अपने से 30 साल छोटी छात्रा जूली के साथ संबंधों को लेकर पूरे देश में चर्चा में आए मटुकनाथ अब भी प्रेम की पूजा करते हैं। कहा, मेरे दिल में उनके लिए अब भी वही स्थान है जो उनको पहली बार कक्षा में देखने के बाद बना था। विगत दिनों एलएस कॉलेज कैंपस में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 111वीं जयंती समारोह में शामिल होने मुजफ्फरपुर पहुंचे मटुकनाथ ने कहा कि वह साध्वी जीवन व्यतीत कर रही हैं। किसी तपोभूमि में भगवान के भजन में लीन हैं। लेकिन, किस जगह पर हैं इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
बीएन कॉलेज, पटना के हिंदी के प्राध्यापक रहे डॉ. मटुकनाथ चौधरी ने भविष्य की योजना के बारे में कहा कि मैं अब ‘उर्वशी’ पर पुस्तक लिखने जा रहा हूं। यह पुस्तक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की ‘उर्वशी’पर ही आधारित होगी। मगर, उसमें प्रेम की व्याख्या होगी। प्रेम को नए सिरे से परिभाषित किया जाएगा। आज धुकुर-धुकुर प्यार का जमाना है। मगर, हम प्रेमी जोड़ों को कहना चाहेंगे कि जो भी करना है, खुलकर करें।
स्वच्छंद प्रेम था हम दोनों का
कहा कि हम दोनों का प्रेम स्वच्छंद था। जैसे उर्वशी व राजा पुरुरवा के बीच था। दिनकर की ‘उर्वशी’की कहानी मानवीय प्रेम, वासना और संबंधों के इर्द-गिर्द घूमती है। दिनकर समर्पण के कवि हैं। दिनकर ने प्रेम को जो ऊंचाई दी है वो चरमकोटि की ऊंचाई है। उर्वशी स्वर्ग की सर्वसुंदर अप्सरा थीं। एक बार इंद्र की राजसभा में नाचते समय वह राजा पुरुरवा के प्रति आकृष्ट हो गई। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ मगर, हम दोनों 2007 से 2014 तक लिवइन में रहे। हम उनको अपनी क्लास में देखते ही मंत्रमुग्ध हो गए थे।
विश्व प्रेम परिवार बना रहे लव गुरु
जूली से अलग होकर इन दिनों क्या कर रहे हैं, इसके बारे में कहा कि इन दिनों विश्व प्रेम परिवार नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बनाया है। इसका पंच लाइन रखा है साथी रे, तेरे बिना भी क्या जीना! फेसबुक पर लिखते हैं और एक विश्व प्रेम परिवार बना रहे हैं। उसमें 105 सदस्य अभी हुए हैं। धीरे-धीरे उसकी तरफ से एक पत्रिका निकल रही है। अक्टूबर में उसका विमोचन होगा। बड़ा संगठन बनने जा रहा है, जो शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम करेगा। नए सिरे काम होगा। पुरानी चीजें जैसे जूली प्रकरण इसमें कुछ भी नहीं रहेगा।