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मानवता शर्मसार करने वाली घटना

7 जून 2020

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केरल में गर्भवती हथिनी की मृत्यु से,

आज मानवता कराह रही है |

मनुष्य होकर दानवों-सी हरकते,

मनुष्यता किस ओर जा रही ?


हे मानव ! ऐसी क्या विपदा आन पड़ी,

जो तुम इतने हृदयहीन हुए,

दो -दो निरीह प्राणियों की हत्या कर

जरा भी ना गमग़ीन हुए |


एक बेजुबान पर ,

तुमने कैसी करामात की ?

दोनो में से जानवर कौन थे,

ये सोचने की बात है |


अनानास में विस्फोटक मिला ,

खिला दिया उस बेजुबान को |

आग लगी होगी मुख में,

दाँत जबड़े भी तो टूटे होंगे |


भरोसा करके खा लिया ,

हाय ! कैसी विश्वास घात हुई ,

तेरे कुकृत्यों के कारण ,

आज मानवता फिर शर्मसार हुई |


सोचो क्या बिती होगी उस,

शांत-शुचि गजगामिनी पर ,

बच्चे की पीर भाँप वह, ६

ममत्व से छटपटाई होगी |


पीर पराई होती क्या ,

तुम भी जान जाओगे ,

तेरे कर्मों का हिसाब,

तेरे अपने जब चुकाएँगे |


हे हृदयहीन मानव !

क्या स्वार्थ हीं है तेरा परम उद्देश्य,

इसी के वशीभुत हो,

तू प्रकृति से करता खिलवाड़ |


देख निरीह की दुर्दशा,

आज मेरा हृदय भी है रो उठा,

दो- दो प्राणियों की हत्या करते

क्या तुम्हें जरा भी दया न आई थी ?


करो रक्षा प्राकृतिक चिजों की,

पग -पग पर हम सुनते आते ,

वास्तविक जीवन में इन पर,

क्यों अमल नहीं फरमाई जाती |


प्रकृति से जो करोगे खिलवाड़,

तो तुम भी तो बच ना पाओगे ,

काँटे अगर बिछाओगे तो ,

फूलों की सेज कहाँ से पाओगे ?


केरल में गर्भवती हथिनी की हत्या

चीख चीख कर दे रही है गवाही,

स्वार्थलोलुपता, मदांधता

यही तेरा दस्तुर है |

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श्रम साधक को विश्राम नहीं

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हे जगज्जननी मातु, सुन ले हमारी अर्चन |हे वीणावादिनी माँ , सर्वस्व तुझपे है अर्पण ||अज्ञानता मिटा दे , तू कष्ट सारे हर ले |कर दे प्रकाशित जीवन,तम को तू सारे हर ले ||संपूर्ण सृष्टि तुझको, आह्वान कर रहा हैै |देर ना कर अब तू , नव चेतना तू भर दे ||हे विद्यादायिनी माँ, सुन ले मेरी गुजारिश |ये विश्व रो रहा

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