ग़ज़ल
धड़कन के शहर में हुश्न कोई नया आया हैआहट को सुनके ये दिल तो मेरा पगलाया हैभीड़ जुटी है उसके घर के सामने बहुत काफ़ीक्या अदा है तुझमे कि तूने सबको नचाया हैन मैंने इश्क़ कभी सोचा न मैंने नाम सूना है पगली ने आके दिल में मेरे आग लगाया हैकब बीत जाये ये दिन-रात ना लगे खबर हमेउसक