कोई तो हो
कोई तो हो जो मेरी खामोशी को सुने
सिर्फ मेंरी बातो को नहीं।
कोई तो हो जो मेरे जज्बातों को समजे,
सिर्फ हालातो को नहीं ।
कोई तो हो जिसे मुझे खोने का डर हो ,
सिर्फ पाने की चाह नहीं ।
कोई तो हो जिसे मेरा हर दर्द छू जाए,
सिर्फ हस्ती छबी नहीं ।
कोई तो हो जो मुझे परिंदो सा उड़ने दे,
पिंजरा यू बरदाश्त नहीं ।
कोई तो हो जो महोब्बत मेरी रूह से करे ,
इश्क - ए - जिस्म गवारा नहीं ।
कोई तो हो जिसकी हर ख्वाहिश हूं में ,
सिर्फ जरूरत - ए- वक्त नहीं ।
कोई तो हो मीनी जो तेरी हर बेफिक्री जिये,
समझोते सारे अब मुमकिन नहीं।
- Mina Baraiya ( Minii)