हर साल आने वाली बाढ़ हमारे प्रदेश के नेता लोग के बच्चों के लिए मनोरंजन का एक विलक्षण माध्यम है. प्रस्तुत कविता में एक नेता के बच्चे की मानवीय संवेदना से ओत-प्रोत बालसुलभ लालसा का वर्णन किया गया है. नेताजी के बच्चे की बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इस कविता को कक्षा पाँच के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. एक प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो राहत सामग्री के रूप में इस कविता को बँटवाने की घोषणा की है.
बाल (बाढ़) गीत
पापा, पापा, बाढ़ दिखाओ,
हेलीकाप्टर में, हमें घुमाओ,
उपर से फेंकेंगे रोटी,
कोई मोटी, कोई छोटी,
शहर बन गये स्वीमिंग पूल,
हायS लगते हैं, कितने कूल!!!!
बहती भैंस, गाय और कुत्ता,
घर दिखते हैं, कुक्कुरमुत्ता,
पापा हो गये मालामाल,
बाढ़देवी, आना हर साल,
पापा, पापा, बाढ़ दिखाओ,
हेलीकाप्टर में, हमें घुमाओ,
कक्षा पाँच के विद्यार्थी इस गीत को विद्यालय के वार्षिक कार्यक्रम में कोरस में भी गा सकते हैं.