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नियति 2

24 दिसम्बर 2023

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रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......l
अरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलिए देर हो गई.....चिन्ता तो हमे इस बात की है कि दो चार दिन में जब यहां का काम पूरा हो जायगा तब हमे कहां काम मिलेगा ....जब तक छत कि लकड़ी न खुलेंगी तब तक तो यहां का काम रुक ही जायगा....l
अरे तुम चिंता काहें करत हो मिल जायगा काम तुमका चलो खाना खाई लो.....l
अशोक दिखाई नहीं दे रहा है...सो गया क्या....खाना खाते हुए बालू नैया से पूछता है.....l
अभी तो उ सो रहा है पर सुबह जब छोटे छोटे बच्चन को स्कूल जाते देखत है तो उ भी स्कूल जाइ का कहत है.....अब हम उका स्कूल जरूर भेजेंगे चाहे हमका भी तुम्हरे साथ मजदूरी ही काहे न करनी पड़े........ नैया बड़े ही करुण शब्दों में बालू से कहती हैं.....l
ठीक है तू कहती है तो दो तीन दिन में यहां का काम खत्म हो जाने पर हम उसे स्कूल जरूर भेजेंगे अब तू चिंता न कर....तू भी खाना खा ले और सो जा......l
और फिर बालू की बात सुनकर नैया के निराश दिल में फिर से एक आस जग उठती है और वो बेहद खुश हो जाती है....l
अगले दिन बालू जब दिहाड़ी पर गया तो नैया की बातें उसके दिमाग में चल रही थी और उसने तय कर लिया था कि आज मालिक से हमारी 10 रोज की दिहाड़ी ले लेंगे और फिर अशोक को स्कूल जरूर भेजेंगे l
फिर जब बालू मालिक को आता देखता है तो सर पर रखी गिट्टी की तगाड़ी को नीचे रख कर मालिक के पास जाता है.......l
मालिक हमारी 10 रोज दिहाड़ी मिल जाती तो आप की बहुत कृपा हो जाती हम अपने बच्चे को स्कूल भेजना चाहते है........ अपने दोनों हाथों को जोड़कर बालू मालिक से कहता है l
अरे क्या करोगे उसे स्कूल भेजकर पढ़ लिख लेगा तो बड़ा होकर उसे मजदूरी करने में भी शर्म आएगी......
और वैसे भी उसकी पढ़ाई लिखाई में बहुत खर्च होगा इससे तो बेहतर होगा कि तुम उसे अपने साथ यहां लाया करो यहां के काम सीखेगा तो तुम्हारा हाथ बटा दिया करेगा....स्कूल जाकर वो क्या करेगा..........और वैसे भी मैं तुम्हारी 10 दिन की दिहाड़ी में अभी नहीं दे सकता क्योंकि कल छत डालने के बाद लकड़ी खुलने तक तुम अगर कहीं और चले गए तो.....इसलिये तुम्हारी 10 दिन की दिहाड़ी तुम्हें छत कि लकड़ियां खुलने के बाद जब तुम यहां दिहाड़ी करोगे तब ही मिलेगी..........बड़े ही निर्दयता के साथ मालिक बालू से कहता है l
परिस्थितियों का मारा बेचारा बालू मालिक की बातें सुनकर स्तब्ध सा रह गया और फिर अपने दिल पर पत्थर रखकर वो फिर से अपने काम मे लग गया l

          शब्दों से अपने वो निर्दयी 
                      एक भोले दिल को चीर गया 
         आशा की राहों पर जालिम 
                         खींच वो एक लकीर गया 

दिन ढलने के बाद जब सभी मजदूर अपने अपने घर जाने के लिए निकल रहे थे तभी अचानक उनकी नजर गिट्टी के ढेर के ऊपर बैठ कर रोते हुए बालू पर जाती हैं 
और फिर वो सभी जाकर बालू को समझाते है कि मालिक की बातों को दिल पर न ले धीरे धीरे सब ठीक हो जायगा तुम्हारा बच्चा स्कूल जरूर जायगा मालिक कौन होता है ये तय करने वाला और फिर सभी के समझाने पर अपनी बेबसी पर रोता हुआ बालू जब घर जाने के लिए निकला तो उसे समझ नहीं आ रहा था कि घर जाकर वो क्या मुंह दिखाएगा.... मालिक की
बातें उसके कोमल दिल पर एक साँप की भांति लोट लगा रही थी......किन्तु परिस्थितियों पर किसका जोर चलता है यही सोचकर वो बेचारा अपने दिल को समझाता हुआ घर की ओर चल देता है........l
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

उफ कितने निर्मम हैं उसके मालिक जो उसके बेटे को भी काम सिखाने की सीख देकर उसकी दस दिन की दिहाड़ी भी न दे रहे हैं क्रूर समाज का चित्रण करता हुआ बेहतरीन भाग

14 सितम्बर 2024

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रचनाएँ
नियति
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गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी ।
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नियति

23 दिसम्बर 2023
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अक्सर हमारे क्षेत्र के आसपास ही कुछ लोग एसे भी होते है जिन्हें हमने कभी देखा भी न हो न ही कभी उसका कोई जिक्र तक सुना हो....l परन्तु गरीबी की पराकाष्ठा से रुबरु होते इन्हीं चंद लोगों में से यदि को

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नियति 2

24 दिसम्बर 2023
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रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......lअरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलि

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नियति 3

30 दिसम्बर 2023
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अपने आंखों से बहते आंसुओ को छुपाकर बालू घर पहुंच गया और फिर नैया को पुकारने लगा....lइतने में नैया बालू के पास आकर पानी पिलाती है lनैया आज मै बहुत थक गया हूं और मुझे भूख भी नहीं है में सोने जा रहा हूं.

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नियति 4

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरा एक साल बीत गया और बालू ने कुछ पैसे जोड़ कर अशोक का दाखिला स्कूल में करवा दिया और किताबें और बैग आदि जरूरत के सभी समान भी खरीद लिये.......lअशोक अब 6 वर्ष का हो चुका था.....lअम्मा दे

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नियति 5

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..lनए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था औ

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नियति 6

30 दिसम्बर 2023
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रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे

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नियति 7

30 दिसम्बर 2023
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इसी तरह दिन बीतते चले गए...... और जी तोड़ मेहनत करता हुआ बालू भी अशोक की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने देना चाहता था...... परिस्थितियों से लड़ते हुए बालू खुद को पूरी तरह से भूल

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नियति 8

7 जनवरी 2024
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अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......lधीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल म

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नियति 9

12 जनवरी 2024
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और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......lअपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक क

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