हमें जिंदगी की हसरतें कम ही चाहिए
ख़ुशी को ख़ुशी नहीं इन्हें गम ही चाहिए
तेरे रूखे मिजाजों से तंग हैं ऐ जिंदगी
तू जो भी अंदाज दे मगर नरम ही चाहिए
तेरी गर्दिशों की धूल से लिपटा हूँ ऐसे
मेरे आईने को भी मेरी आँखे नम ही चाहिए
नहीं कहा मैंने की दुनियाँ ने दिल खो दिए
इंसा को इंसा इसे समझे इतनी शरम ही चाहिए
वो समझता हैं नहीं ख़ुदा यहाँ करता है सितम
है जमीं पर ख़ुदा इसे ख़ुदा का वहम ही चाहिए
---- राहुल ऋषिदेव ----