कई राते ठंडी बढ़ रही थी पूरा घर रज़ाई मे लिपटा हुआ था घर, आँगन,चौपाल, बरोठ, रज़ाई मे बस सासों का चलनाव घुड़का ही सुनाई देता। नीले आसमान मे आधा चाँद अपनी सफ़ेद रोशनी के साथ घर के बाहरसे गुजरती सड़क को निहार रहा था। सड़क शांत थी दिन की तरह घोड़े के टापूओं की आवाजनहीं थी बैलो की चौरासी नहीं बज रहे थे। मोटर के