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नियति 9

12 जनवरी 2024

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और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......l
अपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक का मन अब स्कूल जाने के बजाय अर्थिक तौर पर बालू की मदद करने को कर रहा था इसलिये उसने अंततः एक निर्णय लिया जिससे उसकी सफलता की कहानी का सृजन हुआ.....l
अम्मा अब हम स्कूल नहीं जाएंगे.......अब हमारा पढ़ने लिखने का मन नहीं करता.......और वैसे भी अब तक हम बहुत पढ़ चुके.......मात्र 15 वर्ष की उम्र में ही यथार्थता से परिचित हो चुके अशोक ने अपने दिल की बात छुपाते हुए अपनी मां नैया से कहा........l
काहे नहीं जायगा तू स्कूल......अचानक का हो गया तुमका......स्कूल में कौनो तुमका कुछ कहा का.....का बात हो गई........घबराते हुए नैया अशोक से पूछती है......l
नहीं अम्मा हमे किसी ने कुछ नहीं कहा.....और वैसे भी अब हम इतना तो पढ़ ही लिए है कि हमारा गुजर बसर हो जाए......बस इसलिये अब हम कुछ काम करना चाहते हैं......इतना कहकर अशोक घर के कुछ जरूरी सामान लाने के लिये बाजार की ओर निकल गया......l
तो वही दूसरी ओर नैया भी अशोक की आँखों में अपने पिता लिए छुपी हुई मदद की भावना को आसानी से समझ चुकी थी....... जिस पर उसे अशोक के स्कूल छोड़ देने का दुःख तो हुआ ही पर बालू के लिए अशोक का प्यार देखकर उसे हल्की खुशी भी महसूस हुई...l
नैया जरा मुझे पानी दे दे मेरा गला सुख रहा है......रात में दिहाड़ी से लौटा बालू नैया को पुकारते हुए कहता है.........जिस पर नैया पानी लेकर आती है.....l
अशोक कहां हैं कहीं दिखाई नहीं दे रहा.....कहीं बाहर गया है क्या........पानी पीते हुए बालू नैया से पूछता है.....l
उ तो सामान लाने बाजार गया है......पर आजकल उ बहुतै उदास उदास सा लागत है......और आज तो उ कह रहा था कि अब उ स्कूल नहीं जायगा......काहे की अब उका पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता......उ अब कौनो काम करना चाहत है.......बेज़ान से शब्दों में नैया ने बालू को अशोक के दिल की सारी बाते कह दी........जिसे सुनकर बालू भी कुछ परेशान सा हो गया और फिर बेसब्री से अशोक के लौटने का इंतजार करने लगा......इतने में अशोक भी सामान लेकर घर लौट आया....और आकर अपने पिता के पास बैठ गया.......l
क्या हुआ बेटा तुम स्कूल क्यों नहीं जाना चाहते........
तुम तो पढ़ने लिखने में बहुत होशियार भी हो .....फिर
क्यों नहीं जाना चाहते तुम स्कूल....अचानक एसी कौन सी बात हो गई जो तुम अपने पिता से छुपा रहे हो....l
बड़ी ही मार्मिकता से बालू अपने पुत्र अशोक से पूछता है......जिस पर बहुत कोशिशों के बावजूद अशोक खुद को सम्भाल न सका और फूट फूट कर रोते हुए अपने पिता के सीने से लग जाता है....बाबुजी अब हम तुम्हें इस तरह से परेशान होते नहीं देख सकते....कल जब अपनी दिहाड़ी मांगने पर मालिक तुम्हें बुरा भला कह रहा था तो मुझे बहुत दुख हुआ कि मेरे कारण आप कितने दर्द झेलते चले आ रहे हो और कभी तुम्हारे माथे पर हल्की सी शिकन तक न आयी....बस अब मैं चाहे जितनी भी कोशिश कर लू पर अब मेरा पढ़ाई में मन लगना असंभव है इसलिए व्यर्थ स्कूल जाने से बेहतर होगा कि मैं अब कुछ काम करू...... पिता की सहमति की उम्मीद लिए अशोक बालू से कहता है....l
देखो बेटा अभी तुम्हारी उम्र इन बेवजह की बातों पर ध्यान देने की नहीं है............... तुम्हें स्कूल जाना ही होगा...... तुम पढ़ लिख लोगे तो तुम्हें इस तरह का जीवन नहीं जीना पड़ेगा......इसलिये तुम स्कूल जाओ और पढ़ने लिखने पर ध्यान दो......जाओ जा कर सो जाओ और अब बिना कोई बहाना किए सुबह स्कूल चले जाना.....ऊंचे स्वर में डांटते हुए बालू अशोक से स्पष्ट कह देता है....l
           
           असमंजस में पड़ गया था वो 
                     जाने कैसी अजब घड़ी थी 
             टकराना पड़ेगा जिससे उसे 
                  चट्टान उसके समक्ष खड़ी थी 


Laxmi Tyagi

Laxmi Tyagi

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌👌मेरी रचनाएँ भी पढ़कर प्रतिक्रिया दीजिये 🙏

14 जनवरी 2024

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रचनाएँ
नियति
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गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी ।
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नियति

23 दिसम्बर 2023
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अक्सर हमारे क्षेत्र के आसपास ही कुछ लोग एसे भी होते है जिन्हें हमने कभी देखा भी न हो न ही कभी उसका कोई जिक्र तक सुना हो....l परन्तु गरीबी की पराकाष्ठा से रुबरु होते इन्हीं चंद लोगों में से यदि को

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नियति 2

24 दिसम्बर 2023
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रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......lअरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलि

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नियति 3

30 दिसम्बर 2023
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अपने आंखों से बहते आंसुओ को छुपाकर बालू घर पहुंच गया और फिर नैया को पुकारने लगा....lइतने में नैया बालू के पास आकर पानी पिलाती है lनैया आज मै बहुत थक गया हूं और मुझे भूख भी नहीं है में सोने जा रहा हूं.

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नियति 4

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरा एक साल बीत गया और बालू ने कुछ पैसे जोड़ कर अशोक का दाखिला स्कूल में करवा दिया और किताबें और बैग आदि जरूरत के सभी समान भी खरीद लिये.......lअशोक अब 6 वर्ष का हो चुका था.....lअम्मा दे

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नियति 5

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..lनए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था औ

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नियति 6

30 दिसम्बर 2023
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रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे

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नियति 7

30 दिसम्बर 2023
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इसी तरह दिन बीतते चले गए...... और जी तोड़ मेहनत करता हुआ बालू भी अशोक की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने देना चाहता था...... परिस्थितियों से लड़ते हुए बालू खुद को पूरी तरह से भूल

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नियति 8

7 जनवरी 2024
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अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......lधीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल म

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नियति 9

12 जनवरी 2024
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और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......lअपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक क

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