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पहली कहानी-इश्क़ होता नही सभी के लिए

19 सितम्बर 2021

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आज ही तो छुट्टी मिली थी हिमांशु को हॉस्पिटल से!अपने माँबाप की इकलौती सन्तान हिमांशु बजाज,जो काफी वर्षों से हॉस्पिटल में था,आज छुट्टी लेकर अपने माता पिता के साथ घर जा रहा था!हिमांशु बजाज के पापा प्रदीप बजाज,जो कि अपने शहर आगरा के जाने-माने व्यापारी थे हीरों के!किसी चीज की कमी नही थी हिमांशु बजाज को!

आज जब हिमांशु अपने घर पहुँचा तो उसका स्वागत ऐसे किया गया जैसे किसी राजकुमार का उसके महल में!सबसे मिलकर वो अब सालों बाद अपने कमरे में जाता है तो अपने कमरे की हर चीज को बहुत ध्यान से देख रहा है!हर चीज अभी भी पहले की तरह अपनी जगह पर व्यवस्थित रखी थी कि तभी हिमांशु की नजर एक दीवार पर लगी पेंटिंग की तरफ जाती है जिसमें एक लड़की घुटनों पे बैठी एक लड़के को गुलाब दे रही है!हिमांशु उस तस्वीर को ध्यान से देखने लगता है और सोच रहा है कि ये क्या,माँ ने अभी तक ये तस्वीर इस दीवार से नही हटाई!ये सोचकर वो तस्वीर उतारने लगता है,लेकिन तस्वीर को हाथ लगाते ही उसके हाथ काँपने लगते है!हिमांशु वहीं जमीन पर बैठ जाता है और रोने लगता है!उसकी आँखों के सामने उसका बीता हुआ कल आने लगता है!जैसे कल ही की बात हो,कॉलेज की हर लड़की दोस्ती करना चाहती थी उससे!कोई उसकी दौलत की वजह से,तो कोई उसके सुंदर चेहरे की वजह से हर लड़की मरती थी उसपे!लेकिन हिमांशु की तो अपनी अलग ही दुनिया थी अपने दोस्तों के साथ!जब भी उसे कोई लड़की प्रपोज़ करती तो वो हँसने लगता और सबके सामने ही उस लड़की का मजाक बनाता!ना जाने इस तरह कितनी ही लड़कियों के दिल तोड़े उसने अंजाने में!लेकिन वो नही जानता था कि आने वाले समय में प्यार उसपर क्या जादू करने वाला है!

एक दिन कुछ लड़के एक लड़की की रैगिंग कर रहे थे और वो मासूम सी लड़की अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से छुपाए वहीं उन लड़कों के बीच जमीन पर बैठी रो रही थी!हिमांशु से उस लड़की की हालत देखी नही गई तो वो सारी बात जानने के लिए वहाँ चला जाता है!वहाँ उसे पता चलता है कि उस लड़की का दुपट्टा उससे छीन कर कैंटीन के पास फैंक दिया गया है और उसे कहा गया है कि उसे वहाँ तक बिना दुपट्टे के जाकर दुपट्टा उठाना है!ये करना उसके लिए ओर भी ज्यादा मुश्किल इसलिए हो गया है कि उन्ही लड़कों की एक दोस्त पूजा ने दुपट्टा उतारते समय जानबूझ कर अपने बड़े नाखूनों से उसके सूट को कंधे से थोड़ा फाड़ भी दिया है!ये बात हिमांशु से सहन नही होती और वो खुद दुपट्टा लाकर उस लड़की को पूरी तरह से दुपट्टे से ढक देता है!अब वो सबके बीच में से उसका हाथ पकड़ कर वहाँ से ले जाता है!किसी की हिम्मत नही होती उन्हें रोकने की क्योंकि सभी जानते हैं हिमांशु का गुस्सा!

हिमांशु उसे कॉलेज के एक खाली कमरे में ले जाता है और उसे चुप कराता है!हिमांशु अब उसे कहता है कि देखिए चुप हो जाइए मेरे रहते कोई आपको परेशान नही कर सकता इस कॉलेज में!धीरे-धीरे वो लड़की भी उसके साथ सहज होने लगती है!बातों-बातों में वो लड़की अपना नाम प्रिया बताती है!अब दोनों हर-रोज मिलने लगते हैं!एक दिन प्रिया उसे कहती है एक बात पूछूं अगर आप बुरा ना माने तो?

जी हाँ,जरूर पूछिये!मैं बिल्कुल बुरा नही मानूँगा!हिमांशु ने जवाब दिया!

जी,क्या मैं आपको हिमान कह सकती हूँ?ये हिमांशु बहुत मुश्किल लगता है बोलने में!प्रिया ने पूछा!

आज से पहले मुझे कभी इस नाम से किसी ने नही बुलाया!मुझे अपना नया नाम बहुत प्यारा लगा!आप कह सकती हैं!हिमांशु ने बहुत प्यार से जवाब दिया!

प्रिया धीरे-धीरे हिमांशु के करीब आ रही थी!प्रिया की हर बात में उसका हिमान होता!जबसे उसे पता चला कि उसके हिमान को पीला रँग बहुत पसंद है,ना जाने कितने ही कपड़े उसने पीले रँग के खरीद लिए थे!एक दिन प्रिया ने हिमांशु को एक पेंटिंग तोहफे में दी!जिसमें एक लडकी घुटनों पे बैठी लाल गुलाब लिए एक लड़के को प्रपोज कर रही है!हिमांशु प्रिया से पूछता है कि ये कैसी पेंटिंग दी है तुमने मुझे?

मेरे हिमान,मेरे बुद्धु इतना भी नही समझे इस तस्वीर को देखकर?प्रिया ने उसे छेड़ते हुए कहा और खुद भी एक लाल गुलाब लेकर घुटनों पे बैठ गई!प्रिया जोर से चिल्लाई मेरे हिमान,ई लव यू!उसकी आवाज सुनकर कॉलेज में सभी उनकी ओर देखने लगे!जिससे हिमांशु थोड़ा असहज हो गया और प्रिया का हाथ पकड़ कर एक कोने में ले गया!

ये क्या तमाशा है प्रिया?हिमांशु ने प्रिया से पूछा!

तमाशा,कैसा तमाशा?ये तमाशा नही हिमान मेरा प्यार है तुम्हारे लिए!प्रिया उसका हाथ पकड़ कर जवाब देती है!

नही प्रिया,मैं प्यार पर बिल्कुल विश्वास नही करता!मैं सिर्फ तुमसे एक ही रिश्ता निभा सकता हूँ,वो है सच्ची दोस्ती का!हिमांशु प्रिया को जवाब देता है!

कोई बात नही हिमान,मैं तुम्हारे प्यार का इंतजार करुँगी!प्रिया हिमांशु को कहती है!प्रिया फिर उसके हाथ में वही पेंटिंग देती है और कहती है हिमान मैं ये पेंटिंग बहुत प्यार से तुम्हारे लिए लाई थी,मेरी दोस्ती की खातिर ही सही इस पेंटिंग को रखलो!क्या पता इस पेंटिंग को देखकर ही तुम्हे कभी मेरे प्यार का एहसास हो जाए!हिमांशु उस पेंटिंग को रख लेता है और अपने कमरे में लगा देता है!तभी उसे एक आवाज आती है,साहब आपको मैडम ने नीचे बुलाया है!हिमांशु पिछली यादों से बाहर आ जाता है और कहता है कि  माँ को कहो कि मैं अभी आया थोड़ी देर में!

हिमांशु अपनी माँ के कमरे में जाता है और माँ से बातें करने लगता है!थोड़ी देर बाद उसके दोस्त उससे मिलने आ जाते हैं और हिमांशु उन्हें अपने कमरे में ले जाते हैं!हिमांशु सालों बाद उनसे मिलकर बहुत खुश होता है!सभी की शादी हो चुकी है और बच्चें भी हैं!वो सब भी हिमांशु को सब कुछ भूल कर जीवन में आगे बढ़ने को कहते हैं!जैसे ही हिमांशु का दोस्त राहुल प्रिया का नाम लेता है तो हिमांशु उसे चुप करा देता है!हिमांशु कहता है नही राहुल,मत नाम ले उसका यार,बहुत साल लगे हैं मुझे इस नाम के दलदल से बाहर निकलने में!

राहुल भी चुप कर जाता है!अब रात को सभी अपने घर जा चुके हैं और हिमांशु को फिर से प्रिया की याद आने लगती है!वो बारिश का दिन हिमांशु की आँखों के सामने आ रहा है जब हिमांशु को प्रिया ने ये कहा था कि हिमान क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चल सकते हो?देखो ना बारिश की वजह से स्कूटी पे आते हुए मेरे सारे कपड़े भीग गए हैं!

ठीक है प्रिया चलो,हिमांशु ने जवाब दिया और अपनी गाड़ी में प्रिया के साथ उसके घर पहुँच जाता है!वहाँ प्रिया के माँबाप घर में नही है!

प्रिया ही घर का दरवाजा खोलती है और हिमांशु को बैठाकर अपने कमरे में कपड़े बदलने चली जाती है!बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है!प्रिया पीले रँग का सलवार कमीज पहन कर उसपर लाल दुपट्टा लेकर खुले भीगे हुए बालों में बाहर आती है तो आज पहली बार हिमांशु चाह कर भी प्रिया पर से नजर नही हटा पाता है!प्रिया भी उसकी आँखों से समझ जाती है कि हिमांशु उसकी ओर आकर्षित हो रहा है!वो भी मन ही मन खुश होकर हिमांशु के करीब आकर बैठ जाती है!हिमांशु उसके और खुदके बीच दूरी बनाने की कोशिश करता है लेकिन प्रिया अचानक से उसका हाथ पकड़ कर उसके गले लग जाती है!

ये क्या कर रही हो प्रिया?हिमांशु उसे खुद से दूर करके बोलता है!

क्यों हिमान,क्या तुम्हारा मन नही करता मेरे करीब आने का?प्रिया हिमांशु से पूछती है!

नही,तुम जानती हो मैं प्यार पर विश्वास नही करता,फिर क्यों ये सब कर रही हो?हिमांशु प्रिया से कहता है और उठकर जाने लगता है कि तभी प्रिया उसका हाथ पकड़ के उसे जाने से रोकती है!हिमान मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ,क्या तुम मेरे प्यार को अपना नही सकते?

हिमांशु उसे कहता है कि अब हमें चलना चाहिए!

प्रिया रसोई में जाती है और वहाँ से चाकू लेकर अपने हाथ की नस काट लेती है!हिमान मैं तुम्हारे बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकती इसलिए मैं जा रही हूँ!

हिमांशु उसकी हालत देखकर घबरा जाता है,प्रिया की हथेली से बहुत खून बह रहा है!हिमांशु उसे गोद में उठाता है और अपनी गाड़ी से उसे हॉस्पिटल ले जाता है!वहाँ जाकर काफी मुश्किल से प्रिया खतरे से बाहर आती है!जब प्रिया को होश आता है तो हिमांशु से रहा नही जाता और वो सबके सामने ही प्रिया को गले लगा लेता है!प्रिया के माँबाप भी ये सब देख रहे हैं!हिमांशु प्रिया से कहता है कि तुमने ऐसा करने से पहले एक बार भी मेरे बारे में नही सोचा कि तुम्हारे बिना तुम्हारे बिना तुम्हारे हिमान का क्या होगा!मुझे नही पता था कि मैं तुमसे इतना प्यार करने लगा हूँ!आज जब तुम्हे खोने वाला था तब मुझे प्यार का एहसास हुआ!

प्रिया के माँबाप भी सब देख रहे हैं और वो उन दोनों के रिश्ते को स्वीकार भी कर लेते हैं!हिमांशु भी घर आकर अपने माँबाप को प्रिया के बारे में सब बता देता है!हिमांशु के माँबाप भी इस रिश्ते के लिए स्वीकृति दे देते हैं!

हिमांशु और प्रिया दोनों ही एक दूसरे के प्यार में इस कदर खो जाते हैं कि सभी उन्हें हिमाप्रिय कहने लगते हैं!एक दिन   दोनों एक पार्टी में हैं और वहाँ प्रिया हिमांशु के लिए सबके सामने एक गाना गाती है!

इश्क होता नही सभी के लिए,
ये बना है,ये बना है किसी-किसी के लिए!

हिमांशु भी इस गाने को सुनकर पूरी तरह से प्रिया में खो जाता है और उससे जल्द ही शादी का वादा लेता है!

इसी तरह से दोनों का प्यार परवान चढने लगता है कि एक दिन जब हिमांशु का जन्मदिन होता है तो शाम को प्रिया उसे फोन करके कहती है हिमान मैंने आज आपके जन्मदिन की पार्टी रखी है!आप ठीक रात के आठ बजे होटल ताज में पहुँच जाना!आपका जन्मदिन का तोहफा आपका इंतजार कर रहा है!हिमांशु खुशी से झूम रहा है और तैयार होकर शाम आठ बजे होटल पहुँच जाता है!लेकिन ये क्या,जो हिमांशु ने देखा,उसे देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई!ठीक उसके सामने स्टेज पर सजी-सँवरी प्रिया किसी ओर के हाथों में सगाई की अँगूठी पहना रही थी!एक पल के लिए तो हिमांशु को ये सब सपने जैसा लगा लेकिन धीरे-धीरे उसे सच्चाई का एहसास होने लगा!उसने प्रिया के साथ खड़े उसके मंगेतर को ध्यान से देखा जो उसे जाना-पहचाना लगा!बहुत ज्यादा सोचने के बाद उसे याद आया कि ये तो वही लड़का है जो उस दिन प्रिया की रैगिंग कर रहा था!अब हिमांशु गुस्से में पागल हो गया और स्टेज पे चला गया!ज्यों ही उसने प्रिया को थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया तो उसके मंगेतर ने उसका हाथ पकड़ लिया!तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी प्रिया पे हाथ उठाने की!उसने चार वेटर को बुलाकर हिमांशु को होटल से बाहर फिकवा दिया!हिमांशु होटल के बाहर सड़क पर पागलों की तरह रो रहा था और आता-जाता हर इंसान उसे देख रहा था!वहीं रोते-रोते रात के बारहा बज चुके हैं कि तभी एक गाड़ी उसके पास आकर रुकती है!वो देखता है कि उसमें से कातिल मुस्कान के साथ प्रिया निकल कर उसके पास आती है!मेरे हिमान,कैसा लगा जन्मदिन का तोहफा?

हिमांशु अपनी सुध-बुध खोए उसे देख रहा है!क्यों किया तुमने ऐसा मेरे साथ?हिमांशु प्रिया से पूछता है!

क्योंकि मैं शर्त जीतना चाहती थी,प्रिया ने तपाक से जवाब दिया!

शर्त कैसी शर्त?हिमांशु पूछता है!

हिमान तुम कॉलेज के सबसे अमीर और सुंदर लड़के थे,सभी लड़कियां तुम पर मरती थी!लेकिन तुम थे कि सबका मजाक उड़ाया करते!तभी मेरी मेरे दोस्तों से शर्त लगी तुम्हे अपने प्यार में पागल बनाने की!लो देखो हो गए ना मेरे प्यार में पागल?मैं भी आज शर्त जीत ही गई और देखो पूरा एक लाख जीता है शर्त में!

तुमने सिर्फ एक लाख के लिए आज मुझे पागल कर ही दिया प्रिया!हिमांशु बोला!

प्रिया भी अब मुस्कुराती हुई जा चुकी थी!उसका हिमान वहीं सड़क पर बैठा कभी हँस रहा है तो कभी रो रहा है!आज पूरे दस सालों बाद हिमांशु हॉस्पिटल(पागलखाने) से इलाज कराकर वापिस अपने घर आया है!उसे नही पता इन दस सालों में उसके साथ क्या हुआ!उसे आखिरी बात उस सड़क तक की ही याद थी!उसकी सच्ची प्रेम कहानी अधूरी ही रह गई क्योंकि-

इश्क होता नही सभी के लिए,
ये बना है,ये बना है किसी-किसी के लिए💔


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एक सच्चे प्यार में पागल हुए प्रेमी की कहानी

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