उठो जागो अब दम्भ भरो, समय लौट नहीं आयेगा।।
इस बार चूक हुई तुमसे तो देश मेरा मिट जायेगा।।
फिरंगी आये लूटने जब तब, लूट खूब मचाई थी,,
फिर उबला खून वीरों का, उनको धुल चटाई थी,
भगत, सुभाष, आज़ाद, बिस्मिल ने, आजादी हमें दिलायी थी,
वतन के खातिर इन वीरों ने, जान अपनी गवांई थी.
भूल गए शहादतों को तुम, फिर धोखा तुमने खाया है
आजादी के साठ सालों में आखिर तुमने क्या पाया है?
जब-जब वीरों ने देश के लिए, जान अपनी लड़ाई है..
तब-तब किसी गद्दार ने, टांग उसमे अड़ाई है।
भगत सिंह और साथियों ने, जान पर अपनी खेला था
फांसी के फंदे तक उनको, गद्दारों ने ही धकेला था.
देश के हालात रह-रहकर हमें, हरदम यू हीं रुलाते हैं,
देश के इस हालत पर, भगत सुभाष याद आते हैं.
कुछ लोगों का सत्ता की खातिर, बिका हुआ है ईमान।
हर छोटे-बड़े पद पर बैठे हैं, लोभी-दलाल और बेईमान।
चंदे के नाम पर देखो अब, कुछ लोगों का धंदा चल रहा है,
तुम कुछ भी कहो चंदे वालों पर, काम ये गन्दा चल रहा है
कुछ लोग मिलकर दुश्मनों से, राजनीती यहाँ कर रहे हैं,
सीमा पर जवान हमारे , हर रोज मर रहे है,
टोपी पहन के कोई, पहना रहा है टोपी,
आज राजनीती की धुरी, बन गयी है टोपी
टोपी होती थी कभी प्रतीक की, इज्जत-ईमान-सम्मान
आज उसी ईमान-सम्मान को बेच रहा है इंसान।
उठो जागो अब दम्भ भरो, समय लौट नहीं आयेगा।।
इस बार चूक हुई तुमसे तो देश मेरा मिट जायेगा।।
लेखक : अनुराग