24 मई 2023
समंदर की लहरें मचलती रहींआसमान छूने के लिए पर मगरूर फ़लक झुक न सका इश्क़-ए-मोहब्बत में जीने के लिए।©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)