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ना तुम जानो, ना हम...

20 जुलाई 2022

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रचनाएँ
खुली आंखों वाले सपने
5.0
“खुली आंखों वाले सपने’ गीता शर्मा की चार कहानियों का संग्रह है। चारों कहानियां जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं को छूती हुई जिदंगी जीने का नया अंदाज सिखाती हैं। कहीं प्रेम में समर्पण है तो कहीं सच्‍ची दोस्‍ती की पहचान कराते किस्‍से, कहीं रिश्‍तों की मासूमियत है तो कही नफरत के आगे ना हारने वाला प्‍यार है। हर कहानी एक नई दुनिया में ले जाएगी जहां मनोरंजन के साथ जीवन की सच्‍चाई से रूबरू होने का अनुभव होगा।
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सितारों की हमसफर

12 जुलाई 2022
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कभी कभी रात का कोई सपना इतना मीठा होता है कि सुबह नींद खुलने के बाद भी आंखे खोलने का मन नहीं होता, क्‍योंकि सपने में वो भी मिल जाता है जो हकीकत में मुमकिन नहीं। सपनों की दुनिया शायद बनी ही इसलिय

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दोस्‍ती में नो शॉर्टकट

15 जुलाई 2022
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आपकी पहचान क्‍या है? वो जो सामने से दिखाई देता है? या वो जिसे देखने के लिये सामने वाले को मेहनत करनी पड़ती है? हम सब इस उलझन में रहते हैं कि जिनके साथ हम रोज उठते बैठते हैं वो हमें कभी गलत ना समझे,

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ना तुम जानो, ना हम...

20 जुलाई 2022
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चार साल बीत गए लेकिन आज भी यहां कुछ बदला नही है कॉलेज का वो पहला दिन याद है। वो पहली क्‍लास थी, उस दिन हम सब की घबराहट को कैसे सिद्धार्थ अग्निहोत्री सर ने एक दम फुर्र कर दिया था। पहले दिन सिर्फ इं

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रिश्‍तों की परख

21 जुलाई 2022
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 परख लिया खुद को जब परखा तुझे,   क्‍यों देखा नहीं पहले जो अब दिखा   क्‍या वो प्‍यार था? जो लगा मुझे,   क्‍यों खत्‍म हुआ फिर जब परखा,   सजा भूल भी जाए, ना भूल पाएंगे तुझे   टूटे तारे की तरह मेरा व

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