कुदरत
कुदरततेरी हर चीज गुलाम हैहम सब भी तो बेजान हैंतेरा प्यार कब बरसेऔर कब बरस जाये तेरा कहरन जाने क्या क्या रंग दिखा जाये तेरा यह पहरकभी धुप और कभी छाँवकभी बदरा और कभी वर्षा प्रवाहकल कल करती हवा जा झोकाकानो को संगीत सुना रहीतेरी बनाई हर चीज बस तेरे ही गुण गा रहीआज फिर वो सर्द रात की दस्तक , तेरी बर्फीली