मित्र के बिन ज़िंदगी में रंग होते हैं नहीं।
हर शख्स को मित्र की दरकार होंना चाहिये।।
मित्रता को हर कसौटी से परे रखना सदा।
मित्र को बस से सरोकार होना चाहिये।।
क्या उचित है औऱ अनुचित फ़िक़्र इसकी मत करो।
मित्रता को हर हदों से पार होना चाहिये।।
कृष्ण का रुतबा मिलें या हो सुदामा की डगर।
हर सुदामा कृष्ण का अवतार होना चाहिये।।
बाँट ले जो मित्र के हर दर्द को मुस्कान से।
मित्र को हर मित्र का गमख़्वार होना चाहिये।।
मित्रता की डोर का संबल जरूरी है मगर।
मित्रता का भी मग़र एक सार होना चाहिये।।
कामेश नूर