3 जून 2016
कवि:- शिवदत्त श्रोत्रियजो भी आए पास सब दूर हो गयेतोड़ा हुए बदनाम तो मशहूर हो गये||कल तक जो दूसरो से माँगकर के जिंदा थेजीता चुनाव आज जो वो हुजूर हो गये||हम भी तो कल तक दफ़न थे चन्द पन्नो मेबाजार मे बिके जो सबको मंजूर हो गये||पहाड़ो से टकराकर के