नृत्य अर्थात नाचना या डांस।यह विद्युतीय कला स्पंदन है जो शरीर को आनंद प्रफुल्लचित्त करता है।कई नये नृत्य आयाम शरीर से गुजर कर आत्मा के प्रकाशपुंजों का प्रकटित भाव है।भारतीय नृत्य अधिकतर मन्दिरों में देवदासियों नृत्यांनाओं द्वारा कचीपुणी, भरतनाट्यम ,ओडिशी, कथाकली और अन्य नामों से विकसित हुआ है।संगीत आत्सात मन हृदय मस्तिष्क को नव आयाम खुशी प्रदान करता है।
हमारे अंगों की थिरकन और कमर और पैरों आंखों और हाथों के रूप से।नृत्य खुशी देता है ।नृत्य श्रीकृष्ण ने रास लीला अपनी गोपियों संग किया भगवान भोलेनाथ जी ने गोपरुप में श्री कृष्ण संग अर्दधनारिश्वर धर कर गोपेश्वर महादेव की स्थापना की।नृत्य को आध्यात्मिक का सृजन है भजन कीर्तन में या भागवतपुराण में नृत्य कर भगवान को रिझाया जाता है आशीर्वाद पाने के लिए। नाच आधुनिकता का अलग रूप लेकर आया।माइकल जैक्सन की डांस बहुत प्रभाव देता था।बार गर्ल नाचकर धन कमाकरअपनी जीविका चलाती है।कोठे पर तवायफों ने शास्त्रीय नृत्य गायन वादन से ऊर्दू की शब्दावली को उत्कृष्ठ बनाया ।जिसे नबावों ने सराहा।नृत्य , गायन ,वादन,वाद्ययंत्र पर ठुमरी, दादरा और भी संगीत पर धुन पर थिरकन देता है।
संगीत मां सरस्वती जी की वीणा के मधुरमय तारों के झंकृत स्पंदन से निकला।देव दानव मानव नृत्य के शौकीन रहे।ऊर्वशी, मेनका, रम्भा देव इंद्र के दरबार की शोभा थी जो मनोरंजन करती नृत्य करके तपस्वियों और ब्रह्मचार्य की तपस्या तक भंग करने की सिद्धहस्त थी।किन्नर इस नृत्य कला से घर घर बधाइयाँ देते है।नृत्य रक्त संचार करता है भक्ति मे डूबकर नृत्य शरीर को अलग स्फुर्ति भी चैतन्य महाप्रभु भी नाच नाचकर अश्रुपुरित होते थे।नृत्य करें खुश रहे।
धन्यवाद ।
हिन्दी दिवस की शुभकामनाऐ