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माया

30 मई 2022

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"माया" से कोई बच न पाया ,
इस दुनिया मे जो भी आया !
सब पर फैला इसका साया ,
हर पल इसने सद्गुण खाया !
यौवन भी इससे जीत न पाया,
हो विरक्त या फिर गृहस्थ काया !
कोई भी इसका पार न पाया,
"माया" से कोई बच न पाया !!

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