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नज्म..

7 जनवरी 2022

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उदासी भरी है लेकिन ,

फिर भी ख़ूबसूरत कोई नज्म हैं।

तेरी याद में सुनाई है जो अकसर ,

वों मेरी सबसे बेहतरीन ग़ज़ल हैं।

मज़ा तो तब था जब तू सामने था ,

आजकल जो महफ़िल में गा रहा हूँ मैं , बस वों एक रस्म हैं।

ना पूँछों मेरे दिल पर क्या गुजरती है , जब मैं गात हूँ दर्द भरा कोई नगमा ,

और लोग झूमते है उस साज़ पर ऐसे , जैसे कोई जश्न हैं।

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