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नियति 7

30 दिसम्बर 2023

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इसी तरह दिन बीतते चले गए...... और जी तोड़ मेहनत करता हुआ बालू भी अशोक की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने  देना चाहता था...... परिस्थितियों से लड़ते हुए बालू खुद को पूरी तरह से भूल चुका था......अब उसे याद था तो केवल यह कि अशोक की फीस के लिए पैसों का इंतजाम किस तरह से करना है .......l
खुद को पूरी तरह से झोंक देने के बावजूद 4 साल बाद एक समय एसा आया कि बालू से फीस के लिए पैसों का इंतजाम न हो सका और अशोक को स्कूल से निकाल दिया गया....l
इस वाकिये पर मैं पुनः आपका ध्यान कहानी की शुरुआत की ओर आकर्षित करना चाहूँगा कि यदि स्कूल का संचालक चाहता तो अशोक जैसे होनहार विद्यार्थी के स्कूल की फीस में कुछ रियायत की जा सकती थी परन्तु अपने स्वार्थ के वशीभूत उस संचालक द्वारा अशोक की पढ़ाई खत्म करवा कर उस हीरे को पुनः कोयले में तबदील करने की कोशिश की गई....l

अब एसे जी कर भी क्या फायदा की हम अपने बच्चे को पढ़ा तक न सके.....हमारा तो जान देने का मन कर रहा है......अपनी आँखों से झरने की भांति आंसू बहाते हुए बालू नैया से कहता है.....l

अरे तुम निराश काहे होत हो......और फिर तुम्हरे जान देवे से अशोक की फीस भर जाएगी का....तुम ऐसन फालतू बात न बोला करो......जिससे हमरे दिल को ठेस पहुचे.....बालू की आँखों से आंसुओ को पोछते हुए नैया उसे समझाती है......l
नैया....तुम अशोक को लेकर कुछ दिनों के लिए मायके चली जाओ... और हाँ..अशोक को इस बात का पता न लगने देना की उसकी फीस न भरने के कारण उसे स्कूल से निकाल दिया गया है....नहीं तो उस मासूम बच्चे के दिल को ठेस पहुंचेगी......तुम उससे कह देना की स्कूल की एक महीने की छुट्टी लग गई है....इसलिये तुम उसे नानी के यहां घुमाने ले जा रही हो.....और तब तक में मैं कहीं न कहीं से पैसों का इंतजाम कर उसकी फीस भर ही दूंगा.....बड़े ही निराश शब्दों में बालू नैया से विनती करता है....l

हाँ तुम ठीक ही कहत हो.....हम अशोक को लेकर कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली जात हूं...उके बाद जब पैसों का इंतजाम हो जावे तो तुम उकी फीस भर के हमका लिवा लाना.......बालू की बातों पर सहमति व्यक्त करते हुए नैया बालू से कहती हैं....l

        समेट कर मुश्किलों को खुद तक 
                     बेशक आंच न पुत्र पर आने दी 
       एक पिता का कटु सत्य है ये बन्दे 
                 झूठी कहावत नहीं है ये ज़माने की 

अब जहां एक ओर बालू पैसों के इंतजाम को लेकर चिंतित था तो वही दूसरी ओर उसे इस बात की चिंता भी सता रही थी कि कहीं अशोक को इस बात की भनक न लग जाये कि स्कूल की फीस न भरने के कारण उसे स्कूल से निकाल दिया गया है....इसलिये उसने कुछ दिनों के लिए अशोक को ननिहाल भेजकर फीस का इंतजाम करने का निर्णय लिया.....किन्तु ये भी शास्वत सत्य है कि अशोक के बिना एक पल भी उसका मन नहीं लगेगा और वो बिलकुल अकेला हो जायगा....पर नियति को कौन बदल सकता है.....l

अशोक...... बेटा कहां हो तुम.....यहां आओ जल्दी....तुम्हें कुछ बताना है....जिस पर अशोक भागता हुआ पिता के पास आकर उनकी गोद में बैठ जाता है......और फिर बड़े ही मनमोहक शब्दों में वो पिता से पूछता है.....क्या बताना है पिताजी....l
बेटा तुम्हें पता है तुम्हारे टीचर आए थे.... और उन्होंने बताया कि कुछ दिनों तक तुम्हारे स्कूल की छुट्टी लग गई है.... इसलिए तुम तैयार हो जाओ हम तुम्हें तुम्हारी नानी के घर घुमाने ले जाएंगे दिल पर पत्थर रखकर बालू अपने मासूम पुत्र से झूठ कहता है....l
सच मे स्कूल की छुट्टी है पिताजी....अच्छा तो ठीक है हम अपनी किताबें भी रख लेते हैं बैग में....हम नानी के यहां ही अपना होमवर्क कर लेंगे......बड़ी ही मासूमियत के साथ अशोक अपने पिता बालू से कहता है...l
बालू चाहकर भी अपने आंसुओ को बहने से न रोक सका.....और दूर जाकर फुट फुट कर रोने लगा.....l
फिर कुछ देर बाद बालू नैया और अशोक दोनों को नैया के मायके छोड़ कर वापस लौट आता है........l


30 दिसम्बर 2023

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रचनाएँ
नियति
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गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी ।
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नियति

23 दिसम्बर 2023
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अक्सर हमारे क्षेत्र के आसपास ही कुछ लोग एसे भी होते है जिन्हें हमने कभी देखा भी न हो न ही कभी उसका कोई जिक्र तक सुना हो....l परन्तु गरीबी की पराकाष्ठा से रुबरु होते इन्हीं चंद लोगों में से यदि को

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नियति 2

24 दिसम्बर 2023
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रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......lअरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलि

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नियति 3

30 दिसम्बर 2023
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अपने आंखों से बहते आंसुओ को छुपाकर बालू घर पहुंच गया और फिर नैया को पुकारने लगा....lइतने में नैया बालू के पास आकर पानी पिलाती है lनैया आज मै बहुत थक गया हूं और मुझे भूख भी नहीं है में सोने जा रहा हूं.

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नियति 4

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरा एक साल बीत गया और बालू ने कुछ पैसे जोड़ कर अशोक का दाखिला स्कूल में करवा दिया और किताबें और बैग आदि जरूरत के सभी समान भी खरीद लिये.......lअशोक अब 6 वर्ष का हो चुका था.....lअम्मा दे

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नियति 5

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..lनए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था औ

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नियति 6

30 दिसम्बर 2023
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रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे

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नियति 7

30 दिसम्बर 2023
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नियति 8

7 जनवरी 2024
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अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......lधीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल म

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नियति 9

12 जनवरी 2024
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और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......lअपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक क

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