-:मेरे सपनों का भारत:-
मेरे सपनो का भारत दम तोड़ रहा है,
मेरा अपना ये भारत दम तोड़ रहा है,
अंतिम श्वांसे गिनता रहता मेरा ये प्यारा देश,
गुलामी के दिनों जैसा अनुभव होता जेसे पेश,
पूत सपूत जने थे मगर क्यों बने कपूत,
भारत माँ की गरिमा की रक्षा को,
क्या शूरवीरों को नहीं मिल रही दीक्षा,
अब देश क्यों मांग रहा है भिक्षा,