मैंने देखा है अपनों का साथ मेरी मुफलिसी में
कमतर ही आँका गया हूं अक्सर हर किसी में
समझ लो कि जिंदगी ने फुर्सत से मौका नहीं दिया
मैं हाथ-पैर आखिर कितने चलाता अपनी बेबसी में
जो माहिर है अपनी बात कहने में वो ठग लेते हैं यहां
लोगों को सोचना होता है एक दफा मुझ पर यकी में
---- राहुल ऋषिदेव ---