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सीढियां

10 सितम्बर 2021

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उन्नति  का शिखर हो या ऊँचाइयां  छूने के लिए एक एक कदम बढ़ कर आगे बढ़ाने वाला कदमों  को उठाकर सीढियों रूपी लक्ष्य जज्बा और लगन जरूरी  है।घरों  की छत पर जाने वाली सीढिया लकडी या बास की या आधुनिक  स्टील की या लोहे  की या सीमेंट की होती है।
जीवन की सीढिया तो जन्म के प्रथम चरण गर्भावस्था  से प्रारम्भ  होकर नव मास तक जारी  रहती है फिर जन्म पंलग पर  से शिशु को हर सीढियों के सोपान से गुजरकर शैशवावस्था बालक ,युवावस्था ,जवान,प्रौढ़ावस्था ,अधेड़ ,वृद्धावस्था और अंतिम  सीढी बास की खाट पर शमशान यात्राएँ ।सनातन धर्म में मान्यता  है कि मृत व्यक्ति के परिजन खासकर पुरुष  अपने केश दान करते  है मृत आत्मा के लिऐ ऐसा इसलिए  कि मृत आत्मा  केशों  पर कदम रखकर आगे  के कदमों  को बढ़ कर स्वर्ग  या नरक के कर्म  को सहनकर आगे  बढोतरी  करे।विशेष  ये कर्मकांड आत्मा को मुक्त करते  है या नहीं पर शास्त्र कहते  है हमारी आने वाली आधुनिकता  का भविष्य  नहीं समझ पाएगा।सीढियां हमें  ऊँचाईयों पर ले जाती है और अंहकार आने पर पतन पर ले जाने की राहें भी  दिखाती है, अगर कदम संभलकर  न रखे जाय। अधिकतर  घरो में सीढियों के नीचें जूते  चप्पल  रखते  हुए देखा गया है वास्तुशास्त्र दोषकारण होता है  ।जूते  चप्पल  न रखे ।सीढियां हमार॓  जीवन में विशेष  महत्व रखती है रिश्तेदारों  से आचार विचार व्यवहार से जो हमें  मजबूती  भी  देती है सहारा बनकर या जमीन से उठाकर पतन तक ले जाने में या अधर में लटका कर।मजबूती  से कदम रखिए चाहे  कोई भी  सोपान हो या आयाम सीढिया हमें  एक एक पग उठाकर अनुभव  ही देती है ।विश्वास की मजबूती  भी  जीवन चक्र है स्वीकार करें गिनती है  कर्मों की सीढियों की।
धन्यवाद ।

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