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चाँद का धर्म

30 अप्रैल 2022

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ऐ! चाँद ,ऐ! चाँद ,

आऊँगा तेरे पास एक दिन,

पूछूँगा तेरा धर्म,

 हिन्दू है या इस्लाम,

क्योंकि चौथ पर पूजते हैं तुझे हिन्दू,

और ईद पर मुसलमान।

क्यों नहीं देता संदेश,

अपने इन बंदों को,

कि मैं न हिन्दू हूँ,

और न मुसलमान,

मैं न अल्लाह हूँ,

और न ही भगवान,

मैं तो हूँ,

प्रकृति का एक वरदान,

देता हूँ धवल रोशनी,

और शांति का पैगाम।


           ©प्रदीप त्रिपाठी  "दीप"

                     ग्वालियर

        





25 अगस्त 2022

Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

10 अगस्त 2022

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

सुंदर भाव अभिव्यक्ति 👌🌹🌹

10 अगस्त 2022

Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

धन्यवाद दुबे जी।

30 जून 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया

29 जून 2022

Papiya

Papiya

बहुत सुन्दर

9 जून 2022

Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

10 जून 2022

आपका बहुत बहुत आभार।

भारती

भारती

बेहतरीन रचना 👌🏻👌🏻

30 अप्रैल 2022

Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

3 मई 2022

धन्यवाद जी।

72
रचनाएँ
"दीप का कविता संग्रह" (विविध रँग)
5.0
यह एक कविता संग्रह है। जिसको हमने "दीप का कविता संग्रह" नाम दिया है। इसमें हमने हमारे समाज , प्रकृति और आसपास होने वाली घटनाओं को कविता का रूप दिया है। इस काव्य संग्रह की रचनायें किसी विशेष भाव से प्रेरित नहीं हैं।इस कविता संग्रह में हर प्रकार के भाव की रचनायें संग्रहित हैं और यह कविता संग्रह जीवन के विविध रँगों से सराबोर है।
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चाँद का धर्म

30 अप्रैल 2022
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ऐ! चाँद ,ऐ! चाँद , आऊँगा तेरे पास एक दिन, पूछूँगा तेरा धर्म, हिन्दू है या इस्लाम, क्योंकि चौथ पर पूजते हैं तुझे हिन्दू, और ईद पर मुसलमान। क्यों नहीं देता संदेश, अपने इन बंदों को, कि मैं न हिन्द

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बड़े सपने देखना

30 अप्रैल 2022
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मैं आँखों के डॉक्टर के पास गया,आँख दिखाई,डॉक्टर बोला,इसमें तो गड़बड़ है भाई,मैंने कहा फिर क्या होगा,डॉक्टर बोला ऑपरेशन होगा भाई,मैंने कहा ऑपेरशन कर दो,उसने ऑपेरशन कर दिया,फिर दे दी दवाई,बोला ये खाना,ये

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कोरोना मार भगाएंगे

1 मई 2022
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ये दृढ़ विश्वास हमारा,भारत नहीं किसी से हारा,इस अदृश्य शत्रु को मारेंगे,जीतेंगे, जिताएंगे,कोरोना मार भगाएंगे।दो-गज दूरी, बहुत जरूरी,मास्क जरूर लगाएंगे,जीतेंगे, जिताएंगे,कोरोना मार भगाएंगे।नियमों का पा

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प्रियतमा

1 मई 2022
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चाँदनी रात में बैठा हूँ उसकी याद में,वो कब आएगी मुझसे बतियाएगी,उसकी प्यारी-प्यारी बातें लोरी सी लगती हैं,उसकी कजरारी आँखें झील सी दिखती हैं,मैं उन झील सी कजरारी ऑंखों में डूब जाता हूँ।उसका हल्का सा स्

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जय जवान-जय किसान

3 मई 2022
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हल लेकर है चला किसान,बोई है खेतों में धान।हाड़ तोड़ मेहनत वो करता,तब है पेट देश का भरता। सीमा पर प्रहरी है जगता, दुश्मन आँख उठा नहीं सकता। खेतों में

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नारी का सम्मान

4 मई 2022
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है प्रकृति का अनुपम वरदान,है जग की वह शक्ति महान,बिन नारी नहीं नर का मान,ना समझो उसको नादान। बिन बहना है भाई अधूरा, बिन माँ पिता कहाँ है पूरा,&nbs

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मेरा स्कूल

5 मई 2022
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झील के पार है मेरा स्कूल,झील में खिलते हैं कमल के फूल,फूलों पर भौंरे रहे हैं झूल,ये है मेरा प्यारा बी. एस.एफ. पब्लिक स्कूल।बच्चों के मुख पर है मुस्कान,देश पर करते बहुत अभिमान,ऊँचे स्वर व तनकर गाते राष

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माँ

8 मई 2022
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माँ तू अम्बर है, माँ तू समंदर है,माँ तेरे कदमों में, सुख कितना सुंदर है।तूने आकार दिया, तूने ही प्यार दिया,मंजिल पर जाने का, तूने आधार दिया।गिरकर संभलने की, उठकर फिर चलने की,तूने ही साहस दिया,तूने ही

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बच्चे

18 मई 2022
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ये बच्चे कितने सच्चे,जितने धुन के पक्के,उतने ही मन के कच्चे,ये बच्चे कितने सच्चे।करते खूब शरारत,चलते उचक-उचक के,ये बच्चे कितने सच्चे।ये हैं कोरे कागज,भर दो रंग वही हैं पक्के,ये बच्चे कितने सच्चे।अभी त

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बेटी

25 मई 2022
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बेटी हमारी है,हमारी ही रहेगी,उस घर का मान,और हमारी शान रहेगी।दोनों घर उसके होंगे,किसी से अनजान न होगी,बेटा एक घर का,तो बेटी दोनों घरों की पहचान होगी। ©प्रदीप त्

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जवान के पथ

26 मई 2022
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हिम है - पानी है,धूल है - काँटे हैं,धूप है - अँगारे हैं, देखो जांबाज जवानों के, पथ कितने न्यारे हैं। जय हिंद!!

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बेटों का संघर्ष

27 मई 2022
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बेटियों पर लिखते देख,श्रीमती जी बोलीं बेटों पर कुछ क्यों नहीं लिखते,मैंने कहा अभी लिख देता हूँ,मैं भी तो अपनी माँ का बेटा हूँ,दुनियाँ के लिए कैसे भी हों बेटे,पर अपनी माँ के राजकुमार हैं होते।छोटा सा ब

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प्रकृति और विज्ञान

28 मई 2022
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अचम्भित है बालमन,कैसे बनता है इन्द्रधनुष,कहाँ से आता है,कहाँ जाता है,कौन लाता है,कौन बनाता है।कौन है ,जो चलाता है कूँची,और भरता है रँग,ये प्रकृति है,या भगवान। आगे जब पढ़ता हूँ विज्ञान,तो मिल

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स्कूल का आखिरी दिन

31 मई 2022
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खत्म हुआ स्कूल का सफ़र,चलना है अब एक नई डगर।ऊँचा लक्ष्य और ऊँची मँजिल लेकर जाना,नए रास्तों पर चलकर मिशाल बन जाना।गर आयें बाधाएं जीवन में कदम न ठिठकाना,हौंसला रखकर तुम आगे ही बढ़ते जाना।जो बोया है अनुशास

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भारत माँ के रण-बाँकुरे

2 जून 2022
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बाँध मुरैठा रण-बाँकुर निकला,अम्मा कहाँ धरी तलवार,अम्मा बोलीं ये लो बिटुआ,अपनी ढाल और तलवार।देखो दुश्मन खड़ा सीमा पर,लेकर अस्त्र-शस्त्र तैयार,तुम भी अपनी द्विविधा छोड़ो,कर दो अब तुम घातक वार।रण-भूमि में

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प्रकृति की सीख

3 जून 2022
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पर्वत से सीखो ऊँचा उठकर,ऊँचा ही होते जाना,सागर सी गहराई रखना,जीवन में लहराते जाना।नदी से सीखें बहते-बहते,सबको जीवन देते जाना,झरने से सीखें कल-कल बहकर,आगे ही बढ़ते जाना।फूल दे रहे सीख हमें ये,जीवन में स

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दीपावली पर बच्चों की मस्ती

4 जून 2022
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दीपावली पर जगमग रोशन,हर्षित पुलकित है बालमन,इधर-उधर वो डोल रहे हैं,खूब पटाखे फोड़ रहे हैं।कोई चिटपिट, कोई फुलझड़ी,कोई चरखी चला रहे हैं,कोई मस्त हो अनार चलता,कोई व्यस्त हो साँप बनाता, कोई रॉकेट छोड़

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साइकिल की सवारी सबसे न्यारी

7 जून 2022
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3 जून को मन रहा,विश्व साइकिल दिवस,खूबियाँ इसमें इतनी सारी,हर व्यक्ति खरीदने को विवश।साइकिल की सवारी,है सबसे न्यारी,बढ़ाती है यारी,बड़ी लगती है प्यारी।बच्चों को जान से प्यारी,तो बड़ों की है दुलारी,करवाती

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आज़ादी का जश्न मनायेंगे

8 जून 2022
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आज राष्ट्रपर्व पर हम,आज़ादी का जश्न मनायेंगे,झूम-झूम कर नाच-नाच कर,गीत खुशी के गायेंगे,आज़ादी का जश्न मनायेंगे।आज़ादी का मतलब क्या,हम कुछ भी करते जाएंगे,सही गलत का भेद मिटाकर,क्या भ्रष्ट समाज बनायेंगे?नह

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ओज़ोन परत का संरक्षण

9 जून 2022
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ओज़ोन परत का क्षरण हो रहा,कार्बन के उत्सर्जन से,अब इसे न बढ़ने देंगे,ऑक्सीजन के उत्पादन से।ऑक्सीजन का उत्पादन होगा,जमकर पेड़ लगाने से,देख-भाल करनी है उनकी,पशुओं के खा जाने से।पेड़ सिर्फ है नहीं लगाना,एक स

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वर्षा का इंतज़ार

10 जून 2022
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कुआँ बावड़ी सूखे सब हैं,तालाबों का नाम नहीं,नदियाँ बन गयीं नाले देखो,पानी का है नाम नहीं।हैंडपंप में नहीं है पानी,बूँद-बूँद को तरसे प्राणी,बेदम हो गए जंगल देखो,हरियाली का नाम नहीं।कहीं हैं नदियाँ उफनी

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मंजिल पाकर ही रुकना

10 जून 2022
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पहाड़ों से झर-झर बह रहा है झरना,इधर मैं भी देख रहा हूँ एक सपना ।नदी का आकार ले रहा है झरना,यौनवित हो रहा है मेरा भी सपना।काले अँधेरे से नहीं है डरना,सूरज की रोशनी का यही है कहना।कितनी भी बाधाएँ आयें तु

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जल का संचय

11 जून 2022
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तापमान में वृद्धि के कारण,ग्लेशियर सारे पिघल रहे हैं,पर्यावरण हो रहा असन्तुलित,दुष्परिणाम सब भुगत रहे हैं।प्रकाश छोड़ आग बरसाने को,सूरज जैसे खड़ा अड़ा,डर लगता है पिघल न जाऊँ,मैं भी इक दिन खड़ा-खड़ा।गर्मी क

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वर्षा ऋतु का आनँद

13 जून 2022
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गर्मी की अब आयी बिदाई,वर्षा ऋतु सभी को भायी।वर्षा-काल मेघ नभ छाए,गरजत-बरसत बहुत सुहाए।बरस रहे हैं रिमझिम-रिमझिम,तृप्त हुआ अब तन और मन।आसमान में घना अँधेरा,मेघों ने डाला है डेरा।बरस चुके अब छटा अँधेरा,

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एक शिक्षक की विदाई और एक अपेक्षा

14 जून 2022
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जीवन के अग्निपथ में,यह तो एक मोड़ है,जिंदगी की लम्बी लड़ी में,यह तो एक जोड़ है।एक पल ज़रा ठिठकाना,फिर से ज़रा ये सोचना,क्या करूँ मैं काम ऐसा,याद रखे मुझे ज़माना।।शिष्यों के लिए तो तुमने,दीपक जलाये हजारों,अब

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बेटियों का वजूद

15 जून 2022
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बड़े जतन से बोये जाते हैं बेटे,पर उग आती हैं बेटियॉं,जैसे गेहूँ के खेत में, बेमतलब की झाड़ियाँ,खाद पानी बेटों में,पर लहराकर बढ़ती जाती हैं बेटियाँ।उँगली पकड़ कर चलाये जाते हैं बेटे,पर सरपट दौड़ जाती ह

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किसान के चेहरे पर मुस्कान

17 जून 2022
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भूरे बदरा पानी लाते,काले बदरा जी डरवाते।आसमान में छाई है घटा,छम-छम हो रही है बरखा।बौछारों ने दी है तपन मिटा,प्रकृति बिखेर रही है छटा।धुली-धुली ये फूल-पत्तियाँ,खिलने वाली हैं ये कलियाँ।खेत पर है खड़ा कि

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भारतीय रेल और आज का युवा

18 जून 2022
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भारतीय रेल है जीवन रेखा,हम भारत के लोगों की,हम सब इस पर गर्व करे हैं,सीख ये देती सह-जीवन की।कभी न थकती कभी न रुकती,दिन-रात है चलती जाती,बिना भेदभाव के देखो,सबको मँजिल पर पहुंचती।पूरब से पश्चिम तक चलती

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रेल यात्रा का आनन्द

19 जून 2022
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सिग्नल जब हरा हो जाता,तब ड्राइवर है हॉर्न बजाता,चल देती है लौहपथगामिनी,जब गॉर्ड हरी झण्डी दिखलाता।कोई समूह में कोई अकेले,कोई मस्त है अपनी धुन में,यात्रा सब करते जाते हैं,कोई ले परिवार संग में।कोई सैर-

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पिता का संदेश

19 जून 2022
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आसमान में उड़ते पक्षी,अपना भोजन लाने को,पशु भी देखो टहल रहे हैं,अपना चारा खाने को।मानव भी अब निकल चुका है,अपना कर्म निभाने को,इधर उधर वो भटक रहा है,पैसे चार कमाने को।भरी दुपहरी तपता खपता,पेट की आग बुझा

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समय का फेरा

20 जून 2022
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काली रात का छटा अँधेरा,सूरज ले आया उजियारा,जीवन में आशाओं का डेरा,हो रहा नव सुबह सवेरा।जीवन की इस धूप छाँव में,सुख दुःख ने डाला है डेरा,ये भी इक दिन निकल जायेगा,ये सब है समय का फेरा।जीवन पल-पल बढ़ता जा

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योग लौट रहा योगा बनकर

21 जून 2022
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21 जून को योग हो रहा,है भारत के प्रयासों से,खुश हो दुनियाँ योग कर रही,आश्चर्यचकित है लाभों से।ऋषि पतंजली ने योग सिखाया,है दुनियाँ के लोगों में,योग से देखो *योगा* बनकर,फिर लौटा है भारत में।संस्कृत में

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उफ् ये गर्मी और बेजुबान जानवर

22 जून 2022
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गर्मी का ये सितम तो देखो,पशु-पक्षी सब हैं बेहाल,पानी को सब तरस रहे हैं,बिन पानी सब सूखे ताल।अब मौसम देता है धोखा,कहीं बाढ़ तो कहीं है सूखा,कहीं बूँद बरसात न होती,कहीं नदी रौद्र रूप धर लेती।जब देखा पशुओ

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रेलगाड़ी का सफ़र और बच्चों की मस्ती

23 जून 2022
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भारतीय रेल है प्यारी प्यारी,बच्चों में कौतूहल भारी,आज मिला है मौका उनको,करने को रेल की सवारी।बच्चे चढ़ गए रेल के अन्दर,बैठ गए हैं अब खिड़की पर,तरह तरह के प्रश्न पूँछते,पापा सब बतलाते जाते।नदी नाले खेत प

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गोरी के माथे की बिंदिया

24 जून 2022
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पहाड़ों पर छाई है हरियाली,जैसे गोरी खड़ी हो हरे दुपट्टे वाली।आसमान में छाए काले बादल,जैसे गोरी के आँखों में काजल।गिरती बूँदें आवाज़ करें है छम छम,जैसे बाजे गोरी के पावों की पायल।ऊँचाई से गिरता झरना बह रह

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वर्तमान और समय की बर्बादी

25 जून 2022
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जो बीत गया सो बीत गया,मत सोचो उसके बारे में,लेकर सबक उस वक़्त से अब,बढ़ जायो समय के धारे में।मत सोचो भविष्य में क्या होगा,चिन्ता करने से क्या भला होगा,पर चिंतन अवश्य ही कर लो तुम,कि अब आगे क्या करना होग

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स्टेशन की हलचल

26 जून 2022
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ट्रिन ट्रिन करके खबर हो जाती,लोगों की उत्सुकता बढ़ जाती,रेलगाड़ी जब स्टेशन पर आती,हलचल तब बहुत बढ़ जाती।कोई चढ़ता कोई उतरता,कोई कुली को आवाज़ लगाता,किसी का सफ़र अब खत्म हुआ,तो किसी का अब शुरू हो जाता।कोई इध

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जीवन में कष्ट और धैर्य का महत्व

27 जून 2022
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पतझड़ के बाद ही,नए पत्ते आते हैं,कठिनाई सहने के बाद ही,अच्छे दिन आते हैं।नए हरे पत्तों से ऋंगार करके,पेड़ इठलाता है,मगर उसके पहले वह,कितने कष्ट झेल जाता है।वही जानता है उस कष्ट को,जब एक एक पत्ते छोड़ते थ

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चमकने के लिए तपना पड़ता है!

28 जून 2022
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कैलेण्डर इतराता है,और तारीख़ बदलता जाता है,पर एक तारीख़ ऐसी आती है,जब कैलेण्डर ही बदल जाता है।धूप में तपना पड़ता है,दूर तक चलना पड़ता है,सपनों को साकार करने के लिए , रात रात भर जगना पड़ता है।गिरते गिर

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उड़ान को पँख लगाए जा!

29 जून 2022
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खामोशी से करता चल मेहनत,और अपने हुनर को तराशता जा,पहुँचने के लिए अपनी मँजिल पर,अपने रास्तों से बाधाएं हटाए जा।यदि तू जलाता है दिए,दूसरों के रास्तों पर,तो प्रकाशित होता है रास्ता खुद का भी,इसी उजाले से

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गणित के समीकरण से जीवन की समस्याओं का हल!

1 जुलाई 2022
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मान लिया जाए,तो हार हो जाती है,ठान लिया जाए ,तो जीत तय हो जाती है।जीतने से पहले,मन को मानना होता है,मानने के बाद,जीवन की परिस्थितियों से,गुणा भाग कर,समस्याओं का समीकरण बनाना होता है।समीकरण बनाने के बा

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गुस्से के दुष्परिणाम

3 जुलाई 2022
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किसी का भला न कर सको,तो कोई बात नहीं,पर किसी का बुरा करने का,हमें कोई अधिकार नहीं।गुस्सा आता है,और दिमाग पर छा जाता है,दूसरों का कम,और खुद का नुकसान ज्यादा कर जाता है।क्रोध अकेले आता है,पर साथ में बहु

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रिश्तों को सम्हालना सीखिए...

4 जुलाई 2022
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बाँधो अगर किसी से रिश्तों की डोर,तो सम्हालो बड़े अरमान से,रिश्तों का आदर करना सीखो,रिश्ते होते हैं बड़े काम के।रिश्तों को देना पड़ता है समय,और सींचना पड़ता है प्यार से,तब जड़ें जमती हैं गहराई में,और पेड़ बन

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दौलत और मन का सुकून

5 जुलाई 2022
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ऐ रब! ऐसा दिन कभी न दिखाना,कि खुद के ग़ुरूर में खो जाऊँ,पल दो पल अपनों के साथ बैठ न सकूँ,अपने आप में इतना मगरूर हो जाऊँ।न देना दुनियाँ भर की दौलत मुझे,पर बख़्श देना इतनी खुशियाँ ज़िन्दगी में,कि दिन भर का

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शब्दों की ताक़त

7 जुलाई 2022
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शब्द मीठे होते हैं,शब्द कड़वे होते हैं,शब्द चख चख कर ही बोलिये,क्योंकि शब्दों के स्वाद होते हैं।शब्द कोमल होते हैं,शब्द कठोर होते हैं,शब्दों को तोल मोल कर बोलिये,क्योंकि हर शब्द का घनत्व होता है।शब्द त

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क्या भाग्य होता है ?

9 जुलाई 2022
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सवाल है कि भाग्य होता है,या नहीं होता है,लेकिन ये सच है कि,बिना कर्म के भाग्य अकेला होता है।भाग्य, कर्म और समय का,योगफल होता है,जो जितना ज्यादा मेहनत करता है,उसका भाग्य उतना ज्यादा चमकीला होता है।अगर

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दोस्ती

6 अगस्त 2022
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दोस्ती है एक अनमोल गहना,इसका है कोई मोल ना।जिसके पास होता है दोस्ती रूपी गहना,उससे अमीर दुनियाँ में है कोई ना।।दोस्ती से बड़ा कोई धर्म नहीं होता,दोस्त से बड़ा कोई हमदर्द नहीं होता।दोस्ती से बड़ा कोई रिश्

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गणपति वंदना

31 अगस्त 2022
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हे! जगवन्दन,पार्वती नन्दन,ग्रहण करो आसन,करूँ मैं अभिनन्दन।प्रथम पूज्य गजानन,मूषक वाहन,हे! लम्बोदर,कृपा करो आजीवन।मोदक प्रियम् ,एक दंतम् ,हे! विनायकम् ,प्रणाम वक्रतुण्डम् ।हे! विघ्न हर्ता,हे! सुख कर्ता

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एक अन्जान मदद

1 सितम्बर 2022
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पीहर आयी थी एक बहन,मनाने त्योहार रक्षाबन्धन,गाँव पहुँचने का न था कोई साधन,चल दी पैदल एक राहगीर बन।सावन का था महीना,पर चिलचिलाती धूप से था सामना,दो छोटे बच्चे साथ थे पैदल,और एक को था गोद में थामा।वो सड़

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एक गर्वित शिक्षक

4 सितम्बर 2022
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शिक्षक तो है बहता पानी,उसका नहीं है कोई सानी,उसके ज्ञान की गंगा में बहकर,अज्ञानी बन जाते हैं ज्ञानी।शिक्षक सड़क हैं एक समान,दोनों के हैं कर्तव्य महान,इन दोनों की राह पर चलकर,मँजिल हो जाती है आसान।गुरु

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बेटा-बेटी पढ़ जायेंगे!

6 सितम्बर 2022
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घनघोर घटा जब उठती है,तब अँधकार छा जाता है,बिजली जब जोर कड़कती है,मन सहम सहम सा जाता है।लेकिन फुहार जब गिरती है,धरा से मिलन वो करती है,होता आलिंगन जब दोनों का है,तब भीनी खुशबू उठती है।धरा की तपन जब मिटत

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परी लोक की सैर

9 सितम्बर 2022
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बालमन भी विचित्र कल्पनायें करता है,भूरे बादलों में उसे हाथी बनता दिखता है,हवा के रुख के साथ चलते बादलों में,कोई आकार बनता और बिगड़ता है।कभी खरगोश कभी बिल्ली कभी चूहा देख,वह प्रसन्न होता है,तो कभी भालू

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परी लोक की सैर

9 सितम्बर 2022
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बालमन भी विचित्र कल्पनायें करता है,भूरे बादलों में उसे हाथी बनता दिखता है,हवा के रुख के साथ चलते बादलों में,कोई आकार बनता और बिगड़ता है।कभी खरगोश कभी बिल्ली कभी चूहा देख,वह प्रसन्न होता है,तो कभी भालू

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परी लोक की सैर

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बालमन भी विचित्र कल्पनायें करता है,भूरे बादलों में उसे हाथी बनता दिखता है,हवा के रुख के साथ चलते बादलों में,कोई आकार बनता और बिगड़ता है।कभी खरगोश कभी बिल्ली कभी चूहा देख,वह प्रसन्न होता है,तो कभी भालू

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परी लोक की सैर

9 सितम्बर 2022
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बालमन भी विचित्र कल्पनायें करता है,भूरे बादलों में उसे हाथी बनता दिखता है,हवा के रुख के साथ चलते बादलों में,कोई आकार बनता और बिगड़ता है।कभी खरगोश कभी बिल्ली कभी चूहा देख,वह प्रसन्न होता है,तो कभी भालू

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बाज की उड़ान

11 सितम्बर 2022
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पँख तो हर परिन्दे के होते हैं लेकिन,हर परिन्दा ऊँची उड़ान भर नहीं पाता,पँख तो मुर्गे के भी होते हैं,पर वो बाज बन नहीं पाता।बाज अपने बच्चे को उड़ान सिखाने के लिए,एक हजार फुट की ऊँचाई से गिराता है,रोज बहु

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मैं क्यों मनाऊँ हिन्दी दिवस!

13 सितम्बर 2022
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मैं क्यों एक दिन का उत्सव मनाऊँ,मैं तो रोज हिन्दी दिवस मनाता हूँ,मैं रोज हिन्दी में बोलता हूँ,और रोज हिन्दी का उत्सव मनाता हूँ।मैं रोज हिन्दी में सोचता हूँ,हिन्दी में लिखता हूँ,हिन्दी में पढ़ता हूँ,और

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अंतरिक्ष की सैर

24 सितम्बर 2022
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धरती सूरज चाँद सितारे,अंतरिक्ष में स्थित हैं सारे,सभी लगे हैं प्यारे प्यारे,जीवन का आधार हैं सारे।चाँद लगाए पृथ्वी का चक्कर,धरा घूम रही अपने पथ पर,सूर्य ग्रहों का केंद्र बिंदु है,सभी लगाते हैं उसका चक

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शक्ति की भक्ति

2 अक्टूबर 2022
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शक्ति की भक्ति में,डूबा हर व्यक्ति है,माँ की आराधना को,"दीप" आई नवरात्रि है।बिना उसकी मर्जी से,हिलती नहीं पत्ती है,दुनियाँ को चलाने वाली,वो ऐसी आदि शक्ति है।देवी की भक्ति से,मिलती नव शक्ति है,फूल और प

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एक महात्मा

2 अक्टूबर 2022
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सत्य अहिंसा के पुजारी को,हम प्यार से 'बापू' कहते हैं,२ अक्टूबर, जन्मदिवस पर,आज नमन हम उनको करते हैं।अफ्रीका में भेदभाव के,वो शिकार जब होते हैं,सविनय अवज्ञा आंदोलन से,वो जबाव तब देते हैं।भेदभाव के समूल

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एक थे लाल बहादुर शास्त्री

2 अक्टूबर 2022
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*एक थे लाल बहादुर शास्त्री*छोटा कद और बड़े इरादे,शास्त्री जी की पहचान बनाते,सादा जीवन उच्च विचार,शास्त्री जी जीवन में अपनाते।जो कहते वो करके दिखाते,पहले वो मिशाल बन जाते,अन्न की कमी के कारण खुद वो,एक स

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मेरे आदर्श: राम

4 अक्टूबर 2022
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राम तो हैं आदर्श हमारे,कौशल्या के राजदुलारे,वो अयोध्या धाम में पधारे,भारतीय जनमानस के प्यारे।आदर्श पति,आदर्श भाई हैं,आदर्श पुत्र के मानक न्यारे,पिता वचन न जाये खाली,इसीलिए वनवास स्वीकारे।आदर्श दोस्त क

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आज का रावण

5 अक्टूबर 2022
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कहाँ दिखता है अपने अन्दर का रावण,कहाँ मरता है अपने अन्दर का रावण,जलाने चले हैं हम पुतले रावण को,रावण,कुम्भकर्ण,मेघनाथ सब मिल जाएँगे,अपने अन्दर तो झाँको।त्रेतायुग में रावण ने हरा माता सीता को,आज हर गली

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नारी तेरे रूप अनेक

6 अक्टूबर 2022
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हे नारी! तेरे रूप अनेक,तू सृष्टि का आधार है एक,माँ बनकर तू सृष्टि चलाती,मानवता पर उपकार कर जाती।पत्नी बन परिवार चलाती,बेटी बन दुलार दिखलाती,बहू रूप में आदर्श हो जाती,उस घर को है स्वर्ग बनाती।बहना बनकर

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सुहाना बचपन

7 अक्टूबर 2022
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बचपन था वोबड़ा सुहाना,हौले से वो माँ का जगाना,नहा-धो तैयार हो जाना,पट्टी लेकर स्कूल को जाना।पट्टी को गुट्टे से चमकाना,खड़िया का एक घोल बनाना,कलम दवात को लेकर अपनी,अ आ इ ई लिखते जाना।न टेबल न कुर्सी तब थ

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न होना तुम कभी निराश!

9 अक्टूबर 2022
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न होना तुम कभी निराश,जीवन में रखना विश्वास,कितना भी हो घना अँधेरा,चीर तिमिर आएगा प्रकाश।हर रात में दिन है समाया,हर दुःख में है सुख की आस,हर शाम से सुबह जुड़ी है,यही प्रकृति में दृढ़ विश्वास।हर भूत में भ

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प्रकृति की चेतावनी

6 जून 2023
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उठा कुदालपेड़ लगागर चाहिए छाँवन जलें पाँवगर चाहिए हवादूर रहे दवागर चाहिए फलस्वस्थ रहें हर पलगर चाहिए जलबना रहे हमारा कलगर चाहिए साँसऔर जीवन की आसगर चाहो चंहु ओर मंगलबढ़ाओ खूब जंगलगर चाहो शीतल पवनलगाओ जम

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आन बान और शान तिरंगा

19 अगस्त 2023
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🇮🇳*आन बान और शान तिरंगा*🇮🇳 मेरे मन का मान तिरंगामेरी साँसों का आयाम तिरंगामेरे सरगम की तान तिरंगाऔर मेरा है गुमान तिरंगा।लहर लहर लहराए तिरंगासबके मन को भाए तिरंगाहम सब हैं फहराएं तिरंगासबके द

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देश प्रथम-सर्वदा प्रथम

19 अगस्त 2023
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वो वीर निराले होते हैं,ऐसे मतवाले होते हैं,अपने देश की रक्षा की खातिर,अपने प्राण आहुति देते हैं।इन जांबाजों के जीवन में,देश प्रथम ही होता है,मर मिट जाते हैं वतन की खातिर,देश सर्वदा प्रथम ही होता है।कह

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मिशन चन्द्रयान 3

23 अगस्त 2023
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*मिशन चन्द्रयान 3*आज लहराएगा चाँद पर तिरंगा मेरा,आज उतरेगा चाँद पर चन्द्रयान मेरा,कैसे संभालूँ मैं अपने आपको,पुलकित हो नाच रहा मन मयूरी मेरा।अभी तक देखा था चाँद को सिर्फ दूर से,आज होंगे दीदार इस

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गणपति देवा

19 सितम्बर 2023
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हे जगवंदन पार्वती नंदनहै आपका वंदन अभिनंदनप्रभु पधारो मेरे घर द्वारमुझ पर कृपा करो तुम अपार।कहलाते प्रभु तुम एक दन्त होआपका नहीं कोई आदि-अंत हैजो मन से है आपको ध्यावेनिर्विघ्न कार्य का फल वो पावे।चंचल

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प्यारी बेटियाँ

24 सितम्बर 2023
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बेटियाँ हैं तो कल हैबेटियों से खुशियाँ हर पल हैंबेटियाँ हैं कुदरत का अनमोल उपहारउनसे ही आगे बढ़ता है घर संसार।बेटियाँ बोझ नहीं सम्मान होती हैंहर घर की गीता और कुरान होती हैंहर पल रखती है ख़याल अपनों काऔ

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