कही सुनी हर बात भुला दो
एक प्यार का गीत सुना दो।।
जीवन अपना जर्द पड़ गया
प्रेम सुधा आकर बरसा दो।।
जाने क्यूँ तुम रूठ गए हो
सारे सुख तुम लूट गए हो।
मन का आंगन सूना है अब
पुष्प लता फ़िर से महका दो।।
जब से तुम परदेश गए हो
पल छिन अपने बरस हो गए।
निश दिन आँखे बाट जोहती
शुष्क हृदय को फ़िर नहला दो।।
प्रीत के अंकुर फूट रहे हैं
नीर नयन से छूट रहे हैं।
मन का धीरज टूट रहा है
आकर मन का धीर बंधा दो।।
कही सुनी हर बात भुला दो
एक प्यार का गीत सुना दो।।
कामेश नूर