12 सितम्बर 2021
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मैं गृहिणी हूँ ।पहले एक अध्यापिका थी।लेखन पाठन नृत्यं में रुचि है।मुझ में पशुवर्ग प्राकृतिक प्रेम कूट कूट कर भरा है।प्रेम मेरा प्रिय विषय है। समाजके विषय पर लेखन करती हूँ ।प्रतिलिपि मंच पर भी लेखन करती हूँ ।धन्यवाद ।D
<div>चलिए खुलकर खिलखिलाते है।</div><div>मौसम का मिजाज बदल जाए चाहे </div><div>अपनी अलग दु
<div>ये जिंदगी सवालात कर बैठी हमसे </div><div>तुम इतने इतमिनान से क्यूं  
<div><br></div><div>कद्रदान बनिऐ महफिल के हर एक शख्स की।<span style="font-size: 1em;">शा
<div>इतमिनान है मुझे तुम जहां भी हो खुश हो</div><div>नहीं तलाश करती है नजरें बस मै
<div>साइबर अपराध के तहत कुछ अपराधिक प्रपञ्च फैलाकर फ़ेसबुक या काॅल करके महिलाएँ बनकर पुर
<div>न कुरेदों जख्म मेरे हरे है अभी </div><div>नश्तर की नोक की चुभन शब्दों &n
<div>आज जाने की जिद न कीजिएगा</div><div>पहलू में आकर बातें कर लीजिऐगा</div><div>नजरों &n
<div>बदलाव और शहरों में रहने की आधुनिकता ने हमें पलायन स्वीकार करना अन
<div>योग हमारे मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव अंकित करता है।आज की भागमभाग की जीवन शैलियों &n
<div>उन्नति का शिखर हो या ऊँचाइयां छूने के लिए एक एक कदम बढ़ कर आगे बढ़ाने वाला कदमों &n
<div>मानव जीवन की बौद्धिकी में सर्वश्रेष्ठ है ।बुद्विजीवियों की भांति विकासोन्मुखी अनेक
<div>मैं कहती रही वों सुनते रहे</div><div>खामोशी की चादर ओढ़कर वो गुमशुम रहे</div><
<div>चलो इक बार अजनबी से बन जाए</div><div>न हम तुम्हें हमें जानों न हम तुम्हें जानें</div><div
<div>नृत्य अर्थात नाचना या डांस।यह विद्युतीय कला स्पंदन है जो शरीर को आनंद प्रफुल्
<div>दबे पाँव जब तुम आए महक उठा तन</div><div> झंकृत हो उठा जब मन महक गई कस्तूरी&nbs
<div>इच्छाएं स्वयं हम निर्धारित करते है अच्छी और बुरी ....असीमित और प्
<div>आज ये कैसी हवा बह रही है.........</div><div>हम है तन्हा किसी की सदा आकर छू रही है</div><d