सही और गलत सोच का फेर ही तो है जो दिल को सही लगे वही सही होता है क्योंकि उसे करने से पहले ज्यादा कुछ सोचना नहीं पड़ता पर जहां सोच गहरी हो जाये वहां कुछ सही तो क्या कुछ होने के चांस भी खत्म हो जाते हैं क्योंकि वक्त किसी के लिये नहीं रूकता और वक्त चले जाने के बाद किये गये काम की कोई कीमत नहीं रहती ये कहानी ईनाक्षी और आरव की है, ईनाक्षी आरव से मिलकर खुश थी लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई और आरव बिना कुछ कहे ही उससे दूर हो गया, ईनाक्षी भगवान से सवाल करती रही कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ और एक दिन नाराज होकर फैसला किया कि वो उस जगह कभी नहीं जाएगी जहां वो भगवान को अपने सबसे ज्यादा करीब महसूस करती है, ज़ेबा भगवान को सजा दे रही थी और एक दिन उन्होंने उसकी नाराजगी को दूर कर दिया, वो वहीं लौटी और इस बार कुछ ऐसा हुआ जो उसने कभी सोचा नहीं था
52 फ़ॉलोअर्स
5 किताबें