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नजदीक

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बसंत पंचमी दिली अरमान थे माँ से मिलने के सो मिलने चले आए दरबार मे।माँ का प्रेम अजीब हैं वह अपने नजदीक बैठने के लिए लोरी सुनाती हैं।लोरी वह जो मन को शकुन देती हैं आंखो मे नींदियाँ ला देती हैं।आंखो मे अपने ममता का आँचल बिछा देती हैं, जिसकी छाया मे कौन बालक नहीं सोना नहीं चाहेगा? वह उसका पल भर का प्रेम

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