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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम...

Devendra Tripathi

6 अध्याय
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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम....एक सच्ची मोहब्बत की कहानी है। ये कहानी रोमांस से शुरू होकर एक ऐसे मोड़ से गुजरती है, जहाँ पर सच्चे प्यार की कोई कीमत नही है और न ही किसी की भावनाओ की कद्र। ऐसे प्यार, तकरार, वफ़ा, बेवफाई और तमाम जिंदगी के उतार चढ़ाव से चलती हुई आखिर में अपने सच्चे प्यार के मुकाम को हासिल करती है। आशा है यह कहानी आपको पसन्द आएगी।  

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पुस्तक के भाग

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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम.... भाग- १

3 अगस्त 2022
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क्या बरखुरदार सुबह सुबह इतनी हड़बड़ाहट में क्यों हो? दुकान पर जाने के लिए अपनी बाइक निकालते हुए- खुशवंत जी (मनमीत के पापा) बोलते है..... अरे कुछ नही अंकल जी.. बस ऐसे ही... अमरदीप बोलता है। (अमरदीप खुशव

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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम... भाग-२

3 अगस्त 2022
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बाइक खड़ी करके सुनयना के साथ अमर भी उसके घर जाता है। घर पर सुनयना की माँ- आँटी नमस्ते!- अमर बोलता है। नमस्ते बेटा!- आ गए तुम लोग....... हाँ माँ!- आ गया आपका लाडला..... अरे क्यों नही??- मेरा तो लाडला

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मेरे हमदम मेरे हमसफ़र... भाग-३

4 अगस्त 2022
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देर रात तक अमर आज पुराने खयालो में डूबा रहा और आज ख़ुशवंत अंकल से हुई बातचीत को याद कर रहा है। दूसरी ओर मनमीत की नज़र में आज अमर की इज्जत और बढ़ गयी है, साथ ही एक रूहानी इश्क़ जो मनमीत के मन मे अमन के लिए

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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम...भाग-४

6 अगस्त 2022
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दूसरे दिन सुबह...... अमर जल्दी ही तैयार होकर सुनयना के घर पहुँचता है। सुनयना इंटरव्यू के लिए तैयार हो रही है, और उधर सुनयना के पापा अमर को नास्ता करने के लिए बोल रहे है। अमर फटाफट नास्ता करके सुनयना क

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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम.... भाग-५

7 अगस्त 2022
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अगली सुबह सुनयना के आफिस का पहला दिन.... नई जगह, नया डेस्क और नए लोग सबकुछ देखकर सुनयना अपने को उस वातावरण में ढालने की कोशिश कर रही है। सुनयना अपने डेस्क पर बैठकर बहुत खुश है, आज उसका कॉन्फिडेंस और ब

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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम...भाग-६

8 अगस्त 2022
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दिन बीतने लगते है, मनमीत हर रोज की तरह अमर के लिए नास्ता खाना सबकुछ बनाती रहती है। दूसरी ओर सुनयना की नौकरी भी बहुत अच्छी चलने लगती है...अब तो हर दिन सुनयना सुबह जल्दी आफिस पहुँच जाती है और देर शाम तक

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