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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम.... भाग- १

3 अगस्त 2022

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क्या बरखुरदार सुबह सुबह इतनी हड़बड़ाहट में क्यों हो? दुकान पर जाने के लिए अपनी बाइक निकालते हुए- खुशवंत जी (मनमीत के पापा) बोलते है.....
अरे कुछ नही अंकल जी.. बस ऐसे ही... अमरदीप बोलता है।

(अमरदीप खुशवंत जी के यहाँ किराये पर रहता है, और वकालत की पढ़ाई  कर रहा है। खुशवंत अपनी बेटी मनमीत के साथ अकेले ही इस हवेली में रहते है। मनमीत भी कॉलेज में पढ़ती है, और अमरदीप को पसन्द करती है।)

अच्छा ठीक है बेटा..मैं तो चला दुकान पर...मैंने बोल दिया है मनमीत को तुम्हारे लिए नास्ता और चाय बना रही है, करके ही जाना- ख़ुशवंत जी बोलते हुए गाड़ी स्टार्ट कर दुकान के लिए निकल जाते है।

अमरदीप सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हुए....मनमीत को आवाज देता है...
जी! आई......हाँ बताईये.....क्यों गुस्सा हो रहे है आप इतना....मनमीत अंदर से बोलती हुई दरवाजा खोलती है।
अमरदीप- ये क्या मैसेज भेजा है तुमने मेरे मोबाइल पर....तुम्हे पता नही है क्या कि मेरी शादी होने वाली है और मैं अपने होने वाली पत्नी से बहुत प्यार करता हूँ। आइंदा ऐसी हरकत मत करना... समझी....
मनमीत- आप गुस्सा मत होइए....मुझे आप अच्छे लगते है तो मैंने लिखकर भेज दिया....अब मैं आपसे प्यार करती हूँ तो इसमें मेरी क्या खता....आप प्यार नही करते कोई बात नही.....

अमरदीप अपने कमरे में वापस आता है और तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल जाता है। उधर मनमीत नास्ता बनाकर लेकर आती है तो देखती है कि अमरदीप बिना नास्ता किये ही निकल गया है....यह देखकर मनमीत बहुत दुखी हो जाती है, और अपने ऊपर गुस्सा करती है।

खैर मनमीत भी अपने कॉलेज चली जाती है।

दूसरी ओर अमरदीप कॉलेज के रास्ते मे अपनी गर्लफ्रैंड सुनयना को उसके घर से लेकर कॉलेज की ओर निकलता है। अमर को परेशान देख सुनयना-
क्या बात है, परेशान लग रहे हो.....
अमर- कुछ नही यार, बस ऐसे ही.....
सुनयना- नही बताना चाहते तो कोई बात नही......
अमर- ऐसा कुछ नही है, आराम से बैठकर बताऊंगा.....
सुनयना- ओके! लेकिन मुस्कुरा तो दो....
अमर- मुस्कुराते हुए.... चलो तुम्हारा कॉलेज आ गया, मिलते है शाम को.....ओके बॉय....
सुनयना- बाय बाय....

अमर सुनयना से बेइंतहा मोहब्बत करता है और यह बात सुनयना के घर में भी सबको पता है। सुनयना के घरवाले इस रिश्ते से बेहद खुश हैं और अमर की वकालत की पढ़ाई होने के तुरंत बाद शादी करने वाले हैं।

सुनयना आजाद ख्यालों की बेहद ऊँचे खयालो वाली लकड़ी है, उसे गरीबी और मिडिल क्लास फैमिली की लाइफ अच्छी नही लगती, उसे अमीर लोग ज्यादा भाते है। सुनयना अमर की शराफत, सादगी और केयरिंग होना तो पसन्द है लेकिन वह चाहती है कि अमर बहुत बड़ा आदमी बने।  दूसरी ओर अमर एक आम परिवार से ताल्लुक रखता है, और उसके घर मैं अपना कोई सगा नहीं है इसलिए यहाँ शहर में वकालत की पढ़ाई अपने खर्चे पर कर रहा है।

सुनयना के पापा और अमर के पापा किसी समय एक साथ काम किया करते थे, जिसकी वजह से दोनों घरों में आना जाना और जान पहचान है। अमर एक खुद्दार और मेहनत पसन्द व्यक्तित्व का है इसलिए सुनयना के पापा के कहने पर भी वह कभी उनके घर नही रहा और वह दूसरी जगह ही अपनी कमाई के पैसे से किराये के मकान में ही रहा है।

कॉलेज से लौटते हुए अमर सुनयना को कॉलेज से लेता है-
सुनयना- अब बताओ...सुबह क्या कहने वाले थे.....
अमर- अरे, कुछ नही.....बस ऐसे ही....
सुनयना- अच्छा चलो, कैफ़े चलते है, एक एक कप कॉफी पीते हुए बात करते है...
अमर- बाइक कैफ़े की ओर लेकर जाता है....
दोनों कैफ़े पहुँचते है, और कॉफी आर्डर करते है.....

सुनयना अमर से...... अब बताओ क्या हुआ?
अमर- कुछ नही, आज सुबह मनमीत (मेरे मकान मालिक की बेटी) ने ये मैसेज किया, और मोबाइल में मैसेज ओपन करके सुनयना को देता है।

सुनयना मैसेज पढ़ती है और.... अच्छा! तो यह मामला है...मनमीत तुम्हे प्यार करती है और जोर जोर से हँसने लगती है।
अमर- अरे! क्या हुआ तुम्हे माजक सूझ रहा है। मैंने तो आज उसे बहुत अच्छे से समझा दिया कि आगे से ऐसा कुछ करने की जुर्रत न करे, मेरी जिंदगी में कोई और है।

सुनयना- अरे इतनी सफाई देने की जरूरत नही है। लेकिन सुबह सुबह तुमने एक लड़की का दिल तोड़ दिया। इसमें क्या बुराई है, तुम्हें तो वो पंसद आनी चाहिए।
अमर- बस हो गया तुम्हारा....मेरी जिंदगी में तुम्हारे अलावा कोई और नही है। समझी!!!!!! चलो अब घर के लिए लेट हो रहा है।

सुनयना- अच्छा बाबा! गुस्सा मत हो....चलती हूँ। बस इसी बात से तो मैं तुमपर फिदा हूँ जानेमन.....
अमर- अब बस भी करो.....शादी के बाद करेंगे प्यार मोहब्बत..
सुनयना- अरे! बाप रे.....चलो नही तो मम्मी आज ही हमारी शादी करा देंगी। आज मंदिर भी जाना है उनके साथ....सुबह ही बोल रही थी शाम को चार बजे तक आ जाना.... थोड़ा बाजार जाना है और फिर मंदिर होते हुए लौटेंगे..... जल्दी चलो यार....

दोनों घर के लिए रवाना होते है.........

क्रमशः...........

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Accha part hai intresting story

3 अगस्त 2022

Devendra Tripathi

Devendra Tripathi

4 अगस्त 2022

Thanks!🙏

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रचनाएँ
मेरे हमसफ़र मेरे हमदम...
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मेरे हमसफ़र मेरे हमदम....एक सच्ची मोहब्बत की कहानी है। ये कहानी रोमांस से शुरू होकर एक ऐसे मोड़ से गुजरती है, जहाँ पर सच्चे प्यार की कोई कीमत नही है और न ही किसी की भावनाओ की कद्र। ऐसे प्यार, तकरार, वफ़ा, बेवफाई और तमाम जिंदगी के उतार चढ़ाव से चलती हुई आखिर में अपने सच्चे प्यार के मुकाम को हासिल करती है। आशा है यह कहानी आपको पसन्द आएगी।
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