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ओबामा ने गिफ्ट दिया क्या ?

28 जनवरी 2015

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अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गले मिले। कई बार नमस्ते से संबोधन शुरू किया। बताया कि चाय बेचने वाले मोदी पीएम बने हैं तो उनके दादा भी ब्रिटिश सेना के खानसामा थे। जाते-जाते हिन्दी में धन्यवाद भी बोल गए। अपने विमान के दरवाजे पर खड़े होकर पत्नी मिशेल समेत हाथ जोड़कर भारतीय सभ्यता के अंदाज में मेहमान नवाजी को भी याद किया। लेकिन सवाल ये है कि ओबामा से हमें क्या मिला ? बड़ा सवाल ये इस वजह से है कि दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क के प्रमुख को मेहमान बनाने का जो फैसला सरकार ने किया, उसमें उसे हासिल आखिर क्या हुआ है ? बराक ओबामा की इस यात्रा से फिलहाल मोदी के साथ मन की बात और दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में छात्रों से बातचीत में मिल्खा सिंह से लेकर मैरी कॉम तक की याद ही मिलती दिख रही है। हालांकि ओबामा कह गए हैं कि अमेरिकी कंपनियां भारत में ४ अरब डॉलर का व्यापार करेंगी। लेकिन कितने दिन में भारत के खजाने में ये रकम पहुंचेगी, ये न तो उन्होंने बताया। न मोदी सरकार ने। कहा ये जा रहा है कि अब परमाणु ऊर्जा के लिए भी अमेरिकी कंपनियां भारत पहुंचेंगी। लेकिन रास्ता इस पर होने वाले करार के ८ साल बाद अब भी रोड़ों वाला ही है। जब तक हादसों के दौरान क्षतिपूर्ति दिए जाने का मामला साफ नहीं होता, इस तरफ फिलहाल कोई कदम बढ़ता नहीं दिख रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दौरे में अगले १० साल के दौरान भारत और ओबामा के देश के बीच रक्षा संबंध बनाए रखने का समझौता फिर से हो गया। बताया जा रहा है कि एक अमेरिकी कंपनी छोटे ड्रोन विमान मेक इन इंडिया के तहत अपने देश में बनाएगी। लेकिन फायदा किसका होने वाला है ? जाहिर है अमेरिका का। भारत में कम तनख्वाह पर वो काम हो सकता है। जिसके लिए उसे अपने यहां लाखों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। हालांकि कुछ नौकरियां इससे अपने देश के युवाओं को मिल जरूर जाएंगी। लेकिन ओबामा यहां भी गिफ्ट देते नहीं दिख रहे हैं। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में जब मोदी ने ओबामा के लिए चाय की प्याली तैयार की थी तो उस दौरान भी दोनों के बीच बातचीत होती रही थी। चाय पीने के बाद दोनों यहां के बड़े से लॉन में खूब टहले भी थे। बतियाते-गपियाते हुए। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों नेताओं ने सवाल पूछने पर साफ कह दिया कि कुछ चीजों को पर्दे के पीछे भी रहने देना चाहिए। मुलाकात हुई, क्या बात हुई, ये बात किसी से न कहना की तर्ज पर सब कुछ छिपा लिया गया। हां, एक चीज जरूर ओबामा ने भारत को जाने से पहले दी है। उन्होंने ये साफ तौर पर कह दिया है कि सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाकर ही भारत तरक्की कर सकता है। सटीक नसीहत देकर ओबामा अपने काफिले के साथ दिल्ली से उड़ चले। सो, मोदी सरकार खुद के लिए दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान से यही गिफ्ट हासिल करने की मानकर चले। बाकी तो वादे हैं। पूरे हुए तो ठीक। वरना अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे तक नजर रखिए।

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