हिन्दी के कथाकारों में आचार्य चतुरसेन का महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य जी ने मुग़लकालीन तथा ब्रिटिश इतिहास का अध्ययन विशेष रूप से किया था । तत्कालीन राजघरानों से उनका निकट का संबंध रहा था इनको आधार बनाकर उन्होंने कहानियाँ तथा अनेक उपन्यास लिखे जो अनाज भी सार्थक हैं । साथ ही, सामाजिक विषयों पर उत्कृष्ट कहानियाँ भी लिखी । प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ उन्होंने स्वयं पसंद की और उन पर टिप्पणियों भी लिखी हैं ।
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