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जन्म स्थान : सहारनपुर, उत्तर प्रदेश शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी, संस्कृत, शिक्षाशास्त्र), पी-एच. डी. शिक्षण अनुभव : आठ वर्ष सहायक प्राध्यापक के रूप में ‘इस्लामिया डिग्री कॉलेज, देवबंद’ में कार्य किया। सात वर्ष से ‘अज़ीम प्रेमजी स्कूल, दिनेशपुर’ में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य कर रहे हैं। बीस से अधिक राष्ट्रिय व अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में प्रतिभाग करते हुए अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। साथ ही दो सेमिनार में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। सम्पादन अनुभव : देवबंद से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘लाइव रिपोर्ट’ का एक वर्ष तक कुशलतापूर्वक सम्पादन किया। लेखन : कहानी लेखन में लगभग पन्द्रह वर्ष पहले रूचि उत्पन्न हुई थी जो जो आज तक बरक़रार है। विभिन्न पत्र-पत्रिका में भी अनेक कहानियाँ प्रकाशित हैं। जिन उन पर पाठकों की अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं भी खूब मिली हैं। शिक्षा जगत से लम्बे समय से जुड़े होने के कारण शिक्षा के परिप्रेक्ष्य और शिक्षण-शास्त्र से सम्बन्धित अनेक आलेख लिखे हैं। जो विभिन्न जर्नल और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। सम्प्रति : सहायक अध्यापक, अज़ीम प्रेमजी स्कूल, वार्ड न. 3, निकट- गुरुद्वारा, दिनेशपुर (उत्तराखण्ड)- 263160 सम्पर्क : mohammadisrar15@gmail.com

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-05

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शिक्षा, शिक्षक और शिक्षण

शिक्षा, शिक्षक और शिक्षण

तीन वर्ष शिक्षक-शिक्षा में कार्य करते हुए शिक्षा के परिप्रेक्ष्य और सैद्धांतिक पक्ष को निकटता से जानने-समझने और अनुभव करने की कोशिश की। अनेक वर्षों तक पेशेवर शिक्षक के रूप में प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते

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ईबुक:

₹ 40/-

प्रिंट बुक:

188/-

शिक्षा, शिक्षक और शिक्षण

शिक्षा, शिक्षक और शिक्षण

तीन वर्ष शिक्षक-शिक्षा में कार्य करते हुए शिक्षा के परिप्रेक्ष्य और सैद्धांतिक पक्ष को निकटता से जानने-समझने और अनुभव करने की कोशिश की। अनेक वर्षों तक पेशेवर शिक्षक के रूप में प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते

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"उग्र बनाम मंटो"

"उग्र बनाम मंटो"

उर्दू में सआदत हसन मंटो की बहुत सी कहानियाँ पढ़ने के बाद विचार आया कि हिंदी में भी मंटो जैसा कोई विवादस्पद लेखक है? काफी खोजबीन करने पर ज्ञात हुआ कि ऐसा लेखक तो पाण्डेय बेचन शर्मा "उग्र" ही है. उग्र की अनेक कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने के बाद विचार आया क

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"उग्र बनाम मंटो"

"उग्र बनाम मंटो"

उर्दू में सआदत हसन मंटो की बहुत सी कहानियाँ पढ़ने के बाद विचार आया कि हिंदी में भी मंटो जैसा कोई विवादस्पद लेखक है? काफी खोजबीन करने पर ज्ञात हुआ कि ऐसा लेखक तो पाण्डेय बेचन शर्मा "उग्र" ही है. उग्र की अनेक कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने के बाद विचार आया क

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वर्कशीट के प्रकार्य

6 अप्रैल 2023
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आकलन को औपचारिक शिक्षा के प्रमुख अंग के रूप में देखा जाता है। विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सतत रूप में आकलन का आग्रह विभिन्न शैक्षिक दस्तावेजों में मिलता है। इससे शिक्षक को अपने द्वारा किए गए क

सन्दर्भ से व्याकरण शिक्षण की ओर

6 अप्रैल 2023
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किसी भाषा को मानक रूप में जानने-समझने के लिए व्याकरण-ज्ञान की आवश्यकता होती है। जिसका एक बड़ा कारण होता है कि व्याकरण में किसी भाषा के उचित प्रयोग से जुड़े नियम निर्दिष्ट होते हैं। वर्तमान शिक्षा प्रणाल

सीखने-सिखाने का भावात्मक पहलू

6 अप्रैल 2023
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यह मानित सिद्धांत है कि कुछ सीखने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है। सीखना या अधिगम जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया माना जाता है। देखने-सुनने में भले ही आसान लगे लेकिन औपचारिक शिक्षा की दृ

स्तरानुसार शिक्षण : चुनौतियाँ और सफलता

5 अप्रैल 2023
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शैक्षिक जगत में, न केवल देश बल्कि वैश्विक स्तर पर भी यह बात अक्सर सुनने को मिलती है कि ‘बच्चे सीख नहीं पा रहे हैं, उन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आ रहा है। ‘असर’ की रिपोर्ट में खुलासा होता है कि कक्षा तीन के

मौके देने से बच्चे कितना सीखते हैं?

5 अप्रैल 2023
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शैक्षिक जगत में यह धारणा बहुत आम है कि बच्चे अपने ज्ञान का स्वयं निर्माण करते हैं। शिक्षक को केवल ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करनी होती हैं, जिनमें बच्चे सीखने के लिए तत्पर हों। लेकिन कक्षा में कार्य करत

लिखना, लिखकर ही आएगा

5 अप्रैल 2023
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प्रसिद्ध भाषा-वैज्ञानिक रमाकांत अग्निहोत्री जी का कथन है, “पढ़ना पढ़कर आता है, लिखना लिखकर आता है।” लिखने के सन्दर्भ में मैं इस कथन को इस प्रकार भी कहता हूँ, “लिखना, लिख-लिखकर अभ्यास करने से ही आता है औ

लेखन, लिखावट और मूल्यांकन

5 अप्रैल 2023
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सरल शब्दों में कहें तो, अपने भावों और विचारों को ध्वनी प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त करना लेखन कहा जाता है। लिखना, लिख-लिखकर अभ्यास करने से ही आता है और निरंतर अभ्यास से निखरता जाता है। इसलिए कहते ह

जो बच्चे नहीं सीख पाते!

5 अप्रैल 2023
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किसी भी स्कूल से जुड़ी हुई दो सबसे महत्वपूर्ण कड़ियाँ मानी जाती हैं- शिक्षक और शिक्षार्थी। स्कूल के सन्दर्भ में इन्हें किसी भी क्रम में देखा जा सकता है। पहले शिक्षक, बाद में शिक्षार्थी या पहले शिक्षार्थ

विविध पाठ्य-अभ्यास भी टी.एल.एम. है!

5 अप्रैल 2023
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शिक्षण के लिए टी.एल.एम. अर्थात् ‘टीचिंग लर्निंग मटेरियल’ काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिए अन्य शब्द ‘शिक्षण अधिगम सामग्री’ भी प्रयुक्त होता है। आरम्भिक स्तर की कक्षाओं के लिए विविध दृष्टिकोण स

सिद्धांत और अभ्यास के अंतर को कैसे पाटा जाए?

5 अप्रैल 2023
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सिद्धांत और अभ्यास के लिए अंग्रेजी में क्रमश: Theory और Practice शब्दों को पर्याय के रूप में देखा जाता है। शैक्षिक दृष्टिकोण से Practice के लिए ‘व्यवहार’ शब्द का प्रयोग भी अक्सर किया जाता है। शिक्षा ज

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