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उदासी भरी है लेकिन , फिर भी ख़ूबसूरत कोई नज्म हैं। तेरी याद में सुनाई है जो अकसर , वों मेरी सबसे बेहतरीन ग़ज़ल हैं। मज़ा तो तब था जब तू सामने था , आजकल जो महफ़िल में गा रहा हूँ मैं , बस वों एक रस्म हैं। ना