झील के पार है मेरा स्कूल,
झील में खिलते हैं कमल के फूल,
फूलों पर भौंरे रहे हैं झूल,
ये है मेरा प्यारा बी. एस.एफ. पब्लिक स्कूल।
बच्चों के मुख पर है मुस्कान,
देश पर करते बहुत अभिमान,
ऊँचे स्वर व तनकर गाते राष्ट्रगान,
ये हैं बी.एस.एफ. के वीरों की संतान।
स्कूल के शिक्षक हैं विनम्र और विद्वान,
सिखाते जिंदगी के नए नए अनुभव,
और कराते विषय का गहरा ज्ञान,
बच्चे करते हैं खूब उनका मान।
हमारे प्रिंसिपल की बात निराली,
करते हैं कमेंट्री राष्ट्रभक्ति वाली,
हम सबका हैं वो अभिमान,
हम सब करते उनका सम्मान।
हरी भरी क्यारियाँ हरा भरा मैदान,
टॉय रूम में मस्ती साइंस लैब में विज्ञान,
ए.वी. हॉल में कविता और कार्टून,
तथा लाइब्रेरी में पढ़कर बढ़ाते अपना ज्ञान।
"आत्म दीपो भव" से तरंगित अंतर्मन,
"Be your ownlight" से प्रकाशित है मन।
पढ़ना है लिखना है खोजना है विज्ञान,
करना है देश का नाम रोशन,
बनना है एक अच्छा इंसान,
बनना है एक अच्छा इंसान।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर
*प्रदीप त्रिपाठी*