ना रास्ते समझ आए ना कभी मंजिल समझ आई
कौन सी है मंजिले थी कौन से रास्ते थे
अनजाने लोग थे अनजाने रास्ते थे
इंसान जहां पैदा होता है वही उसकी पकड़ मजबूत होती है वहीं से उसकी पहचान होती है वह नई जगह जाता है उसे ना कोई जानता नहीं पहचानता बहुत समय लग जाता है उसे अपना नाम बनाने में अपनी पहचान बनाने में ऐसे ही इंसान है ऐसे ही बड़ा पेड़ है उसको भी कहे हम दूसरी जगह लगाते हैं तो बहुत टाइम लग जाता है उसे जमाने में
मिट्टी की पकड़ जितनी मजबूत होती है उतनी ही जगह उसे हिला नहीं पाती पेड़ पुराना होगा जितना नीचे फैला होगा उतना ही उसकी जड़े बहुत ही मिट्टी को पकड़े हुए मजबूत होगी ऐसा ही पड़ेगी मैंने देखा जिसे बरगद का पेड़ कहा जाता है उसकी लटे जटा ए सब मिट्टी से जुड़ी होती है और उतनी ही फैलती जाती