हर बार कहती है क्यों नहीं? तुम इस बार भी क्यों नहीं? अंधेरे से जो बिखरे हैं रोशनी का निशान क्यों नहीं? रातों की खामोशी को सुनने की मजबूरी चिड़ियों की आवाजों की छन छन क्यों नही? वक्त ने बांधी है मेरे दिल की उड़ान भी इस वक्त से लड़ने की ताकत क्यों नहीं? जाने को कहती है हर रोज मुझसे तेरी यादों की फिर भी विदाई क्यों नहीं? जिंदा है इन आंखों के आंसू की लकीरें हाथों की लकीरों पर तेरा नाम क्यों नहीं? कुछ कहानियां ऐसी ही उलझी होती है कभी हां कभी ना और फिर एक लंबी खामोशी आ जाती है बीच में। ऐसा लगता ये कभी खत्म नहीं होगी लेकिन फिर एक दिन यूं ही कुछ हो जाता है, एक पल में सब नया हो जाता है, जैसा हमारे वायरल आशिक के साथ हुआ।
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