अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......l
धीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल मिल गया.....और ननिहाल में मोहल्ले के बच्चों के साथ भी उसकी दोस्ती हो गई.......अब अशोक की दिनचर्या पूरी तरह से परिवर्तित हो चुकी थी.....और चूंकि अशोक के ननिहाल में कोई भी पढ़ा लिखा न था इसलिए अशोक की पढ़ाई भी लगभग खत्म सी हो गई थी....l
अशोक के ननिहाल में कुल 4 सदस्य थे नाना,नानी और मामा,मामी.....l
अशोक के मामा नीतेश मिस्री का काम करते थे.....l
अब चूंकि बालू के स्वाभिमान के खातिर नैया ने अपने माता पिता और भाई नीतेश से फीस न भर पाने के कारण अशोक को स्कूल से निकाले जाने की बात नहीं बताई थी इसलिए वे सभी इस बात से अनजान थे..l
वहीं दूसरी ओर बालू पैसों के इंतजाम में इतना मशगूल हो गया था कि उसे खुद की फिक्र तक नहीं थी.. दिन रात बस काम की तलाश में भटकते हुए बालू की रातों की नींद भी उड़ चुकी थी...l
जैसे तैसे बालू ने पैसों का इंतजाम कर ही लिया और अशोक की फीस भरने के बाद वो नैया और अशोक को फिर से अपने पास ही ले आया.....l
आज पूरे एक महीने के बाद अशोक स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहा था.....l
अम्मा अब तो मैं बड़ा हो गया हूं......अब तो मैं अकेले ही स्कूल चला जाऊँगा......तू मुझे छोड़ने क्यों जाती है.....अशोक नैया से कहता है...l
पर क्योंकि एक मां के लिये उसका पुत्र हमेशा ही बच्चा होता है.......इसलिये नैया उसे प्यार से समझाते हुए खुद ही उसे स्कूल छोड़ने के लिए निकल जाती हैं....l
अब जब काफी दिनों बाद अशोक स्कूल में पहुंचता है तो सभी शिक्षक उसके इतने दिनों तक स्कूल न आने का कारण पूछते है.....जिस पर वो नादान बालक सभी शिक्षकों को वहीं कारण बताता है जो उसे उसके पिता ने बताया था.....जिस पर शिक्षक हैरान हो जाते हैं...l
और फिर काफी पूछताछ के बाद सभी शिक्षकों को भी ज्ञात हो जाता है कि अशोक की फीस न भरने की वज़ह से वो इतने दिनों तक स्कूल नहीं आ पाया था.....इसलिए कोई भी शिक्षक उसे नहीं डांटते बल्कि इस बात से तो उनके मन में अशोक के लिए और भी प्यार बढ़ जाता है...l
दोषी नहीं पर नादान था वो
परिस्थितियों से अंजान था वो
खुद ही लिखा जो खुद के लिए
एसा ही एक फरमान था वो
अब अशोक फिर से अपनी पुरानी दुनिया में लौट आया था.....और अब उम्र के साथ उसमे इतनी समझ भी आ चुकी थी कि उसके पिता को उसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है......l
इस बात से प्रभावित अशोक भी अब अपने पिता के छोटे मोटे कार्यों में उनका हाथ बटा दिया करता था....
और वह धीरे-धीरे घर के अन्य कार्यों के प्रति भी जिम्मेदार बन रहा था....l
अशोक में आए इस बदलाव से बालू और नैया भी बहुत खुश थे....l
अब मेरी चिंताएं धीरे-धीरे कम होती जा रही है......वो उम्र में छोटा जरूर पर हमारा पुत्र अब काफी समझदार हो चुका है.....बालू खुश होते हुए नैया से कहता है...l
हाँ तुम ठीक ही कहत हो....अशोक हमरे हर काम मे हमरी मदद करता है....और अपने भी सारे काम अब उ खुद ही करत है.... बालू की बातों पर सहमति व्यक्त करते हुए नैया बालू से कहती है...l
अशोक में आए इस बदलाव का केवल एक ही कारण था और वो कारण था उसे इस बात का पता लगना उसके पिता काफी मशक्कत के बाद उसे मोहल्ले के बाकी बच्चों की तरह दिहाड़ी पर ले जाने की बजाय उसे स्कूल भेजकर उसके भविष्य की चिंता कर रहे हैं....किन्तु इतनी छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी बात समझना भी उसकी कल्पना शक्ति को प्रदर्शित करती है.....जो उसे एक नई ताकत और नया आयाम प्रदान करती हैं...l