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परमात्मा

4 मई 2022

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परमात्मा
प्रेम है एक अनुभूति है 
भगवान का अर्थ किसी व्यक्ति से नहीं है ।
इसलिए यह न पूछें कि उसकी शक्ल क्या है और
वह कैसे रहता है ?
भगवान से अर्थ है एक अनुभूति का ।
कोई नहीं पूछता है कि प्रेम कैसा है और कहां रहता है ? तो क्यों पूछते हैं कि परमात्मा कैसा है
और कहां रहता है ।
प्रेम है एक अनुभूति ।
प्रेम की ही पराकाष्ठा परमात्मा की अनुभूति है ।
एक व्यक्ति से मैं प्रेम करूं , वह प्रेम कहलाता है
और अगर समस्त के प्रति मेरी वही भाव-दशा
हो जाय तो यह परमात्मा कहलाता है ।
प्रेम का परम विकास है ।
यह बच्चों जैसी बात कि ईश्वर बैठा हुआ है ऊपर
और दुनिया बना रहा है , दुनिया चला रहा है ,
यह बच्चों जैसी बातें छोड़े । यह बातें गईं ।
ये बातें छोड़े कि भगवान ने एक दिन तय किया
और कहा कि जाओ बन गई दुनिया और चलो ।
ये बच्चों जैसी बातें छोड़े ।
भगवान ने ऐसी किसी दुनिया को नहीं बनाया है
और भगवान और उसकी सृष्टि दो अलग बातें
नहीं हैं । क्रिएटर और क्रिएशन दो अलग बातें नहीं
हैं । क्रिएटिविटी सृजनात्मक ऊर्जा जब अप्रगट
होती है तो उसे हम परमात्मा कहते हैं और जब
प्रगट होती है तो उसे हम सृष्टि कहते हैं ।
जब हृदय में कोई गीत उठता है तो वह परमात्मा
है। और जब वह वाणी से प्रगट हो जाता है तो
वह सृष्टि है ।
यह समस्त सृष्टि , यह समस्त सत्ता ,
यह पूरा एग्जिस्टेंस किसी बहुत अन्तर-निनाद
को अपने भीतर लिए है । कोई गीत , कोई संगीत
कोई आनंद वह फूंकना चाहती है ।
वह प्रगट हो रहा है । वही प्रगटीकरण यह संसार
है । संसार और परमात्मा दो विरोधी बातें नहीं हैं ।
परमात्मा का ही प्रकार संसार है और जो लोग
प्रेम का अनुभव करेंगे , वह सब तरफ उस परमात्मा की ' छवि को ' सब तरफ अनुभव करेंगे ।
सब तरफ जो है , वही है । लेकिन उसे जानने के
लिए , उसे पाने के लिए खुद के भीतर ' न कुछ '
जानना पड़ेगा । शून्य हो जाना पड़ेगा ।
ज्ञान को छोड़ दो और प्रेम को विकसित होने दो ।
जहां ज्ञान का तट छूटता है और प्रेम के फूल खिलने शुरू हो जाते हैं , वहीं वह संगीत पैदा होता
है जो समस्त के भीतर छिपा है , जो और खुद के
प्राणों को समस्त से जोड़ देता है , वह अनुभव ही
परमात्मा है ।
कविता रावत

कविता रावत

बहुत बढ़िया

8 मई 2022

Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

5 मई 2022

Manju

Manju

5 मई 2022

आभार जी

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रचनाएँ
प्रार्थना
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🔴"यदि आप किसी चीज़ के लिए प्रार्थना करने के लिए प्रार्थना करते हैं, तो यह प्रार्थना नहीं है। जब आप किसी चीज़ के लिए उसे धन्यवाद देने के लिए प्रार्थना करते हैं, तभी वह प्रार्थना होती है। प्रार्थना हमेशा एक धन्यवाद होती है। यदि आप कुछ मांगते हैं, तो प्रार्थना अभी भी इच्छा से दूषित होती है। फिर यह प्रार्थना अभी तक नहीं है । असली प्रार्थना केवल तब होती है जब आप अपने आप को प्राप्त कर लेते हैं, जब आप जानते हैं कि भगवान ने आपको पहले से ही बिना मांगे आपके लिए क्या दिया है। जब आपको एहसास होता है कि आपको क्या दिया गया है, आपको कौन से अनंत सूत्र दिए गए हैं, तो एक प्रार्थना उठती है कि आप भगवान से कहना चाहेंगे, 'थैंक्यू।' इसमें और कुछ नहीं बल्कि एक शुद्ध धन्यवाद है। जब एक प्रार्थना सिर्फ एक धन्यवाद है तो यह एक प्रार्थना है। प्रार्थना में कभी कुछ न माँगें; कभी मत कहो, 'यह करो, वह करो; ऐसा मत करो, ऐसा मत करो। ' भगवान को कभी सलाह नहीं देते। जो आपकी बेपरवाही को दिखाता है, जो आपके भरोसे की कमी को दर्शाता है। उसे धन्यवाद दो। आपका जीवन पहले से ही एक आशीर्वाद है, एक आशीर्वाद है। प्रत्येक क्षण ऐसा शुद्ध आनंद है, लेकिन आप इसे याद कर रहे हैं, जो मुझे पता है। इसलिए प्रार्थना नहीं उठ रही है - अन्यथा तुम प्रार्थना का घर बना लेते; तुम्हारा पूरा जीवन प्रार्थना का घर बन जाएगा; तुम वह मंदिर बन जाओगे - उसका मंदिर। उसका धर्मस्थल तुम्हारे होने से फट जाएगा। वह तुम पर फूल बरसाएगा और उसकी सुगंध हवाओं में फैल जाएगी।
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ईश्वर की कृपा

15 अप्रैल 2022
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*ईश्वर कृपा क्या है?*पैसा, आलीशान घर, महंगी गाड़ियां और धन-दौलत ईश्वर_कृपा नहीं है।इस जीवन में अनेक संकट और विपदाएं जो हमारी जानकारी के बिना ही गायब हो जाती हैं, *वह ईश्वर कृपा है।*कभी-कभी सफ़र के दौर

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लेखनी

15 अप्रैल 2022
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कलम ऐसा उपहार हैं लेखक के लिए वो एक हत्यार भी है और घावों का मरहम भी उसकी कलम से वो शब्द निकलते है जो किसी को बिन तीर तलवार के घायल भी कर सकते है और उन पर शब्दो का मरहम भी लगाकते है

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परमात्मा और प्रेम

15 अप्रैल 2022
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इस शरीर में आंखों की गहराई,मन की गहराई से ज्यादाहृदय की गहराई है।ये गहराई इतनी गहरी हैं किइसकी गहराई किसी को पता नहीचाहे तीन लोक की सम्पत्ति भी मिल जाए तो भी हम इसकी गहराई को भर नहीं सकतेन किसी पद से,

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मिट्टी की पकड़

16 अप्रैल 2022
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ना रास्ते समझ आए ना कभी मंजिल समझ आईकौन सी है मंजिले थी कौन से रास्ते थे अनजाने लोग थे अनजाने रास्ते थेइंसान जहां पैदा होता है वही उसकी पकड़ मजबूत होती है वहीं से उसकी पहचान होती है वह नई जगह जात

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मिट्टी की पकड़

16 अप्रैल 2022
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कहानी एक परिवारिक कहानी है जो कि हमें बताती है कि जहां से हम पैदा होते हैं वहीं से हम जुड़े होते हैं कहीं बाहर जाते हैं तो हमें नई पहचान बनानी पड़ती है और नए रास्ते मिलते हैं नए लोग मिलते है

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प्रेम

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स्वयं को पहचानो

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परमात्मा

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