सन्नी और साहिल दो जिगरी दोस्त थे उनकी दोस्ती भी ऐसी थी के मोहल्ले में इनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, जहां देखो चाहे घर हो ,मोहल्ला हो, बाजार हो मैदान हो ,हर जगह यह दोनों जोड़े के रूप में ही नजर आते थे और ऐसी दोस्ती इनकी बचपन से ही थी ,अगर इन्हें लंगोटिया यार कहा जाए तो यह इनकी दोस्ती पर सटीक बैठता है,दोनों के बीच कोई रिश्तेदारी तो नहीं थी पर इनके घर के लोग खास अवसरों पर जैसे त्यौहार, शादी वगैरह में एक-दूसरे के यहां आते जाते रहते थे। दोनों दोस्तों की पढ़ाई मैट्रिक तक तो साथ साथ चली पर मैट्रिक में सन्नी के फेल होने और उसके पिता की आकस्मिक मृत्यु के कारण वह आगे की पढ़ाई न कर सका ।पिता की अचानक हुई मृत्यु के कारण उस पर एकदम से अपने परिवार के लालन पोषण का बोझ आन पड़ा ।पढ़ रही थी उसकी एक बड़ी बहन भी थी पर बाप ने अपनी जिंदगी में ही कम उम्र में उसकी शादी नाते रिश्तेदारों से कर्ज लेकर कर दी थी और वह अपने ससुराल में खुश थी अब सन्नी के परिवार में उसके बाप के मरने के बाद कुल तीन जन थे सन्नी की मां और उसका छोटा भाई सोनो जिसकी जिम्मेदारी सन्नी के कंधो पर थी उसके परिवार का एकमात्र आर्थिक सहारा स्टेशन रोड में एक टायर की दुकान की आमदनी थी जो उसके पिता ने बीस पच्चीस सालों से सड़क के धूल, धुआं से अपने कलेजे को छलनी कर टिकाए रखी थी पर जिंदगी की कशमकश को झेलते झेलते अंदरूनी तौर पर उसके फेफ़डे बिल्कुल खोखले हो चुके थे और एक दिन अपनी बीमारियों से जूझते जूझते मौत के बेरहम पंजों ने उसके फेफड़ों को निचोड़ कर उसकी रूह को उसके जिस्म से हमेशा हमेशा के लिए आजाद कर दिया। ना मसाएब हालात ने सन्नी के नाजुक कंधों पर परिवार के लालन पोषण की भारी जिम्मेदारी डाल दी थी और वह कच्ची उम्र में ही जिंदगी के दांव पेंच में महारत हासिल करने लगा था। परिवार की जिम्मेदारी का बोझ सन्नी के कंधों पर एकाएक अा जाने से वह थोड़ा घबरा गया था, पर कहा जाता है वक़्त बड़ा मरहम होता है गुजरते वक़्त के साथ ही उसके ज़ख़्म भी भर गए। बाप ने तो ज़िन्दगी भर बहुत ईमानदारी और मेहनत से जो मिला उसी पर ऊपर वाले का शुक्र अदा किया और अपने परिवार का पालन पोषण किया पर बाप के मरने के बाद ही दुकान की पूरी ज़िम्मेदारी उसके अकेले हाथ में अा चुकी थी कुछ दिन ईमानदारी से काम करने के बाद जब उसे मन मुताबिक आमदनी नहीं हुई तो उसने अपने दुकान से दो नंबरी काम चालू कर दिया यह कुछ उसकी ग़लत सोहबत का भी असर था और कुछ ही महीनों में उसकी आमदनी बहुत बढ़ गई थी इसी क्रम में उसकी दोस्ती शहर के दबंग लोगों से भी हो गई और उसने अब अपने धंधे का दायरा भी बढ़ा दिया अब उसकी दुकान सट्टेबाजी, जुआ, ड्रग स्मगलिंग, ज़मीन की खरीद फरोख्त लोहा, कोयला से जुड़े अवैध कारोबार का अड्डा बन चुका था धंधा दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा और उस दबंग आदमी के जितने भी गैर कानूनी कारोबार थे जिसमें उसका पैसा लगा हुआ था का कारोबार भी उसी जगह से अब होने लगा था ,वह जगह अब उसके कारोबार का मुख्य केंद्र बन चुकी थी शहर के सबसे कुख्यात गुंडे से उसकी दोस्ती उसके जीवन में पैसों की बरसात लेकर आई थी और वह दबंग उसके दुकान से ही सारे दो नंबरी काम अंजाम देता था उसने सन्नी को अपना बिजनेस पार्टनर बना लिया था और उसे ज़रुरत पड़ने पर मुंह मांगा पैसा देता था सन्नी जब भी उसके सामने अपनी जरुरत के हिसाब से पैसे की डिमांड करता था उसे तुरंत मुंह मांगे पैसे मिल जाते थे पैसे की अचानक आयी बढ़ोत्तरी से उसने चंद सालों में ही अपनी दुकान की काया पलट कर दी थी और एक फ्लैट भी खरीद लिया था अब वह टायर दुकान अपना रूप बदल कर एक ऑफिस का रूप ले चुकी थी जिसमें सारी सुख सुविधा मौजूद थी एसी, एल ई डी टीवी से लेकर आर आे के पानी तक सब उस ऑफिस में मौजूद था। उस गुंडे के कारोबार का सारा हिसाब किताब सन्नी ही संभाला करता था लाखों का टर्न ओवर था उस गुंडे का महीने का और सन्नी ने अपनी मेहनत से उसका दिल भी जीत लिया था ।मुश्किल हालात के थपेड़ों और एक वक़्त एक एक पैसे के लिए मोहताज रहने वाला सन्नी अब पैसों से खेल रहा था ,अचानक आए पैसों की फरावानी ने उसके सोचने समझने का ढंग ही बदल दिया था अब पैसा ही उसके लिए सब कुछ था दुनिया की सारी खुशियां ऐसो आराम सुख सुविधा पैसों की बदौलत ही खरीदी जा सकती है पैसा है तो सब कुछ है अब यही उसकी जिंदगी का उसूल बन चुका था । दूसरी तरफ साहिल ने भी जैसे तैसे जुगाड़ तूगाड़ लगाकर स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर ली बड़े भाई के इंजीनियर हो जाने के कारण उसे कोई आर्थिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ी इसी बीच उसकी एकबहन की शादी दिल्ली में हो गई जहां उसके जीजा जी का अपना घर और अच्छी नौकरी थी खर्च के नाम पर सिर्फ दो जनों का खर्च था इधर सन्नी और साहिल की आवारागर्दी और लड़कियो को छेड़ने के झगड़े के कारण कई बार बहुत भयानक लड़ाई हो चुकी थी और वह दोनों जेल जाते जाते बचे थे इन्हीं सब चीजों से तंग आकर साहिल के मां-बाप ने उसे ,उसकी बहन के पास दिल्ली भेज दिया लगभग एक डेढ़ साल तक अपने जीजा जी के यहां मुफ्त की रोटी तोड़ने के बाद एक कॉल सेंटर में उसे जॉब मिल गया यहां उसके रहने और खाने का पूरा पैसा बच जाने के कारण उसकी पूरी सैलरी उसके बैंक अकाउंट की शोभा बढ़ा रही थी इतना सब होने पर भी दोनों की दोस्ती कायम थी दोनों दोस्तों के बीच बातचीत मोबाइल के द्वारा होती ही रहती थी इनके बात के विषय का केंद्र बिंदु आज भी पहले ही की तरह लड़की ही होती थी किस को पटाया, कैसे पटाया दिखने में कैसी है माल टंच है कि नहीं उड़ाया कि नहीं इन्हीं विषयों के इर्द-गिर्द उनकी बात का ताना-बाना बुना जाता था सन्नी शुरू से ही दिल फेंक किस्म का लड़का था शुरू के मुश्किल हालात में तो उसने अपने अरमानों को कुचला पर आमदनी के बढ़ते ही उसके बुझते अरमानों से चिंगारियां सी उठने लगी स्टेशन रोड में उसके ऑफिस का होना जहां सारी बुराइयां परवान चढ़ती हैं आग में घी का काम किया हालात से जूझने का तजुर्बा जवानी का जोश अच्छी सकल सूरत अच्छी कद काठी बातों से फसाने मैं माहिर और पैसों की फरावनी ने उसे इस खेल का माहिर खिलाड़ी बना दिया था जो लड़की उसके झांसे में एक बार आ जाती थी वह उसके चंगुल से नहीं निकल पाती थी वह अपनी लच्छेदार बातों में किसी तरह उलझा कर उसे अपने जाल में फंसा ही लेता था और अपना काम निकाल कर लात मार देता था खाली वक्त में यही उसका असली मसगला था वह एक शातिर खिलाड़ी की तरह अपने काम को अंजाम देता था जहां चूक की बहुत कम गुंजाइश रहती थी औरत उसके लिए सिर्फ हवस मिटाने की एक वस्तु बन गई थी जिसे पैसा और शातिराना चाल के द्वारा काबू में किया जा सकता था वक्त के साथ-साथ उसका टेस्ट भी बदलता रहता था उसे हर दिन तीन चार महीने पर अपनी जिस्मानी हवस बुझाने के लिए नए जिस्म की जरूरत होती थी वक्त बीतने के साथ-साथ उसे लड़की पटाने का काफी तजुर्बा भी हो चुका था वह लड़कियों की मानसिकता से भी काफी परिचित हो चुका था । सन्नी और साहिल दोनों दोस्तों में दूरी होने के कारण इन दोनों की मुलाकातें किसी खास अवसर या त्योहारों पर ही हो पाती थीं इस बार भी जब दोनों दोस्त त्यौहार पर मिले तो सन्नी ने साहिल को अपने नए शिकार संजना नाम की लड़की के बारे में बताया जिसकी शादी लगभग बीस या इक्कीस दिनों के बाद होने वाली थी पर लाख कोशिशों के बाद भी सन्नी उस लड़की को अपने चंगुल में फसाने में कामयाब नहीं हो पा रहा था उसके सारे दांवपेच विफल हो रहे थे वक्त गुजरने के साथ-उसके लिए सिर्फ हवस मिटाने की एक वस्तु बन गई थी जिसे पैसा और शातिराना चाल के द्वारा काबू में किया जा सकता था वक्त के साथ-साथ उसका टेस्ट भी बदलता रहता था उसे हर दिन तीन चार महीने पर अपनी जिस्मानी हवस बुझाने के लिए नए जिस्म की जरूरत होती थी वक्त बीतने के साथ-साथ उसे लड़की पटाने का काफी तजुर्बा भी हो चुका था वह लड़कियों की मानसिकता से भी काफी परिचित हो चुका था । सन्नी और साहिल दोनों दोस्तों में दूरी होने के कारण इन दोनों की मुलाकातें किसी खास अवसर या त्योहारों पर ही हो पाती थीं इस बार भी जब दोनों दोस्त त्यौहार पर मिले तो सन्नी ने साहिल को अपने नए शिकार संजना नाम की लड़की के बारे में बताया जिसकी शादी लगभग बीस या इक्कीस दिनों के बाद होने वाली थी पर लाख कोशिशों के बाद भी सन्नी उस लड़की को अपने चंगुल में फसाने में कामयाब नहीं हो पा रहा था उसके सारे दांवपेच विफल हो रहे थे वक्त गुजरने के साथ-साथ उसकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी क्यों कि कुछ ही दिनों में उसकी शादी एक एनआरआई से होने वाली थी और वह अमेरिका जाने वाली थी इसी बात पर साहिल चुटकी लेते हुए सन्नी से कहता है। सन्नी,साहिल से पूछता है "अबे, उसका फोटो तो अभी तक दिखाया नहीं और खाली झुटो मुठो का फोन पर भांज रहा था के इतना जबरदस्त माल है के देखेगा तो मुंह में पानी आ जाएगा"। सन्नी ने जवाब दिया "अबे, तुम को मेरा बात पर यकीन नहीं हो रहा है न। ले अभी दिखाते हैं उसका फोटो "और वह अपना मोबाइल निकाल कर संजना का फोटो उसे दिखाता है। संजना का फोटो देखते ही साहिल के मुंह फटा का फटा रह जाता है वह बोलता है "वाह, क्या ज़बरदस्त माल पटाया है भाई कहां से तेको मिल जाती है ऐसी ऐसी मस्त लड़की कैसे पटाया बे इसको हम को दे दे यार जितना मांगेगा उतना माल खर्चा करेंगे क्या जबरदस्त माल है भाई"साथ उसकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी क्यों कि कुछ ही दिनों में उसकी शादी एक एनआरआई से होने वाली थी और वह अमेरिका जाने वाली थी इसी बात पर साहिल चुटकी लेते हुए सन्नी से कहता है। सन्नी,साहिल से पूछता है "अबे, उसका फोटो तो अभी तक दिखाया नहीं और खाली झुटो मुठो का फोन पर भांज रहा था के इतना जबरदस्त माल है के देखेगा तो मुंह में पानी आ जाएगा"। सन्नी ने जवाब दिया "अबे, तुम को मेरा बात पर यकीन नहीं हो रहा है न। ले अभी दिखाते हैं उसका फोटो "और वह अपना मोबाइल निकाल कर संजना का फोटो उसे दिखाता है। संजना का फोटो देखते ही साहिल के मुंह फटा का फटा रह जाता है वह बोलता है "वाह, क्या ज़बरदस्त माल पटाया है भाई कहां से तेको मिल जाती है ऐसी ऐसी मस्त लड़की कैसे पटाया बे इसको हम को दे दे यार जितना मांगेगा उतना माल खर्चा करेंगे क्या जबरदस्त माल है भाई"