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नियति 6

30 दिसम्बर 2023

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रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे  किसी भी तरह का कोई भी काम करना पड़े वो कर लेगा.....और फिर अपने बैचेन मन को शांत करते हुए बालू सोने के लिए चला जाता है..l
और फिर अगले दिन सुबह उठते ही बालू काम की तलाश में घर से निकल जाता है l
सुबह से काम की तलाश में भटकते हुए बालू को जब दोपहर तक भी कोई काम न मिला तो फिर वो एक आखिरी उम्मीद लेकर अपने थके हुए कदमों से अनाज मंडी की ओर चल देता है जहां पर उसे ट्रक लोड करने का काम मिल जाता है और फिर वो चावल के बोरे उठाकर ट्रक में लोड करने लगता है.........और फिर पूरे 6 घंटे तक कड़ी मेहनत से काम करते हुए चावल के बोरों से पूरा ट्रक लोड करने के बाद अपनी मजदूरी लेकर वापस घर लौट जाता है.....l
आज तो में बहुत थक गया हूं........और भूख भी लग रही है.....घर पहुंच कर बालू नैया से कहकर खाना मंगवाता है...l
का हुआ पूरा दिन से बाहर हो..... कछु खाए भी की नहीं..... और कौनो काम मिला कि नही......एक के बाद एक नैया बालू से कई प्रश्न पूछती है l
अनाज मंडी में काम मिला था ट्रक लोड करने का....और हमे तो इस बात का सुकून है कि उन्होंने हमे अगले 10 दिनों के लिए काम पर भी रख लिया है अब पैसों का कुछ न कुछ इंतजाम हो ही जायगा......और फिर अभी तो हमारे पास पूरा एक महीने का समय है.....बालू  सुकूं भरे शब्दों से नैया को बताता है l
और इस तरह 10 दिनों तक लगातार अनाज मंडी में काम करने के बाद बालू के पास कुछ पैसे तो इकट्ठे हो गए पर अभी भी और कुछ पैसों की जरूरत थी...l
और इसलिए अनाज मंडी का काम खत्म होने के बाद अगले दिन फिर वो सुबह से ही काम की तलाश में घर से निकल जाता है और इस बार उसे ईंट के भट्टे में ट्रैक्टर में ईंट लोड करने का काम मिल जाता है और फिर अगले 12 दिनों तक बालू ईंट के भट्टे में ही काम करता रहा और फिर इस प्रकार से उसने तीन माह की फीस के पैसे इकट्ठे कर लिए और स्कूल की फीस जमा कर दी....l
अब बालू के दिल से एक बहुत बड़ा बोझ हल्का हो गया था......l
ये तो बालू की हिम्मत है जो प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने भी छाती चौड़ी कर के खड़ी है अन्यथा इतने संघर्ष कौन करना चाहता है.......और जैसा कि इस कहानी की शुरुआत में कहा गया था कि एसी परिस्थितियों में अपने बच्चों के भविष्य की चिंता कौन करता है उन्हें तो बस बच्चों की भूख और उनका आज ही दिखाई देता है भविष्य के बारे में सोचने का तो इनके लिए कोई औचित्य ही नहीं रह जाता....खैर ये तो अपनी अपनी हिम्मत की बात है कि कोई बालू की तरह परिस्थितियों से टकराने की हिम्मत करता है तो कोई परिस्थितियों से डरकर भागना चाहता है....l

लाख चाहतें की थी, हालातों ने उसे हराने की
देकर खौफ नया हर बार, कोशिश की थी डराने की
हालातों से डरकर बेशक, वो पीछे कभी हटा नहीं
उमंग जो उसके दिल में थी, इतिहास को दोहराने की

और इस तरह बालू अशोक को लेकर कुछ नए सपने देखना शुरू कर देता है जो कि वाकई में उसकी हिम्मत का परिचायक है क्योंकि जिस व्यक्ति को खुद के ही वर्तमान का पता न हो वो यदि किसी का भविष्य संवारने के सपने देख रहा है तो इससे बढ़ कर हिम्मत की और क्या बात हो सकती है.....l


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रचनाएँ
नियति
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गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी ।
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नियति

23 दिसम्बर 2023
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अक्सर हमारे क्षेत्र के आसपास ही कुछ लोग एसे भी होते है जिन्हें हमने कभी देखा भी न हो न ही कभी उसका कोई जिक्र तक सुना हो....l परन्तु गरीबी की पराकाष्ठा से रुबरु होते इन्हीं चंद लोगों में से यदि को

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नियति 2

24 दिसम्बर 2023
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रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......lअरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलि

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नियति 3

30 दिसम्बर 2023
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अपने आंखों से बहते आंसुओ को छुपाकर बालू घर पहुंच गया और फिर नैया को पुकारने लगा....lइतने में नैया बालू के पास आकर पानी पिलाती है lनैया आज मै बहुत थक गया हूं और मुझे भूख भी नहीं है में सोने जा रहा हूं.

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नियति 4

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरा एक साल बीत गया और बालू ने कुछ पैसे जोड़ कर अशोक का दाखिला स्कूल में करवा दिया और किताबें और बैग आदि जरूरत के सभी समान भी खरीद लिये.......lअशोक अब 6 वर्ष का हो चुका था.....lअम्मा दे

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नियति 5

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..lनए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था औ

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नियति 6

30 दिसम्बर 2023
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रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे

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नियति 7

30 दिसम्बर 2023
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इसी तरह दिन बीतते चले गए...... और जी तोड़ मेहनत करता हुआ बालू भी अशोक की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने देना चाहता था...... परिस्थितियों से लड़ते हुए बालू खुद को पूरी तरह से भूल

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नियति 8

7 जनवरी 2024
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अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......lधीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल म

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नियति 9

12 जनवरी 2024
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और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......lअपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक क

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