मनुष्यता के सजग प्रहरी : रवींद्रनाथ ठाकुर
मनुष्यता के सजग प्रहरी : रवींद्रनाथ ठाकुर अरे भाई, मिट्टी की ओर लौट,वह मिट्टी, जो आँचलफैलाकर तेरे मुँह की ओरदेख रही है, जिसके वक्षस्थल कोफोड़कर यह प्राणधारा उच्छ्वसितहो रही है, जिसकी हँसी से फूल खिलेहैं, जो संगीत की हर तानपर पुकार उठती है. वह देखो