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शिवी भी स्कूल से आकर थोड़ा आराम करने के बाद वो भी पढ़ाई में लग गयी क्योकि उसकी परीक्षा जल्द ही होने वाली थी और वो अच्छे नंबर लाना चाहती थी ताकि वो अपना दाखिला अच्छे कॉलेज में करा सके इसलिए वो खूब मेहनत कर रही थी।
मम्मी के बुलाने के बाद किताबें मेज पर रखकर वो मम्मी के पास चली आई और फिर मम्मी के साथ मिलकर मेज पर खाना लगा रही थी औऱ उनसे बात भी करती रहती थी।
शिवी- मम्मी पता है आज स्कूल में हम सब सहेलियां बैठ कर बात कर रही थी तब मैंने सबसे पुछा की सब कहाँ कहाँ अपना दाखिला करा रही है? सब ने अपना अपना बताया आपको अंजली याद है जो स्कूल में आपसे मिली थी?
शुभांगी जी सोचते हुए और ना याद आने पर शिवी को देखती है।
शिवी- अरे वो ही अंजली जब आप स्कूल प्रोग्राम में आई थी और मुझे ढूंढ रही थी तो वो आपको मेरे पास लेकर आई थी।
शुभांगी जी- अच्छा याद आया, बहुत प्यारी बच्ची है, क्यो क्या हुआ उसे?
शिवी- बारह पढ़ने के बाद उसकी शादी कर दी जायेगी उसे आगे पढ़ने को नही दिया जायेगा।
पता है मम्मी वो दुखी थी। वो भी हम जैसे आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन उसके परिवार वाले उसे आगे नही पढ़ाना चाहते है और जल्द ही उसकी शादी कर देंगे।
क्या पढ़ाई से भी ज्यादा जरूरी शादी है? क्या उसके कोई सपने कोई आकांछा नही है?
मुझे तो लगता है ये उसके मम्मी पापा तो है ही नही जो उनको अपनी बेटी का उतरा हुआ चेहरा नही दिख रहा है।
शिवांगी जी- नही बेटा, ऐसा नही बोलते है। शायद उनकी कोई मजबूरी होगी तभी वो ऐसा कर रहे है। कोई माँ बाप ऐसे नही होंगे जो अपने बच्चो को पढ़ाना नही चाहते होंगे। होगी उनकी कोई मजबूरी जो वो लोग ऐसा कर रहे है।
शिवी अपनी मम्मी की बात को ध्यान से सुनती है और बोलती है
शिवी- हा क्या पता ऐसा भी हो?
लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि मुझे आप जैसे मम्मी पापा मिले जो अपने बच्चो का खूब ध्यान रखते है और कभी भी किसी चीज़ के लिए मना नही करते है अगर किसी बात के लिए टोकते है तो उसमें हमारी भलाई ही छुपी रहती है।
ये सब बोलकर शुभी अपनी मम्मी के गले लग जाती है और शिवांगी जी भी उसे गले लगाए ही प्यार करती है।
तब तक रमेश जी भी आ जाते है।
रमेश जी- क्या बात है आज माँ बेटी में बहुत प्यार आ रहा है। दोनो एक दूसरे से गले लगे है?
शिवांगी जी मुस्कुराते हुए बोलती है- तो आपको क्यो इतनी जलन हो रही है हम माँ बेटी को गले लगे देखकर?
रमेश जी- क्यो ना हो भाई, मेरी बेटी अपना सारा प्यार सिर्फ अपनी माँ को दे रही है हमें तो कुछ नही मिला है।
रमेश जी मुँह लटकाते हुए बोले
ये सुनते ही शिवी अपने पापा से गले लग जाती है।
शिवी- नही आप दोनो का प्यार सिर्फ मेरे लिए है और मेरा सारा प्यार आप दोनो के लिए है।
शिवांगी जी- और तुम्हारा भाई वो कहां गया?
शिवी अपने भाई को वही से चिल्लाकर बुलाती है।
शिवी- भाई ओsss भाई, आ जाइये।
रोहित- आ रहा हूँ, चिल्ला क्यो रही है?
शिवी- ये देखिये आपको कोई प्यार नही करता है आपके हिस्से का प्यार भी मुझे ही मिल रहा है।
शिवी अपना अगूंठा और जीभ निकालकर रोहित को चिढ़ाती है।
रोहित शिवी को मम्मी पापा के गले लगे देखता है और जलन वाला मुँह बनाकर देखता है।
रोहित- ये क्या सब मुझे भूल ही गए है। कोई मुझे प्यार नही करता है।
रमेश जी हाथ बढ़ाकर रोहित को भी गले लगा लेते है।
फिर रोहित गले लगता है और शिवी को चिढ़ाने के लिए बोलता है।
रोहित- कुछ सालों बाद जब तेरी शादी हो जायेगी तो मम्मी पापा दोनो का प्यार सिर्फ मुझे ही मिलेगा तो अभी तू उनका सारा प्यार लेले बाद में मेरा हक़ होगा।
अब रोहित शिवी को मुँह चिढ़ाने लगा
शिवी कुछ बोलने जाती है तो रमेश जी दोनों को बीच मे रोककर बोलते है
रमेश जी- बस करो तुम दोनों चलो अब सब खाना खाते है फिर सब खाना खाने के लिए बैठ जाते है और खाना शुरू करते है।
खाना खाने के बाद शिवी सबकी थाली उठाकर किचेन में ले जाकर धुलती है और फिर अपने रूम में चली जाती है।
शिवी कमरे में आकर वो अपना लैपटॉप उठाकर बेड पर बैठ जाती है और फिर उसे ऑन कर देती है।
स्वयं खाना खाकर अपने कमरे में आ जाता है और बिस्तर पर लेटकर डिनर के समय हुए बातों को सोच रहा था तभी उसके मैसेज का टोन बज जाता है वो बिना मन से मोबाइल को उठाकर ऑन करके देखता है और वो जैसे ही शुभी का मैसेज देखता है, उठकर बैठ जाता है।
स्वयं रिप्लाई में एक स्माइली फेस सेंड करता है और पूछता है😄
स्वयं- कहाँ थी पूरा दिन?🤔
शुभी- जहन्नुम में😁
स्वयं- अच्छा जी मुझे भी एड्रेस बता दो मैं भी आ जाऊंगा।🙄
शुभी- नही तुम जहाँ हो वही रहो
स्वयं- नही, क्यो मैं यहाँ रहू? मुझे भी जहन्नुम देखना है।
शुभी- लेकिन तुम यहाँ नही आ सकते हो।
स्वयं- अरे क्यो नही आ सकता हूँ? तुम एड्रेस तो बताओ।
शुभी- मैं कह रही हूँ ना।
स्वयं- लेकिन क्यो वो तो बताओ?
शुभी- क्योकि पापी लोग जहन्नुम में नही आ सकते है।शुभी हँसने वाला फेस भेजा🤣🤣
स्वयं एंग्री फेस😡😡 सेंड करते हुए
स्वयं- मुझसे बड़ी पापी तो तुम हो। जब तुम जहन्नुम में पहुँच गयी तो मैं भी पहुँच है जाऊंगा।
शुभी- नही मैं तो पापी नही हूँ।
स्वयं- तुम हो बस तुम्हे पता नही है।
शुभी- अच्छा और तुम्हे पता है कि मैं पापी हूँ।
स्वयं- हा, बिल्कुल पता है।
शुभी- अच्छा फिर बताओ हमने कौनसा पाप किया है।
स्वयं- तुमने एक मासूम से बालक का मैसेज सुबह से इग्नोर किया है तो किया ना तुमने पाप।
शुभी हँसने वाली इमोजी भेजती है🤣🤣🤣
शुभी- तुम भी ना गजब की बात करते हो।
स्वयं- तो बताओ आंटी कहा थी पूरा दिन?
शुभी- बताया तो जहन्नुम में
स्वयं को अब गुस्सा आ रहा था वो सोच रहा था उफ्फ ये लड़कियां भी ना एक बार मे किसी भी सवाल का उत्तर ठीक से नही दे सकती जब तक कुत्तों के जैसा चार बार ना पूछो कुछ बताने वाली है भी नही।
स्वयं- ओके मत बताओ अब मैं भी नही पूछता।
शुभी खुश होते हुए
शुभी- ओह्ह लगता है अंकल को गुस्सा आने लगा है।
स्वयं- हा जब ठीक से जवाब नही दोगी तो गुस्सा तो आएगा ही ना।
शुभी- अरे हमने तो ठीक से ही बात किया था।
स्वयं- जब हमने पूछा कहा थी पूरा दिन तो तुमने ठीक से उत्तर भी तो नही दिया।
शुभी- जहाँ आप व्यस्त थे वही हम भी व्यस्त थे।
स्वयं- मैं तो स्कूल और पढ़ाई में व्यस्त था।
शुभी- तो मैं भी स्कूल और पढ़ाई में व्यस्त थी।
फिर उनकी पढ़ाई से रिलेटेड बाते शुरू हो गई। दोनो ही पढ़ाई में बहुत अच्छे है इसलिए दोनो ने अपनी अपनी स्टडी से रिलेटेड बहुत सारी बाते किया और फिर दोनो गुड नाईट बोलकर सो जाते है।
क्रमशः
धन्यवाद🙏