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मिलन (एक प्रेम कहानी)

2 अप्रैल 2023

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 ---------------- मिलन --------------                                                   यह बात उन दिनों की है जब मैं और मेरा दोस्त जतिन दोनों ने इंटर का फाइनल एग्जाम देने के बाद, एक कंप्यूटर क्लास ज्वाइन किया था, वहीं हमारी नज़र सिमरन नाम की एक खुबसूरत लड़की पर पड़ी थी, जिसे देखते ही जतिन को उससे इश्क़  हो गया था,मेरा दोस्त जतिन उस लड़की की सादगी और  सुंदरता पर पुरी तरह से फ़िदा हो चुका था, ऐसे जतिन भी किसी हीरो से कम नहीं था , लंबे कद का कसरती बदन और बेहतरीन नैन नक्श ,आकर्षक व्यक्तित्व वाला शर्मिला लड़का था, 
वक्त यूं ही गुजर रहा था और देखते ही देखते तीन-चार दिनों में उधर से भी इश्क़ के इशारे मिलने लगे थे, दोनों तरफ़ आग बराबर की लगी थी,वह उसे नजरें बचाकर देख लेती और जतिन  सब जानते हुए भी अनजान बन जाता था,इसी तरह वक़्त गुज़र रहा था , पर अभी तक दोनों के बीच क्लास में  कोई बात नहीं हो पा रही थीं, सिर्फ़ आंखों की गुस्तखियों से ही काम चल रहा था, फ़िर एक दिन जतिन किसी तरह  हिम्मत करके उस से बात करता है और उसका वॉट्सअप नंबर मांग लेता है कुछ दिन  फॉर्मल मैसेज भेजने के बाद एक दिन मैसेज के ज़रिए ही अपनी मुहब्बत का इजहार कर देता है, प्यार का मैसेज मिलने के बाद  उसका बिहेवियर ही एक दम चेंज हो जाता है,अब वह जतिन से नज़रें चुराने लगती है , दो-चार दिन तक वह एकदम गुमसुम बनी रही, ऐसा लग रहा था के जैसे उसके ज़ेहन में  कुछ कसमकश चल रहा था, इधर जतिन भी टेंशन में था के पता नहीं सिमरन की तरफ़ से इकरार होगा या इंकार होगा , पर तीन-चार दिन गुजरने के बाद उसका रवैया बदलने लगा , वह जतिन के प्रति अपने प्यार को ना छुपा सकी और मैसेज के ज़रिए ही अपने प्यार का इज़हार कर दिया, दोनों के बीच अब इश्क़ चलने लगा था ,दोनों अशिक अब इश्क़ के समुद्र में डुबकियां लगाने लगे थे,दोनों में मोबाइल पर अब घंटों बातें होने लगी और रु बा रु मिलने के लिए कंप्यूटर  क्लास तो था ही,सब कुछ सही चल रहा था, जब तक कंप्यूटर क्लास चलता रहा तब तक तो दोनों के मिलने में कोई परेशानी नहीं हुई पर कंप्यूटर का कोर्स ख़तम होने के बाद चीज़ें अब पहले की तरह आसान नहीं रह गईं थीं, क्यों की सिमरन को घर से निकलने की ज़्यादा आज़ादी नहीं थी,                               सिमरन के दो भाई और एक बड़ी बहन थी, बहन की शादी दो साल पहले ही हो चुकी थी ,वह अपनी बहन के बारे में बताती थी के उसके जीजा जी एक बड़े बिजनेस मैन हैं पर उसकी  दीदी वहां खुश नहीं है क्योंकि   उसके जीजा का चाल चलन ठीक नहीं है, हर रोज किसी ना किसी लड़की का फोन उनके मोबाइल पर आता रहता है इस बात को लेकर उन दोनों में हमेशा बहसा बहसी होती रहती थी, सिमरन को जतिन पर इतना भरोसा था के वह अपने घर की पर्सनल बातें भी जतिन के साथ शेयर करती थी,इसी तरह वक्त गुजर रहा था और दोनों के प्यार में शिद्दत आने लगी थी वह उसे शादी के लिए ज़ोर देने लगा, हफ्ते में चार पांच बार वे बाइक  से उसके घर के चक्कर लगा लेता था इस तरह बार-बार आने से उसके घर वालों को भी  उस पर शक हो गया था,उसके भाइयों ने जब उसके बारे में सिमरन से पूछा तो सिमरन ने भी उसके बारे में अपने घर वालों को सब कुछ सही सही बता दिया और जज़्बात में आकर यह भी  कह दिया कि वह शादी करेगी तो उसी से, वरना ज़हर खा कर मर जाएगी, सिमरन के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसके भाइयों ने  उसके खिलाफ बहुत सख्त कदम उठाया और उसका घर से निकलना पुरी तरह बंद हो गया उसका कॉल आना भी बंद हो गया , इस कारण जतिन को सिमरन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पा रही भी जिस कारण वह काफी बेचैन था, वह हिम्मत करके उसके घर की तरफ जाता पर कभी भी सिमरन पर उसकी नज़र नहीं पड़ी, जिस कारण उसकी बेचैनी और बढ़ गई। इसी तरह लग भग एक महीना गुज़र गया।         
 
 एक दिन जब मैं किसी काम से सिमरन के घर की तरफ से जा रहा था तो मैंने सिमरन के घर के सामने भीड़ देखी तो मैं घबरा गया, मैंने बाहर खड़े एक आदमी से पूछा कि आखिर बात क्या है यहां पर इतनी भीड़ क्यों है उस आदमी ने कहा सिकंदर की बेटी मर गई, इतना सुनते ही, मेरा दिल दहल गया आंख से आंसू निकलने लगे, उसका मासूम चेहरा मेरे आंखों के सामने घुम गया, मैं एक पल भी वहां ठहरे बिना जतिन के घर की तरफ अपनी बाइक को मोड़ दिया मैं फुल स्पीड पर बाइक को चलाता जा रहा था, मैं जल्द से जल्द उसके पास पहुंचना चाहता था और रास्ते में यही सोचता जा रहा था कि उन्होंने उस मासूम को कैसे मार दिया और यह खबर में जतिन को कैसे सुनाऊंगा कुछ मिनटों में ही, मैं जतिन के घर पहुंच गया वह घर के बाहर ही खड़ा था उसे देख कर मैं अपने आंसू ना रोक सका और बिफर पड़ा वह कहने लगा अरे क्या हुआ रो क्यों रहा है, मैंने  उसे अपनी लड़खडाती हुई ज़बान से सब कुछ कह दिया, के सिमरन के घर वालों ने सिमरन को जान से मार दिया है,इतना सुनते ही वह सकते में आ गया और उसका मुंह और आंखें खुली की खुली रह गईं ,चंद सेकेंड के बाद उसके मुंह से चीख सुनकर उसके घर वाले भी बाहर आ गए मैंने उन्हें भी सारा माजरा सुना दिया क्यों की वह लोग सिमरन के बारे में पहले से ही जानते थे, इधर जतिन  मुझे थामे लगातार रोए जा रहा था ,उसकी आवाज में भी अजीब सी धुंध आ गई थी ,वह संभाले नहीं संभल रहा था ऐसी हालत हो गई थी जैसे अब वह पागल हो जाएगा मैं उसे क्या बोल कर दिलासा दूं ,मुझे कुछ  समझ में नहीं आ रहा था, वह बार बार सिर्फ एक ही बात कहे जा रहा था मुझे ले चलो सिमरन के पास, मुझे ले चलो सिमरन के पास, मैंने उसके छोटे भाई को उसे संभालने के लिए कहा और अपनी बाईक स्टार्ट करने लगा और उसके छोटे भाई को जतिन को साथ लेकर पीछे बैठने के लिए कहा क्यों की जतिन की हालत ठीक नहीं थी, 
 मैंने भी बाइक को स्टार्ट किया और तेजी से जतिन को लेकर सिमरन के घर की तरफ चल दिया जहां कयामत आई हुई थी वह मुझ पर लदा हुआ था एक मुर्दे जिस्म की तरह ,उसके आंसुओं से मेरा शर्ट भीगता हुआ महसूस हो रहा था और वह बड़बड़ा ता जा रहा था उन्होंने मार दिया मेरी सिमरन को,कैसे उन्होंने उस मासूम को मार दिया थोड़ी ही देर में हम लोग उसके घर के सामने पहुंच चुके थे भीड़ और बढ़ चुकी थी मैंने बाइक रोकी तो वह तेज़ी से नीचे उतर गया उसकी आंखें गुस्से और गंम से एक दम लाल हो रही थीं और उसका पुरा शरीर गुस्से से कांप रहा था, उसकी हालत देखकर मैं और डर गया कि पता नहीं अब और क्या मुसीबत आने वाली है मैं उसे समझाने लगा होशो हवास रख पागल मत बन, मेरे बाइक लगाते लगाते वह उसके घर के अंदर जाने लगा, वह किसी की बात नहीं सुन रहा था उसकी हालत देखकर सभी लोग उसकी तरफ देखने लगे वह किसी की परवाह किए बगैर सब को चीरता हुआ घर के अंदर चला गया घर के अंदर एक कमरे में एक लाश रखी हुई थी लाश के अगल-बगल उसके रिश्तेदार खड़े थे पर उसे तो जुनून में कुछ भी सूझ नहीं रहा था वह लाश के पास घुटने के बल बैठ गया और बेतहाशा रोने  लगा तुम ने मेरे लिए अपनी जान दे दी, तुमने मेरे लिए अपनी जान दे दी सिमरन, तभी उसे एहसास हुआ के उसके सर पर किसी ने हाथ रख दिया है उसका दुपट्टा उसके चेहरे के सामने झूल रहा था जब उसने आंखें उठाकर देखी तो वह अचंभित रह गया, वह सिमरन थी उसके देखते ही जैसे उसके बदन में बिजली दौड़ गई वह बदहवास हो कर उठा और किसी की परवाह किए बगैर उसे गले से लगा लिया सिमरन भी उसे पकड़ कर रोए जा रही थी और कहे जा रही थी मार दिया मेरी फूल सी दीदी को उस ज़ालिम वहसी ने, घर के सभी लोग उन दोनों को  देख रहे थे पर किसी में हिम्मत नहीं थी कि वह उन दोनों को अलग कर पाते।
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