बात उस वक़्त की है जब मैं नया-नया फेसबुक चलाना सीखा था। बड़े भाई के बहुत सारे रिस्ट्रिक्शन के साथ मैंने fb चलाना शुरू किया।
मैं स्वयं चौधरी इस कहानी का हीरो हूँ। पापा गिरीश चौधरी एक बड़े बिज़नेसमैन है। मॉम रेखा चौधरी गृहणी है और एक बड़े भाई साहिल चौधरी वो भी पापा के साथ बिज़नेस में उनकी मदद करते है और छोटी बहन श्वेता चौधरी।
हा तो बात फेसबुक की हो रही है, मैं fb पर बहुत मस्ती करता था – पोस्टिंग,कमैंट्स, लाइक, अपडेटिंग जैसे ज़िन्दगी यही पर आकर ठहर गयी थी।
fb पर मेरे बहुत सारे फ्रेंड्स थे जो स्कूल के , रिश्तेदार और बहुत सारे ऑनलाइन फ्रेंड्स भी थे। मैं बहुत मिलनसार और थोड़ा फ्लर्टिंग स्वभाव का भी था तो सबसे बात कर लेता था उसमे बहुत सारी लडकिया भी फ्रेंड्स थी।
ऐसे ही सामान्य दिनों के जैसे ही दिन थे उस दिन मेरा किसी से बात करने को मन नही कर रहा था तो ऐसे ही फाइंड फ्रेंड लिस्ट में सबकी id को देखने लगा।
अचानक से मेरी नज़र एक id पर रुक गयी और मैं उसकी प्रोफ़ाइल को देखने लगा और मेरे हाथ खुद ही उसकी id को ओपन करने लगे वो प्रोफाइल एक लड़की की थी। उसका नाम शुभी गुप्ता था। शायद उसने प्रोफाइल में अपनी ही फ़ोटो लगाई थी क्योकि जिस तरह से उसने अपनी फोटो क्लिक करायी थी उससे ऐसा लग रहा था वो अपना चेहरा दिखाना नही चाहती थी उसका पूरा चेहरा नही दिख रहा था। देखने में मुझे उसकी प्रोफाइल बहुत इंटरेस्टिंग लगी इसलिए मैंने उसकी प्रोफाइल ओपन की लेकिन अफसोस उसने प्राइवेसी लगा रखी थी जिससे उसके बारे में कुछ भी जान नही सकता था केवल सामान्य मालूमात के अलावा।
यार मुझे ये समझे में नही आता की इन लड़कियों के प्रोफाइल में ऐसा होता क्या है जो इतनी प्राइवेसी लगा रखी है। ऐसे काम तो सिर्फ ये लड़कियां ही कर सकती है। मैं ना ही रिक्वेस्ट भेज सकता था और ना ही कुछ जान सकता था।
मैसेज मैं करना नही चाहता था क्योकि मैं उस टाइप का लड़का बिल्कुल भी नही था जो लड़कियों की ib में जाकर उनको मैसेज करके परेशान करू और उसकी id में एक यही ऑप्शन दिख रहा था। वैसे भी मैसेज करने से इन लड़कियों के भाव बढ़ जाते है और रिप्लाई की उम्मीद तो कभी की ही नही जा सकती थी।
कुछ समय सोचने के बाद मैंने hii का एक छोटा सा मैसेज कर दिया और फिर कुछ समय इंतजार करने के बाद जब मैसेज का जवाब नही आया तो मुझे गुस्सा आने लगा वैसे गुस्सा आने वाली ऐसी कोई बात थी नही क्योकि सबको पता है ये लड़कियों को इग्नोर करने की आदत होती है बस मुझे गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि मैं उस प्रकार का लड़का बिल्कुल भी नही था जो लड़कियों के ib में जा जा कर उन्हें मैसेज कर के परेशान करें लेकिन पता नही क्यों ये लड़की मुझे इंटरेस्टिंग लगी और मेरा मन किया उससे बात करने का तो बस मैन मैसेज कर दिया।
कुछ समय बाद मैंने अपना फ्लिर्टी दिमाग लगाया और एक और मैसेज कर दिया। मैसेज कुछ ऐसा था।
स्वयं- हेलो! आंटी आपकी उम्र क्या है?😃
एक्सपेक्टेशन के अनुसार मैसेज का रिप्लाई आ गया😂
शुभी- ओये! तुम्हे मैं आंटी दिख रही हूँ जाओ और जाकर अपनी आँखे चेक कराओ😡
स्वयं- दिख ही तो नही रही हो, लगता है कल सच मे जाकर आँख दिखाना ही होगा हमे😄
शुभी- हा, जा कर दिखा लेना क्योंकि लड़की और आंटी में फर्क ही नही है तुम्हे😏
स्वयं- अब backside की फ़ोटो दिखाओगी तो कैसे पता चलेगा कि तुम आंटी हो या लड़की🤔
शुभी- सिर्फ यही फ़ोटो नही है मेरी और भी फ़ोटो है, वो तो देख कर अंदाजा तो लगा ही सकते हो कि गर्ल हु या आंटी😏
स्वयं- id पर इतनी प्राइवेसी लगा रखी हो तो पता कैसे करूँ😒
शुभी- ओह्ह! हा!
स्वयं- जी हा, अब समझ गयी लगता है।😄
मैसेज देखने पर भी उत्तर नही दिया तो स्वयं ने फिर से मैसेज किया
स्वयं- अरे अब तो बता दो। गर्ल हो या आंटी हो?
शुभी- तुमसे मतलब...आंटी हूँ या लड़की 😒
स्वयं- अरे इतनी सी बात बताने में इतना गुस्सा क्यों हो रही हो, लड़की हो तो बोलो लड़की हो या आंटी हो तो बोलो आंटी हो।
शुभी- ooye मैं गुस्सा कहा हूँ?
स्वयं- अरे अभी तो गुस्से में बोला, तुमसे मतलब? और देखो अभी भी गुस्से में ही बोल रही हो😄
शुभी- जी नही मैं अजनबियों पर गुस्सा नही होती?😏
स्वयं- इसका मतलब मैं अजनबी नही हूँ😄
शुभी- अरे तुम अजनबी हो मेरे लिए, मैं तो तुम्हे जानती भी नही हूँ।🙄
स्वयं- लेकिन तुमने मुझ पर गुस्सा किया , और तुम बोलती हो की तुम अजनबियों पर गुस्सा नही करती हो उस हिसाब से मैं अजनबी नही हूँ😄
शुभी- उफ्फ्फ तुम कितना बात बनाते हो🙄
स्वयं- लेकिन मैंने तो सही बोला है😜
तो बोलो आंटी जी मैं अब अजनबी नही रहा तुम्हारे लिए😄
शुभी- ooyyee मैं लड़की हूँ आंटी नही😡
स्वयं- 😂😂 लेकिन अबसे मैं तुम्हे आंटी ही बोलूंगा।
शुभी- तो फिर मैं भी तुम्हे अंकल बोलूंगी😏
स्वयं- 😂😂 मुझे कोई प्रॉब्लम नही है आंटी का अंकल बनने में🙈😄😄
शुभी- क्या🙄 सच्ची बहुत बोलते हो आप
ऐसे ही उन दोनों की नोक झोंक शुरू हो गयी और कुछ समय बात करने के बाद दोनों एक दूसरे को गुड नाईट बोल कर सो जाते है।
सुबह का समय
शिवी सुबह हो गयी उठ जाओ।
ये है शिवी की मम्मी शुभांगी गुप्ता। बहुत हशमुख, सबको प्यार करने वाली और सबका ख्याल रखने वाली।
शुभांगी जी- शिवी उठ जा, अभी जब स्कूल के लिए देरी होगी तब तू भाग-भाग कर सारा काम करेगी। ये लड़की कब सुधरेगी?
क्या हुआ श्रीमती जी? ये रोहित गुप्ता है शिवी के पापा एक बैंक में काम करते है बहुत सरल स्वभाव के व्यकित है और दिल के बहुत अच्छे है।
शुभांगी जी- आपकी लाडली बेटी को बोल रही हूँ।
रमेश जी शुभांगी जी को देख कर हँसते है।
शुभांगी जी- अब आप जाइये , आपके बोलने पर ही उठेगी।
रमेश जी – अच्छा मैं उठाता हूँ।
रमेश जी शिवी के कमरे तक जाते है और बाहर से ही उसे उठने को बोलते है।
रमेश जी- शिवी बेटा उठ जाओ। 8 बज गए है अभी तुम्हारी सहेलियां आ रही होंगी। उठो बेटा!
शिवी- उठ गई पापा
रमेश जी- उठ गई नही, उठो और जल्दी से तैयार होकर नाश्ते के लिए आ जाओ हम सब इंतजार कर रहे है तुम्हारा।
शिवी- जी पापा, आप बस चले मैं आ गयी।
रमेश जी- ठीक है बेटा जी और वो मुस्कुराते हुए चले जाते है।
शिवी समय देखती है, घड़ी 8:30 बजाने को दिखा रही थी। हे राम जी चिल्लाते हुए वो तुरंत बेड से कूद कर बाथरूम की तरफ भागती है।
शिवी क्लास 12 की स्टूडेंट है। रूप उसका साँवला है लेकिन शिवी की बड़ी-बड़ी आंखे बहुत खूबसूरत है वो अपनी आंखों में हमेशा काजल लगाए रहती है क्योकी उसे मेकअप में सिर्फ काजल पसंद है और उसके काले लंबे कमर तक आते बाल और उसकी हाइट 5.4 इंच और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान उसे सबसे अलग बनाते है। एक बार जो उसे देख ले उसका दीवाना हो जाये।
वैसे शिवी और शुभी एक ही है उसने अपनी प्रोफाइल नाम पर रियल नाम नही डाला था बाकी की जो भी वो अपने बारे में लिखी थी सब सही है ये है हमारी कहानी की हिरोइन, हीरो से तो आपने पहले ही मिल लिया है।
क्रमशः
धन्यवाद🙏