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जाने ये ज़िन्दगी कहाँ जा रही है .... ठहरी भी नही है.. गति इसकी महसूस भी होती नही है.... अकेले ही चली जा रही है.... या किसी के साथ बह रही है... न जाने तूफान की तरफ जा रही है... या ठहराव से
सागर की लहरें... न जाने … सागर की लहरें.... न जाने.... किस से मिलने की आस लेकर आती हैं... किनारे तक और जाती है, लौट वापस न जाने कितने ही तौहफे लेकर आती हैं अपने साथ ये लहरें... और फिर