shabd-logo

नियति 5

30 दिसम्बर 2023

7 बार देखा गया 7
देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..l
नए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था और पढ़ाई लिखाई में भी उसे बहुत रुचि थी....l

का हुआ बहुत निराश लागत हो.........ठंड की धूप में झोपड़ी बाहर बैठे बालू से नैया पूछती हैं l
हाँ नैया......तीन महीने पूरे हो चुके हैं.......अब अगले तीन महीनों की स्कूल की फीस भी भरना है....और कोई काम भी नहीं मिल रहा.....कब तक मैं यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूँ.......पैसों का इंतजाम कैसे होगा.....बड़े ही निराश शब्दों में बालू नैया से बोला l
तुम कहो तो हम अपनी अम्मा से कुछ पैसे माँग ले.....जब तुमका कौनो काम मिल जायगा तब उका लौटाए देंगे कुछ दिन में.....नैया अशोक से पूछती हैं l
नहीं रे नैया हम उनसे पैसे नहीं ले सकते हमे ही कुछ इंतजाम करना होगा..... हम आज अशोक को लेने स्कूल जाएंगे और मास्टर से बात कर के कुछ दिनों की मोहलत मांग लेंगे.....और फिर कुछ न कुछ इंतजाम हो ही जायगा.....पता नहीं हमारे बच्चे की किस्मत में आगे क्या लिखा है....अब तो हम राम भरोसे ही खुद को छोड़ दिए हैं.....वो जो करे वो ही ठीक.....l
और फिर बातों ही बातों में स्कूल की छुट्टी का वक़्त हो जाता है और बालू अशोक को लाने के लिये निकल जाता है फिर वहां पहुंच कर प्रधानाचार्य के कार्यालय में जाकर उनसे बात करता है....l
मालिक में अशोक का पिता हूं.......आज मुझे उसकी तीन महीनों की फीस भरनी थी किन्तु बहुत कोशिशों के बाद भी पैसों का इंतजाम नहीं हो सका इसलिये मुझे कुछ वक़्त और दे देते तो आपकी बड़ी मेहरबानी होती...... बालू प्रधानाचार्य के पैरों को पकड़ कर उससे विनती करता है....l
अच्छा तो आप है अशोक के पिता......बड़ी खुशी हुई आपसे मिलकर......देखिए अशोक हमारे स्कूल का सबसे होनहार बच्चा है....इस बात में कोई शक नहीं है.......और यदि कुछ आर्थिक परेशानियों के कारण यदि आप उसकी फीस अभी न भी भर सके तो कोई बात नहीं....किन्तु एक महीने के अंदर आप फीस का इंतजाम कर ले तो बेहतर होगा क्योंकि एक महीने तक तो मैं इस बात को छुपा सकता हूं पर माह के अंत में हमे भी स्कूल के संचालक को हिसाब किताब देना होता है इसलिए में मजबूर हूं अन्यथा मेरा बश चले तो अशोक जैसे बच्चों की तो मैं फीस ही न लू ......क्योंकि एसे नायाब हीरे सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं.......अशोक की तारीफ में प्रधानाचार्य बालू से कहते है l
और तारीफ करे भी क्यों न....अशोक था ही तारीफ के काबिल.....अपनी बुद्धिमत्ता से वो सभी शिक्षकों का चहेता बन चुका था l

प्रधानाचार्य की बाते सुनकर बालू का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था और उसके दिल में खुशियो की लहर उठ चुकी थी अब तो वो बेसब्र होकर छुट्टी की घंटी बजने का इंतजार कर रहा था ताकि अपने पुत्र को सीने से लगा ले...l
और फिर छुट्टी की घंटी बजते ही बालू का इंतजार भी खत्म होता है और अशोक के बाहर निकालते ही बालू उसे गोद में उठा लेता है...l
बाबुजी आज अम्मा क्यों नहीं आयी हमको लेने......
अशोक बड़ी ही जिज्ञासा के साथ बालू से पूछता है...l
क्योंकि आज हम तुमको घुमाने के लिए ले जाएंगे....चलो तुम्हें चॉकलेट दिलाते हैं....फिर घर पर चल कर लुका छिपी खेलेंगे...... बालू को अशोक पर बेहद प्यार आ रहा था...l

        खुशियो भरा पल बीता जा रहा था   
               वक़्त इम्तिहान का करीब आ रहा था               
       आगे क्या था होना वो नहीं जानता था 
            वो तो बस आज में ही जीता जा रहा था 

अशोक की तारीफ सुनकर कुछ समय के लिए अपनी सारी चिंताएं और तकलीफें भूलकर बालू खुशी से फूला नहीं समा रहा था...पर एक माह के अंदर तीन माह की फीस का इंतजाम करना ही उसके लिए एक इम्तिहान था......जिसमें उसे किसी भी हालत में सफलता प्राप्त करनी ही थी...l


9
रचनाएँ
नियति
0.0
गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी ।
1

नियति

23 दिसम्बर 2023
2
1
1

अक्सर हमारे क्षेत्र के आसपास ही कुछ लोग एसे भी होते है जिन्हें हमने कभी देखा भी न हो न ही कभी उसका कोई जिक्र तक सुना हो....l परन्तु गरीबी की पराकाष्ठा से रुबरु होते इन्हीं चंद लोगों में से यदि को

2

नियति 2

24 दिसम्बर 2023
0
0
0

रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......lअरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलि

3

नियति 3

30 दिसम्बर 2023
0
0
0

अपने आंखों से बहते आंसुओ को छुपाकर बालू घर पहुंच गया और फिर नैया को पुकारने लगा....lइतने में नैया बालू के पास आकर पानी पिलाती है lनैया आज मै बहुत थक गया हूं और मुझे भूख भी नहीं है में सोने जा रहा हूं.

4

नियति 4

30 दिसम्बर 2023
0
0
0

देखते ही देखते पूरा एक साल बीत गया और बालू ने कुछ पैसे जोड़ कर अशोक का दाखिला स्कूल में करवा दिया और किताबें और बैग आदि जरूरत के सभी समान भी खरीद लिये.......lअशोक अब 6 वर्ष का हो चुका था.....lअम्मा दे

5

नियति 5

30 दिसम्बर 2023
0
0
0

देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..lनए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था औ

6

नियति 6

30 दिसम्बर 2023
0
0
0

रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे

7

नियति 7

30 दिसम्बर 2023
1
1
1

इसी तरह दिन बीतते चले गए...... और जी तोड़ मेहनत करता हुआ बालू भी अशोक की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने देना चाहता था...... परिस्थितियों से लड़ते हुए बालू खुद को पूरी तरह से भूल

8

नियति 8

7 जनवरी 2024
1
1
1

अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......lधीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल म

9

नियति 9

12 जनवरी 2024
1
0
1

और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......lअपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए