"महादेवी वर्मा " जिनके लिए शब्द भी कम पड़ जाते हैं। हिंदी साहित्य की मिसाल, कवियत्री और लेखक जिनका नाम अपने आप में एक अद्भुत शक्ति को स्मरण करवाता है। महादेवी वर्मा जी की आज पुण्यतिथि है, यानी के आज 11 सितंबर के दिन वो दिन था जिस दिन एक कलम खत्म हुई थी पर लेकिन आज तक वो कलम लोगों को महज याद ही नहीं बल्कि साक्षात्कार उनकी रचना के रूप में हमारे सामने भी है। महादेवी वर्मा द्वारा रचित पाठ "भक्तिन " खासतौर पर मुझे बहुत प्रभावित किया है। उनकी रचना केवल दिल को छू जाने वाली ही नहीं बल्कि मन को संतुष्ट करने और इंसान को दुनिया की भीड़ से अलग बनाने का एक मात्र मार्ग है। महादेवी वर्मा का नाम सुनते ही मेरा मन उनके द्वारा लिखी कोई कहानी, कविता या लेख पढ़ने का मन करता है। बतौर लेखक जो कुछ महादेवी वर्मा ने हासिल किया और जो लोगो की चाह और प्रेम उन्होंने हासिल किया। वो वाकेई काबिले तारीफ़ है। आज सिर्फ हिंदी साहित्य से जुड़े और किताबें पढ़ने वाले ही नहीं, बल्कि इसके अलावा कईं लोग लेखिका को जानते हैं। भारत सरकार द्वारा स्कूलों में ncert की हिंदी की पुस्तकों में महादेवी वर्मा की कईं रचनाओं को शामिल कर देश में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। महादेवी वर्मा को अन्य वर्ग के लोग तेजी से जान रहे हैं पर लेकिन सरकार ने इस महान हस्ती को हमारे देश के भविष्य यानि के बच्चों से अवगत करवाकर एक अच्छा कार्य किया है।