रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे किसी भी तरह का कोई भी काम करना पड़े वो कर लेगा.....और फिर अपने बैचेन मन को शांत करते हुए बालू सोने के लिए चला जाता है..l
और फिर अगले दिन सुबह उठते ही बालू काम की तलाश में घर से निकल जाता है l
सुबह से काम की तलाश में भटकते हुए बालू को जब दोपहर तक भी कोई काम न मिला तो फिर वो एक आखिरी उम्मीद लेकर अपने थके हुए कदमों से अनाज मंडी की ओर चल देता है जहां पर उसे ट्रक लोड करने का काम मिल जाता है और फिर वो चावल के बोरे उठाकर ट्रक में लोड करने लगता है.........और फिर पूरे 6 घंटे तक कड़ी मेहनत से काम करते हुए चावल के बोरों से पूरा ट्रक लोड करने के बाद अपनी मजदूरी लेकर वापस घर लौट जाता है.....l
आज तो में बहुत थक गया हूं........और भूख भी लग रही है.....घर पहुंच कर बालू नैया से कहकर खाना मंगवाता है...l
का हुआ पूरा दिन से बाहर हो..... कछु खाए भी की नहीं..... और कौनो काम मिला कि नही......एक के बाद एक नैया बालू से कई प्रश्न पूछती है l
अनाज मंडी में काम मिला था ट्रक लोड करने का....और हमे तो इस बात का सुकून है कि उन्होंने हमे अगले 10 दिनों के लिए काम पर भी रख लिया है अब पैसों का कुछ न कुछ इंतजाम हो ही जायगा......और फिर अभी तो हमारे पास पूरा एक महीने का समय है.....बालू सुकूं भरे शब्दों से नैया को बताता है l
और इस तरह 10 दिनों तक लगातार अनाज मंडी में काम करने के बाद बालू के पास कुछ पैसे तो इकट्ठे हो गए पर अभी भी और कुछ पैसों की जरूरत थी...l
और इसलिए अनाज मंडी का काम खत्म होने के बाद अगले दिन फिर वो सुबह से ही काम की तलाश में घर से निकल जाता है और इस बार उसे ईंट के भट्टे में ट्रैक्टर में ईंट लोड करने का काम मिल जाता है और फिर अगले 12 दिनों तक बालू ईंट के भट्टे में ही काम करता रहा और फिर इस प्रकार से उसने तीन माह की फीस के पैसे इकट्ठे कर लिए और स्कूल की फीस जमा कर दी....l
अब बालू के दिल से एक बहुत बड़ा बोझ हल्का हो गया था......l
ये तो बालू की हिम्मत है जो प्रतिकूल परिस्थितियों के सामने भी छाती चौड़ी कर के खड़ी है अन्यथा इतने संघर्ष कौन करना चाहता है.......और जैसा कि इस कहानी की शुरुआत में कहा गया था कि एसी परिस्थितियों में अपने बच्चों के भविष्य की चिंता कौन करता है उन्हें तो बस बच्चों की भूख और उनका आज ही दिखाई देता है भविष्य के बारे में सोचने का तो इनके लिए कोई औचित्य ही नहीं रह जाता....खैर ये तो अपनी अपनी हिम्मत की बात है कि कोई बालू की तरह परिस्थितियों से टकराने की हिम्मत करता है तो कोई परिस्थितियों से डरकर भागना चाहता है....l
लाख चाहतें की थी, हालातों ने उसे हराने की
देकर खौफ नया हर बार, कोशिश की थी डराने की
हालातों से डरकर बेशक, वो पीछे कभी हटा नहीं
उमंग जो उसके दिल में थी, इतिहास को दोहराने की
और इस तरह बालू अशोक को लेकर कुछ नए सपने देखना शुरू कर देता है जो कि वाकई में उसकी हिम्मत का परिचायक है क्योंकि जिस व्यक्ति को खुद के ही वर्तमान का पता न हो वो यदि किसी का भविष्य संवारने के सपने देख रहा है तो इससे बढ़ कर हिम्मत की और क्या बात हो सकती है.....l