं है तो वो मेरे आगे कुछ कर नहीं पाया।मैंने कुछ किसानों की फसल अपने किसी जान -पहचान वाले की मदद से अच्छे दामों में बिकवा दी,जो चौधरी को बिल्कुल पसंद नहीं आया;इसलिए उसने मुझे मारने के लिए अपने आदमी भेजे,पर उनकी नीयत खराब हो गयी और वो मुझे जंगल में ले आये।"
"हम्म,इस चौधरी की अकल ठिकाने लगानी ही पड़ेगी।तुम ज्यादा मत सोंचो।कल सुबह तुम यहाँ से वापस अपने शहर चली जाना।शेरू तुमको जंगल के बाहर छोड़ आएगा।"
"शेरू....?"
"हाँ शेरू,वो भेड़िया देखा था न ...उसका नाम शेरू है।उससे डरने की जरूरत नहीं है।बिना मेरे इशारे के वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।चलो अब सो जाओ।"

मोहिनी  अब वहाँ से चली गयी।रिया सोंचने लगी कि क्या यह वही मोहिनी है जिसका खौफ पूरे गाँव में फैला हुआ है। पर उसने तो मोहिनी का कोई दूसरा रूप ही देखा है।गाँव वाले कहते हैं कि मोहिनी किसी को भी सम्मोहित कर सकती है।कहीं मैं उसके सम्मोहन में तो नहीं हूं? सबके अनुसार मोहिनी काला जादू करती है,पर यहाँ तो ऐसा कुछ नहीं दिख रहा बल्कि यहाँ तो एक अलग प्रकार की ही पॉजिटिव एनर्जी है।कहीं मैं मोहिनी के किसी जादू में तो नहीं फंस गई।........

सारी रात रिया मोहिनी के बारे में ही सोंचती रही।जब वो सुबह उठ कर बाहर आई तो वहाँ कुछ अलग ही नजारा था।

Jyoti

Jyoti

👍

31 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बढिया 👌 👌 👌

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया

30 दिसम्बर 2021

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