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निराशा

2 फरवरी 2018

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प्रिय निराशा से भरे मित्र-क्या आप इस संसार मे ज्ञान का मूल्य आवश्यक नही समझते?
क्या आप महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना भविष्य के लिए उपयोगी नही मानते?

क्या आप सफलता की कुछ कीमत देने के लिए तैयार नही है ?
क्या आप जीत हासिल करने के लिए मेहनत करना नही चाहते ?
क्या आपने धन-सम्प्रदा की ओर कभी अपना मुंह किया है ?
क्या कभी पसीने में नहाते हुए पूरी लगन से अपना काम पूरा किया है ?
क्या आपने हर हाल में अपने लक्ष्य पर अटल रहने का निर्णय किया है ?

यदि आपके पास इन प्रश्नो का उत्तर नही है तो -आप किसी प्रकार की शिकायत मत करे।आपका हर गिला शिकवा व्यर्थ है। आपका हर रोना बेकार है।आप अपने भाग्य को मत कोसते रहे।यदि कोसना ही है तो अपने आपको ही कोसे क्योंकि आपने अपने को उस भाग्य की गोद मे ले जाकर फेक दिया जिसे बनाने वाले तो आप स्वयं ही है ।

बाधाओं की परवाह किये बिना जो लोग आगे बढ़ते है।अपने काम को आगे बढ़ाने वाला धैर्यवान,सहनशील,चुस्त आदमी ही उस फल को उड़ाकर ले गया जिसकी आप बहुत देर से प्रतिच्छा कर रहे थे।शौभाग्य कभी भी अपने आप चलकर किसी व्यक्ति के पास चलकर नही आता ।यदि आप उसे पाना चाहते है,तो आधा रास्ता चलकर उससे जा मिलिए।उसे क्या गर्ज है कि सारा रास्ता चलकर आपके पास आये।जब तक आप ही नही चले, सौभाग्य भी नही चलता ।आप खुद आधे रास्ता चल कर आये आधा रास्ता वह खुद चल कर आएगा

जिस तरह से बहादुर आदमी अपने शत्रु पर टूट पड़ता ,उसी प्रकार आप भी सब बाधाओ पर टूट पडे।अपने रास्ते को बिलकुल साफ कर ले ।निराश मत होइए खुद पे विश्वास करे ।

अली हाशमी

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बहुत कम लिखता हूंपर जो भी लिखता हूँसारे गम लिखता हूं

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